केरल के पत्रकारों ने राजभवन तक विरोध मार्च निकाला

RAJNITIK BULLET
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Nov 09, 2022
केरल के पूर्व वित्त मंत्री और वामपंथी नेता टी एम थॉमस आईजैक, सीआईटीयू नेता अनाथालवट्टम आनंदन, वाम नेता और सांसद जॉन ब्रिटास उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस विरोध मार्च में हिस्सालिया।

‘केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (केयूडब्ल्यूजे) के तत्वावधान में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने मंगलवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के विरोध में यहां राजभवन तक मार्च निकाला। राज्यपाल ने दो पत्रकारों को कथित तौर पर अपमानित कर उन्हें अपने संवाददाता सम्मेलन से बाहर कर दिया था। विरोध मार्च, शहर के कनककुन्नू से शुरू हुआ और राजभवन के मुख्य द्वार के आगे समाप्त हुआ। इस विरोध मार्च की शुरुआत विपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी डी सतीसन ने की।

केरल के पूर्व वित्त मंत्री और वामपंथी नेता टी एम थॉमस आईजैक, सीआईटीयू नेता अनाथालवट्टम आनंदन, वाम नेता और सांसद जॉन ब्रिटास उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस विरोध मार्च में हिस्सालिया। गौरतलब है कि केरल के राज्यपाल ने सोमवार को नाराज होकर कैराली न्यूज और मीडिया वन टेलीविजन चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले पत्रकारों को यहां एक संवाददाता सम्मेलन से बाहर निकलने के लिए कहा था। राज्यपाल ने कहा था कि वह उनसे बात नहीं करेंगे।

केयूडब्ल्यूजे ने कहा कि ‘‘वह केरल राजभवन की ओर से पत्रकारों के स्वतंत्र और निष्पक्ष कामकाज में हस्तक्षेप करने और पत्रकारिता के कार्य की पहुंच से चुनिंदा पत्रकारों को दूर रखने के सभी प्रयासों की निंदा करता है।’’ केयूडब्ल्यूजे ने राज्यपाल को संबोधित एक पत्र में उनसे कुछ मीडिया घरानों के खिलाफ पूर्वाग्रहों पर ‘‘पुनर्विचार’’ करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अपने पेशे की स्वतंत्रता का अभ्यास करने का अधिकार सभी पत्रकारों को मिले।

पत्रकारों कोसंबोधित करते हुए सतीसन ने कहा कि राज्यपाल का कदम अलोकतांत्रिक था और लोकतांत्रिक देश में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सत्तारूढ़ माकपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यपाल के आचरण को ‘‘फासीवादी’’ करार दिया। केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ ने मांग की कि राज्यपाल अपनी ‘‘भूल सुधारें’’ और अपने ‘‘अलोकतांत्रिक कृत्य’’ पर पछतावा जाहिर करें।

राज्यपाल खान का विभिन्न मुद्दों को लेकर राज्य की माकपा सरकार से विवाद चल रहा है। आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार की सुबह तब तक मीडिया से बात करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया जब तक कि माकपा नियंत्रित ‘‘कैराली न्यूज’’ और कोझीकोड के ‘‘मीडिया वन’’ समाचार चैनलों के पत्रकारों को वहां से हटा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों से बात करने के लिए खुद को अब और समझाने में सक्षम नहीं हूं जो मीडिया के रूप में वास्तव में पार्टी कैडर हैं। मैं कैराली से कोई बात नहीं करूंगा। अगर कैराली यहां होगा तो मैं चला जाऊंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि यहां कोई भी मीडिया वन से नहीं है। मैं आपसे (मीडिया वन से) बात नहीं करना चाहता। बाहर निकलो। मैं आपसे बात नहीं करूंगा और मैं कैराली से बात नहीं करूंगा। कृपया… यदि यहां कोई मीडिया वन और कैराली से है तो कृपया यहां से चले जाएं।’’ नाराज दिख रहे खान ने दावा किया था कि मीडिया वन शाह बानो मामले को लेकर उनसे केवल बदला ले रहा है।

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