एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ को मालूम है कि भारत में प्राकृतिक संपदा, संस्कृति, संस्कारों, मानवीय बौद्धिक कौशलता, धार्मिक द्दर्म निरपेक्षता, हर जाति धर्म, सहित राज्य स्तरपर हर त्यो हार व सांस्कृतिक समारोह विशालता से मिलजुल कर मनाए जाते हैं। आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 23-24 मई 2025 को नई दिल्ली में पूर्वो त्तर भारत के सात बहनों व एक भाई यांने असम अरुणा चल प्रदेश मणिपुर मेघालय मिजोरम नागालैंड त्रिपुरा और एक भाई सिक्किम मिलकर राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स सम्मिट मनाए हैं, जिसका उद्घाटन 23 मई 2025 को देरशाम माननीय पीएम ने किया था। राइजिंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 एक दो दिवसीय कार्यक्रम है,जो 23 और 24 मई को आयोजित किया है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के एजेंडेमें मंत्रिस्त रीय सत्र, बिजनेस -टू-गवर्न मेंट (बी2जी) और बिजनेस -टू-बिजनेस (बी2बी) बैठकें और एक समर्पित प्रदर्शनी क्षेत्र शामिल हैं। निवेश संवर्धन के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों में पर्यटन और आतिथ्य, कृषि- खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योग, वस्त्र, हथकरघा और हस्तशिल्प, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कौशल विकास आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएं, बुनियादी ढांचा और रसद, ऊर्जा, साथ ही मनोरं जन और खेल शामिल हैं। चूँकिदेश को जल्द ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के सेमी कंडक्टर संयंत्र में निर्मित पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिलेगी। राइ जिंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स सम्मिट 23-24 मई 2025 का आगाज- एक्ट ईस्ट,एक्ट फास्ट,एक्ट फर्स्ट इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्द्द जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,पूर्वोत्तर भारत 7 बहने एक भाई=अष्टलक्ष्मी-भारत का बेहतर भविष्य बनाने में अहम सहयोगी जो भारत के विजन 2047 को गति देगा।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा उद्घा टन समारोह में संबोधन की करें तो, पूर्वोत्तर क्षेत्र को अवसरों की भूमि के रूप में प्रस्तुत करने, वैश्विक और घरेलू निवेश को आकर्षित करने तथा प्रमुख हितधारकों, निवेशकों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाने के उद्दे श्य से पीएम ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया।
दुनियाँ के सबसे विविद्दता पूर्ण राष्ट्र के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करते हुए,उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर हमारे विविध राष्ट्र का सबसे विविद्द क्षेत्र है। उन्होंने व्यापार, परं परा, वस्त्र और पर्यटन में फैली विशाल संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की विविधता इसकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर एक संपन्न जैव- अर्थव्यवस्था और बांस उद्योग, चाय उत्पादन और पेट्रोलियम, खेल और कौशल के साथ- साथ इको-टूरिज्म के लिए एक उभरते हुए केंद्र का पर्याय है। उन्होंने आगे कहा कि यह क्षेत्र जैविक उत्पादों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है और ऊर्जा के एक पावरहाउस के रूप में खड़ा है। उन्होंने पुष्टि की कि पूर्वोत्तर अष्टलक्ष्मी का सार है, जो समृद्धि और अव सर लाता है।
उन्होंने कहा कि इस ताकत के साथ, हर पूर्वोत्तर राज्य निवेश और नेतृत्व के लिए अपनी तत्परता की घोष णा कर रहा है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्वी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए उन्हों ने पूर्वोत्तर को इसका सबसे महत्वपूर्ण घटक बताया।
उन्होंने कहा, हमारे लिए, पूर्वी क्षेत्र सिर्फ एक दिशा नहीं है, बल्कि एक दृष्टि है- सशक्त बनाना, कार्य करना, मजबूत बनाना और बदलाव लाना – जो इस क्षेत्र के लिए नीतिगत रूपरेखा को परि भाषित करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस दृष्टिकोण ने पूर्वी भारत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर को भारत के विकास पथ के मह त्वपूर्ण केंद्र में रखा है।
साथियों बात अगर हम पीएम द्वारा कही गई सबसे बड़ी पांच बातों की करें तो (1) विकसित भारत के निर्माण के लिए पूर्वी भारत का विक सित होना बहुत जरुरी है। नॉर्थईस्ट पूर्वी भारत का सबसे अहम अंग है। हमारे लिए प ईएएसटी का मतलब है – इम पावर, एक्ट, स्ट्रेंथन एंड ट्रांस फार्म, पूर्वी भारत के लिए यही हमारी सरकार की नीति है। (2) आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे केंद्रीय मंत्रियों ने 700 से ज्यादा बार नार्थईस्ट गए हैं और रात भर वहां रुके हैं। उन्होंने उस मिट्टी को मह सूस किया, लोगों की आंखों में उम्मीद देखी और उस भरोसे को विकास की नीति में बदला। (3) हमने इंफ्रास्ट्रक् चर को सिर्फ ईंट और सीमेंट से नहीं देखा, हमने उसे इमो शनल कनेक्ट का माध्यम बना या है। हम लुक ईस्ट से आगे बढ़कर एक्ट ईस्ट के मंत्र पर चले। एक समय था जब पूर्वो त्तर को सीमांत क्षेत्र माना जाता था। आज, यह भारत की विकास गाथा में अग्रणी के रूप में गर्व से खड़ा है। (4) एक तरह से नार्थईस्ट टूरिज्म के लिए एक कम्पलीट पैकेज है। अब नार्थईस्ट में विकास का लाभ कोने-कोने तक पहुंच रहा है, तो इसका भी पाजि टिव असर टूरिज्म पर पड़ रहा है। वहां पर्यटकों की संख्या दोगुनी हुई है। (5) हमारा फोकस नार्थईस्ट के युवाओं के भविष्य पर है। इसलिए हमने एक के बाद एक शांति समझौते किए। युवाओं को विकास की मुख्यधारा में आने का अवसर दिया।
पिछले 10-11 साल में 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने हथियार छोड़कर शांति का रास्ता चुना है। बता दें यह कार्यक्रम उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है,आठ पूर्वोत्तर राज्य- असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम, ऐसे राज्य हैं जिन्हें अष्टलक्ष्मी या समृद्धि के आठ रूप कहा जाता है। यानि इसका कनेक्शन सेवन सिस् टर (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा) से भी है, ये भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने – बाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अष्टलक्ष्मी महोत्सव क्षेत्र की प्रगति को प्रदर्शित करने, इसकी सांस्कृतिक संपदा का जश्न मनाने और भविष्य के विकास के लिए नए निवेश को आमंत्रित करने के लिए आयोजित होने वाला एक अहम कार्यक्रम है।
साथियों बात अगर हम मान नीय पीएम उद्घाटन संबोद्दन में अष्टलक्ष्मी के वर्णन की करें तो हमारी परंपरा में मां लक्ष्मी को सुख, आरोग्य और समृद्धि की देवी कहा जाता है। जब भी लक्ष्मी जी की पूजा होती है, तो हम उनके आठ रूपों को पूजते हैं। आदि लक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी इसी तरह भारत के पूर्वोत्तर में आठ राज्यों की अष्टलक्ष्मी विराजमान हैं। नार्थ ईस्ट के आठों राज्यों में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं। अब जैसे पहला रूप है आदि लक्ष्मी। हमारे नार्थ ईस्ट के हर राज्य में आदि संस्कृति का सशक्त विस्तार है। नार्थ ईस्ट के हर राज्य में, अपनी परंपरा अपनी संस्कृति का उत्सव मनाया जाता है। मेघा लय का चेरी ब्लासम फेस्टि वल, नागालैंड का हार्नबील फेस्टिवल, अरुणाचल का आरेंज फेस्टिवल, मिजोरम का चपचार कुट फेस्टिवल, असम का बीहू, मणिपुरी नृत्य।दूसरी लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, यानि प्राकृ तिक संसाधन का भी नार्थ ईस्ट पर भरपूर आशीर्वाद है। आप भी जानते हैं, नार्थ ईस्ट में खनिज तेल, चाय के बागान और बायो-डायवर्सिटी का अद्भुत संगम है।वहां रीन्युएबल एनर्जी का बहुत बड़ा पोटेंशियल है। धन लक्ष्मी का ये आशीर्वाद, पूरे नार्थ ईस्ट के लिए वरदान है। तीसरी लक्ष्मी धान्य लक्ष्मी की भी नार्थ ईस्ट पर भरपूर कृपा है। हमारा नार्थ ईस्ट, नैचुरल फार्मिंग के लिए, जैविक खेती के लिए, मिलेट्स के लिए प्रसिद्ध है। हमें गर्व है कि सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य है। नार्थ ईस्ट में पैदा होने वाले चावल, बांस, मसाले और औषधीय पौधे, वहां कृषि की शक्ति को दिखाते हैं। आज का भारत, दुनियाँ को हेल्दी लाइफ स्टाइल से जुड़े हुए, न्युट्रिशन से जुड़े हुए, जो सोल्यूशन देना चाहता हैउसमें नार्थ ईस्ट की बड़ी भूमिका है। अष्टलक्ष्मी की चैथी लक्ष्मी हैं, गज लक्ष्मी। गज लक्ष्मी कमल पर विराज मान हैं और उनके आसपास हाथी हैं। हमारे नार्थ ईस्ट में विशाल जंगल हैं, काजीरंगा मानस मेहाओ जैसे नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हैं वहां अद्भुत गुफाएं हैं, आकर्षक झीलें हैं। गज लक्ष्मी का आशीर्वाद नार्थ ईस्ट को दुनिया का सबसे शानदार टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने का सामर्थ्य रखता है। पांचवीं लक्ष्मी हैं, संतान लक्ष्मी यानि उत्पादकता की, क्रिएटिविटी की प्रतीक। नार्थ ईस्ट, क्रिए टिविटी के लिए स्किल के लिए जाना जाता है। जो लोग यहां एग्जीबिशन में जाएंगे, हाट- बाजार में जाएंगे। उन्हें नार्थ ईस्ट की क्रिएटिविटी दिखेगी। हैंडलूम्स का, हैंडी क्राफ्ट्स का ये हुनर सबका दिल जीत लेता है।असम का मुगा सिल्क मणिपुर का मोइ रांग फी, वांखेई फी, नागालैंड की चाखेशांग शाल। ऐसे दर्जनों हैँ जो नार्थ ईस्ट की क्राफ्ट को, क्रिएटिविटी को दिखाते हैं। अष्टलक्ष्मी की छठी लक्ष्मी है वीर लक्ष्मी। वीर लक्ष्मी यानि साहस और शक्ति का संगम। नार्थ ईस्ट, नारी-शक्ति के सामर्थ्य का प्रतीक है। मणिपुर का नुपी लान आंदोलन, महिला- शक्ति का उदाहरण है। नार्थ ईस्ट की महिलाओं ने कैसे गुलामी के विरुद्ध बिगुल फूंका था, ये हमेशा भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज रहेगा। रानी गाइदिन्ल्यु, कनकलता बरुआ, रानी इंदिरा देवी, ललनु रोपिलियानी लोक- गाथाओं से लेकर हमारी आजादी की लड़ाई तक, नार्थ ईस्ट की नारीशक्ति ने पूरे देश को प्रेरणा दी है। आज भी इस परंपरा को नार्थ ईस्ट की हमारी बेटियां समृद्ध कर रही हैं। यहां आने से पहले मैं जिन स्टाल्स में गया, वहां भी अधिकतर महिलाएं ही थीं। नार्थ ईस्ट की महिलाओं की इस उद्यमशीलता से पूरे नार्थ ईस्ट को एक ऐसी मजबूती मिलती है, जिसका कोई मुकाबला नहीं। अष्ट लक्ष्मी की सातवीं लक्ष्मी हैंजय लक्ष्मी। यानि ये यश और कीर्ति देने वाली हैं।
आज पूरे विश्व में भारत प्रति जो उम्मीदें हैं, उसमें हमारे नार्थ ईस्ट की अहम भूमिका है। आज जब भारत, अपने कल्चर, अपने ट्रेड की ग्लोबल कनेक्टिविटी पर फो कस कर रहा है तब नार्थ ईस्ट, भारत को साउथ एशिया और ईस्ट एशिया के असीम अवसरों से जोड़ता है। अष्ट लक्ष्मी की आठवीं लक्ष्मी है,विद्या लक्ष्मी यानि ज्ञान और शिक्षा। नार्थ ईस्ट को अपना पहला एम्स मिल चुका है। देश की पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी भी मणिपुर में ही बन रही है। मैरी काम, बाइचुंग भूटिया, मीराबाई चानू, लोव लीना, सरिता देवी ऐसे कितने ही स्पोर्ट्स पर्सन नार्थ ईस्ट ने देश को दिए हैं। आज नार्थ ईस्ट टेक्नोलाजी से जुड़े स्टार्ट अप्स, सर्विस सेंटर्स और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों में भी आगे आने लगा है। इनमें हजारों नौजवान काम कर रहे हैं। यानि ‘विद्या लक्ष्मी’ के रूप में ये रीजन, युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल का बड़ा केंद्र बन रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राइजिंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स सम्मिट 23-24 मई 2025 का आगाज-एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट, एक्ट फर्स्ट। देश को जल्द ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के सेमीकंडक्टर संयंत्र में निर्मित पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिलेगी। पूर्वोत्तर भारत 7 बहने एक भाई= अष्टलक्ष्मी -भारत का बेहतर भविष्य बनाने में अहम सहयोगी जो भारत के विजन 2047 को गति देगा।
देश को जल्द ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के सेमीकंडक्टर संयंत्र में निर्मित पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिलेगी।

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