पैगम्बरे इसलाम मोहम्मदे मुस्तफा की यौमे पैदाईश पर पुरी रात नारे तकबीर और नारे रिसालत की नूरानी फिजा से महकता रहा पुराना शहर। सलातो सलाम की गूँज व रुहानी महफिल से गुलजार होती रही आमदे रसूल पर जश्न की महफिल। शहर भर की मस्जिदों व घरों में खत्मुल मुरसलीन नबी ए पाक की शान में पढ़े गए नातिया कलाम से शायरों ने बनाए रखा हसीन ओ खुशगवार माहौल।
(मो0 रिजवान) प्रयाग राज। इसलामिक माह रबिउल अव्वल की ग्यारहवीं को पैगम्बरे इसलाम मोहम्मदे मुस्तफा,सरकार ए दो आलम की आमद की खुशी में पुरी रात सलातो सलाम की बारिश होती रही। कोविड -19 के कारण मुस्लिम बहुल्य इलाकों से कोई भी जुलूस नहीं निकाले गए।मस्जिदों इबादतगाहों व घरों के अन्दर महदूद रहकर जश्न ए आमदे रसूल पर शायरों ने पढ़े कलाम। दायरा शाह अजमल के सज्जादा नशीन सै० मो०जर्रार फाखरी व नायब सज्जादा नशीन सै०अरशद फाखरी की कयादत मे दायरा शाह अजमल के खानकाह मे नूरानी महफिल सजाई गई। जहाँ दर्जनो शायरों ने रात भर अपने अशआर से महफिल को गुलजार बना दिया। वही मस्जिदों, इबादत गाहों, मोहल्ले की गलियों व मकानों को जहाँ आकर्षक रंगीन झालरों से सजाया गया वहीं जगहाँ जगहाँ तबर्रुक के स्टाल भी लगाए गए। कई अन्जुमनों व तन्जीमों की ओर से पानी, चाय और बिस्किट भी तकसीम किए गए। करैली, दरियाबाद, रानीमण्डी, बरनतला, सब्जीमण्डी, अकबर पुर, बैदन टोला, बख्शी बाजार, अटाला, बहादुरगंज, हटिया, दायरा शाह अजमल, कटरा, रौशनबाग सहित शहर की तमाम मस्जिदों में नातिया कलाम व ओलमाओं की तकरीर से नूरानी महफिल सजा कर सलातो सलाम होता रहा। दरियाबाद मस्जिद में शायर हाशिम बाँदवी ने पढ़ा-
दीने खुदा है और है दुनिया रसूल से,
सीखा है जिन्दगी में करीना रसूल से।।
ऐ जिन्दगी बता के तेरी फिक्र क्या करुँ,
जीना रसूल से मेरा मरना रसूल से।।
दायरा शाह अजमल की मस्जिद मे नात ख्वान अनस निजामी ने पढ़ारू- अपनो की न गैरों की न अगयार की बातें करें।
आओ सब मिल कर शहे अबरार की बातें करें।
नैनी के कसाई मोहल्ले व पीपिरसा मे भी मस्जिदों मे नातिया कलाम की महफिल सजाई गई। मो0 इसराइल की ओर तबर्रुख भी तकसीम किए गए। इस मौके पर वजीर खान, मुजफ्फर बागी, काशान सिद्दीकी, अब्दुल समद, गुफ रान खान, सै0 मो0 अस्करी, किताब अली, शाहिद खान, अमन नियाजी, आबिद नियाजी, सै0फराज अली, सै0 आसिफ हुसैन, आसिफ अन्सारी, शानू हाशमी, ताहिर उमर आदि मौजूद रहे।