कोरोना और टीबी खतरनाक, न बरते लापरवाही

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(अरविंद कुमार) उरई, जालौन। कोरोना और टीबी के कुछ लक्षण लगभग सामान्य होते हैं ऐसे में यदि मरीज की कोरोना जांच नकारात्मक आती है, तो जरूरी है कि उसकी टीबी की जांच भी कराई जाए। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार भिटौरिया ने दी उन्होंने बताया कि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी और बुखार आ रहा है, वजन कम हो रहा है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो यह लक्षण टीबी के होते हैंद्य। यदि इन लक्षणों पर पहले कोरोना की जांच करा रहे है तो इसके साथ के साथ टीबी की भी जांच भी करानी चाहिए। समय से जांच में टीबी का पता लगने से समय से इलाज शुरू हो जाता है और रोग भी जल्दी ठीक हो सकता है। टीबी के इलाज में देरी खतरनाक होती कोरोना भले ही एक समय महामारी के रुप में माना गया लेकिन टीबी रोग कोरोना से कम खतरनाक नहीं है। पिछले घ्तीन साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कोरोना से जहां जनपाद में 208 लोगों की मौत हुई है। वहीं टीबी से 231 लोगों की जान गई है। टीबी रोग को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है। इसलिए लक्षण होने पर समय से टीबी की जांच कराए और पूरा इलाज ले, सम्पूर्ण इलाज से टीबी से पूरी तरह मुक्ति मिल सकती है डीटीओ ने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में सभी प्राइवेट चिकित्सक और नर्सिंग होम से इलाज ले रहे क्षय रोगियों की सूचना हर माह जिला स्तर पर अपडेट की जाती है।
इन अस्पतालों में होती है टीबी की जांच
जिले में टीबी की जांच के केंद्र-जिला अस्पताल स्थित क्षय नियंत्रण केंद्र उरई, सीएचसी जालौन, कोंच, नदीगांव, माधौगढ़, कालपी, कदौरा, डकोर, पिंडारी, बाबई, रामपुरा, कुठौंद, हरदोई गूजर, सदूपुरा, न्यामतपुर एवं राजकीय मेडिकल कालेज में टीबी जांच की निशुल्क सुविधा उपलब्ध है। यदि किसी को टीबी रोग की पुष्टि होती है तो उसे छह माह तक निशुल्क इलाज किया जाता है। साथ ही पांच सौ रुपये प्रतिमाह के हिसाब पोषण भत्ता भी दिया जाता है।
लक्षण
खांसी, बुखार, सीने में दर्द, वजन कम होना, सांस लेने में दिक्कत होना, भूख न लगना, भोजन में स्वाद न आना, बलगम में खून आना जैसे लक्षण टीबी के होते है और इनमें कुछ लक्षण कोरोना में भी पाए जाते हैं।
दो प्रकार की होती है टीबी
ड्रग सेंसटिव टीबी- इस टीबी का इलाज छह माह में ही पूरा हो जाता है ड्रग रजिसटेंस टीबी (एमडीआर)- इस टीबी का उपचार नौ माह से बीस माह तक चलता है।

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