मोटे अनाज से निर्मित उत्पाद विकसित करेंगे वैकल्पिक खाद्य प्रणाली- डा. सीएच श्रीनिवास राव

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’श्री अन्न संवर्धन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी – डा0 सीएच श्रीनिवास राव’
(बीके सिंह) सीतापुर। श्री अन्न संवर्धन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर कृषि विज्ञान केंद्र, सीतापुर, उत्तर प्रदेश द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। भाकृअनुप- राष्ट्रीय कृषि अनु सन्धान प्रबन्ध अकादमी, (नार्म) हैदराबाद द्वारा प्रायो जित यह प्रशिक्षण दिनाँक 07७ अगस्त 2023२३ से प्रारम्भ होकर 09९ अगस्त 223३ तक चलाया जायेगा।
प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डा0 सीएच श्रीनिवास राव निदेशक भाकृअनुप- राष्ट्री य कृषि अनुसन्धान प्रबन्ध अकादमी, हैदराबाद, कार्य क्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश कृषि अनुसन्धान परिषद (उपकार), लखनऊ के महानिदेशक डा0 संजय सिंह एवं भाकृअनुप- राष्ट्रीय कृषि अनुसन्धान प्रबन्ध अका दमी, (नार्म) हैदराबाद से वैज्ञा निक डा0 रमेश नायक मुडे ने विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।
मुख्य अतिथि डा0 सीएच श्रीनिवास राव ने कहा कि मिलेट्स प्रसंकरण और मूल्यसंवर्धन ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को गति दे सकते है, शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग और अच्छे स्वास्थ के प्रति लोगों में उत्पन्न हो रही संवेदनशीलता के समय मोटे अनाज से निर्मित उत्पाद जैसे नूडल्स, बिस्कुट, पास्ता, मिक्स कुकी ज स्नैक्स एवं मिठाईयां आदि लोगों को वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान कर सकते है क्योंकि यह संतुलित आहार के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण में भी योगदान देता है। कार्यक्रम अध्यक्ष डा0 संजय सिंह ने महिला स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से इसके व्यवसायीकरण का रास्ता दिखाया उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के रेसिपी कांटेस्ट कि सराहना करते हुए कहा कि इससे गाओं में छुपी प्रतिभाओं को निखारा जा सकता है। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से ऐसे समूह अथवा महिलाओं का चयन करके उन्हें एक समूह में लाने को कहा जिससे की एक दूसरे के परस्पर सहयोग से विभिन्न उत्पाद बनाये जा सकेंगे।
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 दया शंकर श्रीवास्तव ने मोटे अनाज के अंतर्गत आने वाली आठ फसलें जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू की खेती की सस्य क्रियाओं पर चर्चा करते हुए कहा की यह केंद्र निरंतर इन फसलों के बीज किसानो को उपलब्ध करा रहा है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इस लिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है।
डा0 रमेश नायक मुडे ने श्री अन्न के न्यूट्रिशन और बाजार से जुडी हुई संभाव नाओं पर बताया की यह अत्यधिक पोषक, अम्ल- रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है। मोटे अनाज के इसी महत्व को समझते हुए केंद्रीय बजट में इसे प्रोत्सा हित करने का प्रस्ताव पारित हुआ है। मोटे अनाजों के लिए विश्व बाजार की तलाश शुरू कर दी गई है। प्रशिक्षण कार्य क्रम समन्वयक डा0 रीमा ने कहा की मोटे अनाज की खपत और कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए श्रीअन्न ब्रांड का निर्माण किया जा रहा है।
रेडी टू ईट और रेडी टो सर्व के अनु कूल मोटे अनाज पर आधारित सैंपल और स्टार्टअप जोड़े जा रहे है।

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