कार्तिक पूर्णिमा पर कई वर्षों से बैलगाड़ियों से बैलों के गले में पड़ी घंटियों की नहीं सुनाई पड़ रही आवाज

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(मनोज मौर्य) ऊंचाहार रायबरेली। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान व मेला को लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। पूर्णिमा की संध्या के पूर्व घाटों पर स्नानार्थियों का रेला पहुँचने लगा है। लेकिन मोटर गाड़ियों व ट्रैक्टर ट्रालियों की बढ़ती तादाद से बैलगाड़ियों को बाहर कर दिया है। विगत कुछ वर्षों से बैलगाड़ियों से बैलों के गले में बंधी घंटियों की आवाज नहीं सुनाई दे रही है। एक -दो दशक पहले बैलगाड़ियां ही स्नानार्थियों का एकमात्र साधन हुआ करती थीं। दूर दराज के गांवों से बड़ी संख्या में लोग बैलगाड़ी में सवार होकर घाट तक आ जाते थे। रवाना होने से दो दिन दिन पहले लोग बैलगाड़ी की होवरहार्लिंग करके फिट फाट कर लेते। बैलों की घण्टियों व झूमर डालकर सजा कर बैलगाड़ी में नाधते। दो तीन दिन तक ठहर कर मेले का आनंद लेते थे। लोग सपरिवार साज समान, भोजन आदि की व्यवस्था व चारपाई भी लेकर आते थे। स्नानार्थियों से भरी बैलगाड़ियां महिलाओं के गानों से बरबस लोगों का ध्यान खींच लिया करती थी। बैलगाड़ियों के चलने पर बैलों के गले में बंधी घण्टियां रात की नीरवता को तोड़ती लोगों के आकर्षण का केंद्र होती थी। कभी-कभी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में बैलगाड़ियों की रेस देखते बनती थी। लेकिन यह सब अब किस्से कहानियों तक सिमट गई हैं। कार, जीप, टेम्पो ट्रैक्टर ट्राली, बसों ने बैलगाडियों को अतीत में धकेल दिया है। हालांकि इस बार सरकार ने ट्रैक्टर ट्राली पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे लोग बाइक, साइकिल, पैदल, मोटर- गाड़ियों से ही घाटों तक पहुंच कर स्नान व मेला का आनंद उठाएंगे। कार्तिक पूर्णिमा पर गोकना घाट पर लाखों लोगों के पहुंचने पर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मेला परिसर से एक किमी पहले बैरिकेडिंग की गई है। ताकि वाहनों की वजह से लोगों को घाट पहुंचने में कोई परेशानी न हो। जलधारा में भी बेरिकेट करके गहरे जल तक जाने से रोक दिया जायेगा। घाट पर किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए नाव व गोताखोर की व्यवस्था की गई है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर मां गंगा गोकर्ण जनकल्याण सेवा समिति की ओर से आयोजित गंगा महाआरती व दीपदान के बाद स्नान शुरू हो जाएगा।

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