उन्होंने कहा, “हमारी भावी पीढ़ी की मांगों को पूरा करने के लिए प्रभावी ढंग से जल संरक्षण की आवश्यकता होगी और इसमें प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अत: वैज्ञानिकों, नगर नियोजकों और नवोन्मेषकों से मेरी अपील है कि वे जल संसाधनों के संरक्षण की तकनीक विकसित करने का प्रयास करें।” उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाने की भी अपील की।
उन्होंने कहा, “सिर्फ तभी, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को बेहतर व सुरक्षित कल दे पाएंगे।” जल सुरक्षा पर वर्तमान स्थिति को चिंताजनक बताते हुए मुर्मू ने कहा, “बढ़ती आबादी के कारण, हमारी नदियों और जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है” और गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। उन्होंने कहा, “कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है। ऐसे हालात में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का मुद्दा सिर्फ भारत के लिये ही नहीं बल्कि दुनिया के लिये प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि पानी कृषि के लिये भी एक अहम संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। राष्ट्रपति ने कहा, “इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है।” सातवें भारत जल सप्ताह की थीम है, ‘‘टिकाऊ विकास और समानता के लिए जल सुरक्षा’’। समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल व विश्वेश्वर टुडू सहित कई गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया।