यूपीपीएससी ने लिया निर्णय, अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत, पीसीएस (जे) परीक्षा में लागू नहीं की जाएगी नई व्यवस्था
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपी एससी) ने अभ्यर्थियों को बड़ी राहत प्रदान की है। अब पदों की संख्या के मुकाबले 13 की जगह 15 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा और दो की जगह तीन गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई कराया जाएगा। पीसीएस (जे) परीक्षा को छोड़कर बाकी सभी परीक्षाओं में यह व्यवस्था लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है। 24 अक्तूबर को प्रस्तावित पीसीएस-2021 और सहा यक वन संरक्षक (एसीएफ)ध्क्षेत्रीय वन अधिकारी (आरएफ ओ)-2021 की प्रारंभिक परीक्षा भी नई व्यवस्था के तहत होगी। वर्ष 2019 से पहले तक आयोग की ओर से आयोजित प्रारंभिक परीक्षाओं में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना अभ्य र्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए और मुख्य परीक्षा में तीन गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए सफल घोषित किया जाता था। वर्ष 2019 में तत्का लीन आयोग अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने यह व्यवस्था बदल कर सफलता का मानक क्रमशः 13 और दो गुना कर दिया गया था। पीसीएस- 2019 और पीसीएस-2020 समेत पिछले दो वर्षों के दौरान हुईं सभी परीक्षाओं में यही व्यवस्था लागू रही।
आयोग के इस निर्णय का प्रदेश भर में विरोध हुआ। अभ्यर्थियों का कहना था कि सफलता का मानक घटाए जाने उनके लिए चयन के अवसर भी घट गए हैं। आयोग के सचिव जगदीश के अनुसार पदों की संख्या के मुकाबले अब मुख्य परीक्षा के लिए 15 गुना और इंटरव्यू के लिए तीन गुना अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराया जाएगा।
नई व्यवस्था पीसीएस- 2021 और एसीएफ/आर एफओ-2021 समेत इसके बाद आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं में भी लागू रहेगी। पीसीएस (जे) परीक्षा में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी, क्योंकि यह परीक्षा हाईकोर्ट की अपनी अलग नियमावली के अनुरूप आयोजित की जाती है।
स्केलिंग पर असमंजस बरकरार
मॉडरेशनध्स्केलिंग के मुद्दे पर प्रतियोगी छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आयोग की ओर से जारी शुद्धि पत्र में सचिव जगदीश ने कहा है कि पीसीएस-2021 और एसीएफध्आरएफओ-2021 से संबंधित पांच फरवरी 2021 को प्रकाशित विज्ञापन में अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण अनुदेश के बिंदु 14 (15) के क्रम में याचिका संजय सिंह बनाम उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग व अन्य में उच्चतम न्यायालय द्वारा मॉडरेशनध्स्केलिंग के संदर्भ में दिए गए निर्णयध्आदेश का अनुपालन किया जाएगा।
प्रतियोगियों का आरोप, हिंदी माध्यम के लोगों को हो रहा नुकसान
विज्ञापन में यह उल्लेख भी है कि स्केलिंगध्मॉडरेशन की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में आवश्यकतानुसार लागू की जाएगी। लेकिन आयोग ने शुद्धि पत्र में यह स्पष्ट नहीं किया है कि स्केलिंग होगी या नहीं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि स्केलिंग के मुद्दे पर आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। स्केलिंग होगी या नहीं, इस पर गोलमोल जवाब देकर छात्रों को गुमराह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अवनीश एवं अन्य प्रतियोगियों का दावा है कि आयोग पीसीएस में स्केलिंग नहीं कर रहा है, जिसकी वजह से हिंदी माध्यम और मानविकी विषय के छात्रों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।
प्रतियोगियों की मांग, मेंस में 18 गुना हों सफल
प्रतियोगी छात्रों ने सफलता के मानक में बदलाव का स्वागत किया है, लेकिन वे अब इससे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय और मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने आयोग से मांग की है कि पूर्व की भांति पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना अभ्यर्थियों को ही मेंस के लिए सफल घोषित किया जाए।
उनका कहना है कि प्रारंभिक परीक्षा केवल छंटनी के लिए होती है, इससे किसी की योग्यता का आकलन नहीं किया जा सकता है। स्पर्धा इतनी अधिक है कि दशमल के अंतर से अभ्यर्थी छंट जाते हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए। यह तभी होगा, जब प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले अभ्यर्थियों की सफलता का मानक बढ़ाया जाएगा।
ओवरएज हो रहे अभ्यर्थियों को मिलेगी राहत
सफलता के मानक में बदलाव से ओवरएज हो रहे अभ्यर्थियों काफी राहत मिलेगी। पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 में शामिल हुए तमाम अभ्यर्थियों के लिए अंतिम अवसर था, क्योंकि वे ओवरएज हो रहे थे। इनमें से कई अभ्यर्थी बहुत ही कम अंकों के अंतर से मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके और उनके लिए भविष्य के दरवाजे बंद हो गए। अब अधिक अभ्यर्थियों को सफल घोषित किए जाने से ऐसे अभ्यर्थियों को भी फायदा होगा।