अपनी आलोचना से विचलित हिमाचल सरकार ने इमेज बिल्डिंग के लिये गुपचुप तरीके से तैनात की मीडिया टीम

RAJNITIK BULLET
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Sep 04, 2021 

जय राम ठाकुर सरकार ने पहले मीडिया सलाहकार के तौर पर रोहित सावंल को नियुक्त किया था। लेकिन उन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जिस शख्स को मीडिया सलाहकार बनाया गया है। उसका नाम अभी तक सार्वजनिक करने से सरकार कतराती रही है। हालांकि उसे आबकारी एवं कराधान विभाग से बाकायदा मीडिया सलाहकार की हैसियत से वेतन मिल रहा है।

शिमला । हिमाचल की जय राम सरकार को चुनाव से ठीक एक साल पहले सोशल मीडिया में मिल रही आलोचना से कई बार असहज होना पड रहा है। जनता के दबाव के चलते अपने फैसलों पर कदम भी पीछे हटाने पड रहे है। यही वजह है कि अब सरकार अपनी छवि सुधारने के लिये गंभीर हो गई है।

जय राम ठाकुर  सरकार ने पहले मीडिया सलाहकार के तौर पर रोहित सावंल को नियुक्त किया था। लेकिन उन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जिस शख्स को मीडिया सलाहकार बनाया गया है। उसका नाम अभी तक सार्वजनिक करने से सरकार कतराती  रही है। हालांकि उसे आबकारी एवं कराधान विभाग से बाकायदा मीडिया सलाहकार की हैसियत से वेतन मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि नये बने सलाहकार पहले ही सरकार के एक ओर बोर्ड के स्टेट कन्वीनर भी हैं। सीएम ऑफिस में तैनात एक आला अधिकारी के सगे रिश्तेदार केन्द्र सरकार के विभाग से रिटायर हुये हैं ।  सवाल उठ रहा है कि क्या यह दोहरा वेतन व पेंशन एक साथ ले रहे हैं।

सरकार के कामकाज को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग देखता है। लेकिन अब विभाग में सरकार ने कुछ लोगों को तैनात किया है जो  सरकार की छवि सुधारने और सोशल मीडिया पर इमेज बिल्डिंग का काम देखेंगे। इन लोगों को टर्मिनस आधार पर नियुक्तियां दी गई हैं। मीडिया और सोशल मीडिया मैनेजमेंट के लिए नियुक्त यह लोग बिना विज्ञापन या सरकारी प्रक्रिया के नियुक्त हुये हैं। जिन पर सवाल उठने लगे हैं। यह सरकारी कामकाज से जुड़े कंटेंट तैयार कर उसे जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे।

लेकिन इन नियुक्तियों के बहाने ज्यादातर  भाजपा के ही कई पदाधिकारियों और उनके करीबियों को तरजीह मिली है। भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी के अलावा एक अखबार के संपादक के करीबी रिश्तेदार को नियुक्ति प्रदान की गई है। हैरानी की बात है कि इनका मीडिया के क्षेत्र में कोई खास अनुभव भी नहीं रहा है।

इनमें दो लोगों को संसदीय क्षेत्रों में सोशल मीडिया का कामकाज देखने का जिम्मा दिया गया है जबकि अन्य को कंटेंट राइटिंग के अलावा अन्य तरह के काम सौंपे जाएंगे। इन नियुक्त कर्मचारियों को तीस हजार से एक लाख तक का वेतन निर्धारित किया गया है।

खास बात यह है कि जिन कामों का जिम्मा इन कर्मचारियों को दिया जा रहा है उस काम को अभी तक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की भारी भरकम टीम अंजाम दे रही थी।  हालांकि इससे पहले इसी काम के लिए एक पब्लिक रिलेशन (पीआर) एजेंसी की तलाश की जा रही थी। चार पीआर एजेंसियों ने आवेदन किया और उनकी टेक्निकल स्क्रूटनी भी हो गई । लेकिन कोविड काल में करोड़ों रुपये की एक मुश्त बड़ी रकम देने पर होने वाले विवाद से बचने के लिए अब आउटसोर्स नियुक्तियों का सहारा लिया जा रहा है।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रैस्कॉन ने बताया कि जरूरत के अनुसार सरकार के निर्देश पर नियुक्तियां की गई हैं।

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