विश्व मलेरिया दिवसः तुरंत कराएं मलेरिया की जांच ताकि न आए जीवन पर आंच

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(धर्मेन्द्र सिंह) तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, अत्यधिक पसीना आना, मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें और न ही स्वयं कोई इलाज करें। तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ओम प्रकाश तिवारी का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि मलेरिया एक प्रमुख वेक्टरजनित रोग है जो संक्रमित मादा एनाफिलीस मच्छर के काटने से होता है। अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने से उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस साल इस दिवस की थीम है दृ मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें।
राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. अनिल कुमार पंकज बताते हैं कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है। सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानि पहुंचाते हैं। गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है। मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है। समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है। मलेरिया की दवा बीच में नहीं छोड़नी है। लक्षण समाप्त होने पर भी मलेरिया का पूरा इलाज करवाना है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएची), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है।
जिला मलेरिया अधिकारी और मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है। मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छर रोध् ाी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें। घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं।
जिला मलेरिया अधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया है कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है। अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है। मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है। संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्श है कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं।

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