(आशीष शर्मा) पुरवा, उन्नाव। कोतवाली के सेमरीमऊ मे श्री रामलीला में राम वनगमन का भावपूर्ण मंचन किया। पात्रों के अभिनय से दर्शकों की आंखे भर आईं। अयोध्या में राजा दशरथ गुरु वशिष्ट से परामर्श कर अपने पुत्र राम के राजतिलक की घोषणा कराते हैं। पूरे अवध में हर्ष छा जाता है। खुशी में अयोध्यावासी झूमने लगते हैं। यह समाचार सुनकर कैकई की दासी मंथरा ईर्ष्या से जल उठती है। वह यह बात रानी कैकई को बताती है। रानी कैकई राजा दशरथ को उनके द्वारा दिए गए दो वचनों को याद दिलाती है।
भरत को राजगद्दी और दूसरे में श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास। यह सुनते ही राजा दशरथ धरती पर गिर पड़ते हैं।
मगर, रानी तनिक भी नहीं पसीजती हैं। प्रभु राम वन को निकल जाते हैं, उनके साथ माता सीता और अनुज लक्ष्मण भी तैयार हो जाते हैं। भावपूर्ण मंच को देखकर दर्शकों की आंखे भर आती हैं। लीला को सुनने के लिए अंत तक भक्त बैठे रहे। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। मंच संचालक राकेश शुक्ला ने किया इस मौके पर योगेंद्र द्विवेदी, सत्यम,राजू दीक्षित, सुशील शुक्ला, रामजी शुक्ला, सचिन दीक्षित, दिवा कर, करन,अरूण दीक्षित, रमेश शुक्ला,योगेन्द्र शुक्ला, महेंद्र शुक्ला, निशिनाथ, विपिन बाजपेई, अंकित तिवारी आदि सैकड़ों लोगों ने राम लीला का आनन्द लिया जिसमे आयो जक श्रीराम लीला सेवा समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया।
श्री रामलीला में राम वनगमन का भावपूर्ण हुआ मंचन
Read Time2 Minute, 5 Second