आस्था और आकर्षण के चरम पर है एनटीपीसी का दुर्गा पूजा-रामलीला महोत्सव

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(मनोज मौर्य) ऊंचाहार रायबरेली। एनटीपीसी ऊंचाहार में चल रहा दुर्गा पूजा एवं रामलीला महोत्सव न केवल एनटीपीसी कर्म- चारियों के लिए श्रद्धा और भक्ति का पर्याय हैं बल्कि परियोजना के आसपास के सैकड़ों गांवों के लिए यह मेला आस्था, उल्लास, कौतुहल और आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। शाम ढलते ही परियोजना की तरफ के सभी मार्ग भीड़ से पट जाते हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु नर-नारी एवं बच्चे मेला परिसर में चल रहे झूलों की तरफ बढ़ते चले आते हैं। राम की सुंदर लीलाओं एवं झाकियों के वशीभूत होकर रामलीला देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। रामलीला में धनुष यज्ञ, रावण-बाणासुर संवाद, धनुष भंग, परशुराम- लक्ष्मण संवाद, केवट मिलन, सीता हरण, लंका दहन, अंगद-रावण संवाद जैसे प्रसंगों ने लोगों को अपलक निहारने और सुनने के लिए विवश सा कर दिया। रामलीला की मोहक संवाद अदायगी, कलाकारों का प्रस्तुतीकरण तथा मंच सज्जा ने लोगों में विशेष कौतुहल और रोमांच पैदा किया है। इस प्रकार कोरोना के बाद लगने वाले इस विशाल दशहरा महोत्सव ने आसपास के हजारों लोगों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ श्रद्धा भक्ति और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का सुनहरा मौका दिया है।
इस महोत्सव के आयोजन से परियोजना परिसर के आसपास के हजारों परिवारों में एनटीपीसी के प्रति एक सकारात्मक भावना सुदृढ़ हुई है। मेले में सजी घरेलू उपयोग की वस्तुओं की दुकानें, इलैक्ट्रोनिक बाजार, हथ- करघा उद्योग, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की स्टालों ने पूरे परिसर में स्वरोजगार एवं स्वावलंबन को एक नया आयाम देने का काम किया है। इससे युवाओं को स्टार्टअप की ओर आकर्षित किया है। मेले में लगी खिलौनों तथा खाने-पीने की वस्तुओं में जहां आधी रात तक भारी भीड़ रहती है वहीं दुर्गा पूजा पंडाल में चल रही विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे रंगोली, शंख ध्वनि, धार्मिक क्विज, रूप सज्जा व लोकगीत एवं भजन गायन आदि में लोगों की टोलियों ने बढ़चढ़कर भाग लेकर पूजा समिति के प्रयासों को बल प्रदान किया है। पूजा पंडाल में गरबा और डांडिया अपना एक अलग आकर्षण बिखेर रहा है जिसमें हर वर्ग के डांडिया प्रेमी भाग ले रहे हैं। मेला परिसर का भव्य एवं विशाल प्रवेश द्वार जहां लोगों को आकर्षित कर रहा है वहीं पूरा मेला परिसर बिजली की मनोहारी सजावट से जगमगा रहा है।
परियोजना प्रमुख अभय कुमार समैयार सभी कार्यक्रमों में सपरिवार उपस्थित रहकर समय- समय पर पूजा समिति के पदाधिकारियों को उत्सा- हित करते रहते हैं वहीं उनके साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी व सहयोगी मेले की प्रत्येक व्यवस्था को योजनाबद्ध तरीके से संचालित कर रहे हैं। श्री समैयार ने नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को कन्याओं को अपने हाथ से भोजन करवाया तथा उनसे आशीर्वाद लिया। इसके पश्चात् सभी के लिए विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग पांच हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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