उनके निजी जीवन के बारे में एक किस्सा पत्रकार रऊफ अहमद ने मिड-डे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में साझा किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि जब शम्मी कपूर ने गीता बाली (उनकी पहली पत्नी) से गुपचुप तरीके से शादी करने का फैसला किया, तो उन्हें डर था कि कपूर परिवार उन्हें मंजूर नहीं करेगा। इसके पीछ कारण था कि गीता बाली एक एक्ट्रेस थी और उम्र में भी शम्मी से बड़ी थी ऐसे में काफी मुश्किल था कि कपूर खानदार दोनों की शादी के लिए इजाजत देता। अपने इस डर से निपटने के लिए उन्होंने कॉमेडियन जॉनी वॉकर की मदद लेने का फैसला किया। वॉकर ने अपनी पत्नी नूरजहां से गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी। लेकिन वॉकर ने शम्मी से अपनी राय देते हुए कहा था कि ‘तुम्हारे लिए यह मेरे जितना आसान नहीं होगा। मुझे केवल एक मुल्ला की व्यवस्था करनी थी और मेरी शादी हो गयी तुम्हें हिंदू रीति रिवाजों से शादी करनी हैं। बाद में दोनों ने मंदिर में शादी करने का फैसला किया था। उन्होंने एक किस्सा यह भी साझा किया कि वास्तव में शम्मी कपूर और गीता बाली इतने उत्सुक थे कि वे निर्धारित समय से पहले मंदिर पहुंच गए जिसके बाद उन्हें इंतजार भी करना पड़ा। जब उन्हें पता चला कि जल्दबाजी में वे सिंदूर लगाना भूल गए हैं तो कपूर ने उनकी जगह बाली की लिपस्टिक का इस्तेमाल किया। यानी कि शम्मी कपूर गीता बाली से बहुत ज्यादा प्यार करते थे और वह जल्द से जल्द गीता को अपना बनाना चाहते थे।
रऊफ अहमद के अनुसार तुमसा नहीं देखा (1957) जिस फिल्म ने शम्मी कपूर को रातोंरात स्टार बना दिया था, उसमें देव आनंद और अमीता को अभिनय करना था, लेकिन आनंद ने अमीता जैसी नवागंतुक के साथ काम नहीं करना चाहा। फिल्म के निर्देशक नासिर हुसैन कपूर के लिए उत्सुक नहीं थे, लेकिन अभिनेता कथित तौर पर निर्देशक को रात के खाने के लिए बाहर ले गए और उन्हें ‘पटाओ’ (आश्वस्त) किया, जैसा कि अहमद बताते हैं।