(संदीप सक्सेना)
बलरामपुर 14 नवम्बर। जनपद के सभी किसान भाईयों को सूचित करते हुये उप कृषि निदेशक डा0 प्रभाकर सिंह ने बताया कि फसलों का अवशेष न जलाये। फसलों का अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, साथ ही मृदा के तापक्रम में वृद्धि होने के कारण लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते है तथा मृदा की उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि पराली/ फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है। पराली/फसल अवशेष जलाये जाने पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के तहत पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड के प्राविधान निधारित किये गये है। जिसमें 02 एकड़ तक कृषि क्षेत्र के कृषकों के लिए रु0 2500, 02 एकड़ से 05 एकड़ तक कृषि क्षेत्र के लिए रु0 5000 व 05 एकड़ से अधिक कृषि क्षेत्र के लिए रु0 15,000 प्रति घटना आर्थिक दण्ड दिया जायेगा। उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि पराली/फसल अवशेष न जलायें। पराली/फसल अवशेष को गौशाला में दान करें अथवा कम्पोस्ट बनकर अपने खेत में प्रयोग करें।
किसान भाई पराली/फसल अवशेष न जलायें बल्कि उसको गौशाला में दान करें अथवा कम्पोस्ट बनाकर अपने खेत में करें प्रयोग -उप कृषि निदेशक
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