देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 के बाद ‘‘समस्याओं से बाहर’’ निकल चुकी है और वह दहाई अंक के साथ ही सतत उच्च विकास दर की ओर बढ़ रही है। सभी प्रमुख आर्थिक सूचकांक संकेत करते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था जितनी तेजी से नीचे गिरी थी।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में आया जोरदार उछाल
आर्थिक गतिविधियों के जोर पकड़ने के साथ ही सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रह में जोरदार उछाल आया है। चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से लेकर अब तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह सालाना आधार पर 74.4 प्रतिशत बढ़कर 5.70 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। मुख्य रूप से अग्रिम कर और टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) भुगतान बढ़ने से प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ा है।प्रत्यक्ष कर संग्रह में आयकर और कंपनी कर आते हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के बयान के अनुसार कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में से रिफंड जारी किये जाने के बाद चालू वित्त वर्ष में एक अपैल से 22 सितंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 74.4 प्रतिशत बढ़कर 5,70,568 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 3.27 लाख करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2019-20 में प्राप्त 4.48 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले यह 27 प्रतिशत अधिक है। सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 2021-22 की आलोच्य अवधि (अप्रैल से 22 सितंबर तक) में 47 प्रतिशत बढ़कर 6.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2020-21 में 4.39 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं 2019-20 (अप्रैल-22 सितंबर) के 5.53 लाख करोड़ रुपये के सकल संग्रह के मुकाबले यह 16.75 प्रतिशत अधिक है।
शेयर बाजारों में बढ़ा है विश्वास
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ पुनरुत्थान के रास्ते पर है। उन्होंने कहा कि जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि इसका पुख्ता संकेत देते हैं। सीतारमण ने यह भी कहा कि भारतीय शेयर बाजार को लेकर भरोसा बढ़ा है क्योंकि खुदरा और छोटे निवेशक अब पूरी उत्सुकता के साथ शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। वित्त मंत्री यहां संवाददाताओं को संबोधित कर रही थी। उन्होंने अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने और महामारी से पहले जैसी रफ्तार पकड़ने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मैं पुनरुत्थान के संकेत साफ देख रही हूं। पुनरूत्थान के ये संकेत अच्छे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो जीएसटी (माल एवं सेवा कर)तथा प्रत्यक्ष कराधान मामले में राजस्व संग्रह उस स्तर पर नहीं होता,जहां यह है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष कर के मामले में छमाही लक्ष्य पहले ही प्राप्त किये जा चुके हैं।
अर्थव्यवस्था में आने लगा सुधार
जाने-माने अर्थशास्त्री और पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब निचले स्तर से धीरे-धीरे ऊपर आ रही है और संगठित क्षेत्र इस साल के अंत तक महामारी-पूर्व स्थिति में आ सकता है। उन्होंने कहा कि वह पुरानी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन) की योजना के पक्ष में हैं। इससे बिजली, सड़क और रेलवे समेत विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा संपत्ति का बेहतर उपयोग होगा और सही मूल्य सामने आएगा। उन्होंने कहा, ‘‘एक अच्छी बात यह है कि अर्थव्यवस्था अब जितनी नीचे जाने थी उस स्तर से उबरने लगी है और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। संगठित क्षेत्र इस साल के अंत तक महामारी-पूर्व स्थिति में आ जाएगा।
सरकार दूसरी पीढ़ी के सुधार वाले कदम उठा रही
देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 के बाद ‘‘समस्याओं से बाहर’’ निकल चुकी है और वह दहाई अंक के साथ ही सतत उच्च विकास दर की ओर बढ़ रही है। सभी प्रमुख आर्थिक सूचकांक संकेत करते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था जितनी तेजी से नीचे गिरी थी, उतनी तेजी से अब ऊपर भी उठ रही है और अब वह कोविड-19 के पहले वाली स्थिति में पहुंच गई है। एक अग्रणी परामर्शदात्री कंपनी के अनुसार भारत अमेरिका को पीछे छोड़ विश्व में दूसरा सबसे अधिक मांग वाला विनिर्माण गंतव्य बन गया है। ग्रामीण भारत के कृषक परिवारों की स्थिति मूल्यांकन संबंधी 2019 के सर्वे के अनुसारकिसानों की आय में 59 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो प्रति परिवार 2012-13 में 6,426 रुपये प्रति महीने से बढ़कर 10,218 रुपये प्रति महीने हो गया है।