गांव लौटने के बाद हरीश रावत राजनीतिक कार्यों में खूब सक्रिय रहने लगे। वह शुरुआत से ही कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ गए। 1973 में हरीश रावत को कांग्रेस की जिला युवा इकाई का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद लगातार वह पार्टी में अपनी अलग पहचान बनाते गए।
2002 में हरीश रावत को राज्यसभा के लिए चुना गया। 2009 में हरीश रावत ने अल्मोड़ा छोड़ हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। मनमोहन सिंह की सरकार में वे कई मंत्रालयों में मंत्री भी रहे। पहले उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। हरीश रावत के जीवन में बड़ा मौका तब आया जब उत्तराखंड में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाने का फैसला लिया गया। बहुगुणा के विदाई के साथ ही हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद भी हरीश रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने रहें। वे पहली बार 1 फरवरी 2014 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वे दोबारा 21 अप्रैल 2016 को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री का पद संभाला। तीसरी बार में 11 मई 2016 को मुख्यमंत्री बने। उत्तराखंड में आज भी हरीश रावत की अपनी अलग पकड़ है। वे लगातार कांग्रेस में संगठन का काम देखते रहे हैं। पंजाब में भी तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच उनकी भूमिका बेहद अहम थी।