सीएमओ ने कहा टीम बनाकर की जाएगी कार्यवाही

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जल्द ही एक टीम बनाई जाएगी, यह टीम पूरे जिले में जहां झोलाछाप डाक्टरों की दुकानें चल रही हैं वहां कार्रवाई करेगी। डाॅ. ऊषा अहिरवार सीएमओ जालौन। ’आखिर क्यों है ग्रामीण इलाको में लोगो को झोलाछाप डक्टरों पर भरोसा

(मोनू शर्मा) जालौन जिले में नगर सहित आस पास के ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर्स की चांदी है. इन्होने मेडिकल प्रोफेशन को फर्जी तरीके से हाईजैक कर रखा है और उसे अपनी कमाई का जरिया बनाए हैं. झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जिले में इनकी दुकानें दिनों दिन बढ़ती जा रहीं हैं. इसका एक कारण ये भी है कि लोगों का इन पर भरोसा बढ़ता जा रहा हैं. जबकि मरीजों को न अपनी जान की परवाह है और न ही मनमानी फीस की जालौन जिले में कुछ ऐसे ही हालात ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं. जहां एक या दो नहीं बल्कि कई ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक्स खोल रखे हैं. इनके पास ना तो डिप्लोमा है ना ही डिग्री. अधकचरी जानकारी के साथ वे कई गांवों के ‘डॉक्टर साहब’ बन बैठे हैं. ग्रामीण इलाकों में अपनी कमाई का जरिया बनाए हुए झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन गलती सिर्फ झोलाछाप डॉक्टरों की नहीं है. बल्कि उन लोगो की भी हैं जो जल्द भरोसा कर लेते हैं इनके पास इलाज कराने पहुंचने वाले लोग जरुरी नहीं की अनपढ़ हैं. कई लोग पढ़े लिखे भी होते हैं. आखिर क्या कारण है कि लोग मुफ्त का इलाज छोड़कर भी पैसे देने के लिए इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं. जमीनी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण ने एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा कर लौट रहे मरीज से बात की पिरौना के एक झोलाछाप डॉक्टर से डायरिया की दवा लेकर लौट रहे बुजुर्ग मरीज से जब हमने पूछा कि वह क्यों उनके पास अपना इलाज कराने आया है. तो उसने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की स्थिति और बर्ताव ठीक नहीं होता. बुजुर्ग का आरोप है कि डॉक्टर न तो जांच करते हैं ना बात, बस दूर से देख कर दवा पर्चा लिख कर चलता कर दिया जाता है. इसलिए वे फीस देकर प्राइवेट डॉक्टरों पर दिखाना उचित समझते हैं और स्वास्थ्य केंद्र लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर है

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