प्रत्येक विद्यार्थी को अपने जीवन में एक एक पौधा जरूर लगाना चाहिए, चंद्रकांत आर्य प्रधानधान

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(करण मुवाल)
जींद (हरियाणा)। आर्य समाज नरवाना में आर्य वीर दल के पांचवें दिन के शिविर का शुभारंभ यज्ञ हवन के द्वारा किया गया। धर्मपाल आर्य ने भजन एवं गीतों के माध्यम से ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपा सना और आराधना के साथ वीर क्रांतिकारियों के बलिदान का उल्लेख किया।
आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने विद्यार्थियों को विश्व पर्यावरण दिवस उपलक्ष में पौधारोपण करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में प्रतिवर्ष एक-एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए ,जिससे सामा जिक, सांस्कृतिक, धार्मिक जीवन मूल्यों के प्रति सजग करने के लिए चंद्रकांत आर्य के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के द्वारा से आर्य वरिष्ठ माध्य मिक विद्यालय के प्रांगण में अशोक, सतपति शीशम, लालटेनिया, इत्यादि प्रजाति के पौधों का प्रत्यारोपण किया गया। विद्यार्थियों को पेड़- पौद्दों के संरक्षण पालन पोषण करने का संकल्प भी दिलवाया गया। इस अवसर पर प्राचार्य मनोज कुमार ने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि जैसे मां अपनी संतान का लालन- पालन करती है, ठीक इसी प्रकार पृथ्वी भी मां की तरह प्राकृतिक पदार्थ के माध्यम से संपूर्ण प्राणी जगत का उद्धार और उपकार करने के लिए जीवन उपयोगी वस्तु में प्रदान करती है।
मिथिलेश शास्त्री ने विद्यार्थियों को कहा कि ध्रूवीया नाम का व्यक्ति 23 वर्ष तक पशु चराता रहा, लेकिन बाद पढ़ाना शुरू किया।
ध्रूवीया ज्ञान, बल, बुद्धि, विद्या,ओज और तेज से ध्रूवा नंद स्वामी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। आर्य समाज का महान सन्यासी बनाकर के समाज के अंदर फैली अज्ञानता और अविद्या को दूर करने में अहम योगदान दिया।
जयपाल सिंह आर्य ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिव स के उपलक्ष में पाॅलीथिन प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के लिए हम सब ने सामूहिक रूप में पालीथिन प्लास्टिक निषेध के साथ प्राकृतिक रेसों से निर्मित कपड़े के थेलें एवं अन्य समान डालने के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए।
विश्व में लगभग तीन ट्रिलि यन टन पालीथिन प्लास्टिक समुद्र में तैर रहा है। प्रतिवर्ष 80 से 120 लाख टन पाली थिन प्लास्टिक समुद्र और भूमि पर फेंका जा रहा है। इससे समुद्री जीव जंतु और जंगल तथा वनस्पतियों के जीवन को गहरा खतरा उत्प न्न हो गया है।
कार्बन डाइआक्साइड सोखने की क्षमता धीरे-धीरे समुद्र में कम हो रही है। भूताप एवं हरित प्रभाव से तटीय क्षेत्र जल मग्न हो रहे हैं। इस अवसर पर प्राचार्य सीमा, ललित, किताब सिंह, प्रताप सिंह एवं अन्य आर्यगण उपस्थित रहे।

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