एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तर पर दुनियाँ का हर देश आज आतंक वाद और भ्रष्टाचार के दंश से पीड़ित है परंतु अनेक देशों में तो आतंकवादी भ्रष्टा चार किसी एकल इकाई तक अब सीमित नहीं रहा वह टापअप से बटमअप तक या यूं कहें कि शासन वाया प्रशा सन वाया दलालों (जासूसों) के माध्यम से भ्रष्टाचार आतंक वाद का प्रचलन अति बढ़ गया है, जो अक्सर हम 40-50 पेर्सेंट लिफाफा के रूप में सुनते आ रहे हैं, यानें 1 रूपया निकलताहै तो 15 पैसा लाभा र्थी के हाथ में आता है, हालां कि आज भले ही कम स्तरपर हो परंतु है जरूर! इस तरह से आतंकवाद एक अकेला व्य क्ति नहीं कर सकता बल्कि उसके पीछे पूरी चैनल जुड़ी होती है। मेरा ऐसा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी 200 से अधिक देशों ने मिलकर एक ऐसी ट्रिटी या व्यवस्था बनानी होगी, जिसमें ऐसे देशों को आतंकवादी देश घोषित करें जो सरकारी आतंकवाद की परिभाषा में आता हो व पारदर्शी व स्वच्छ तथा अच्छे प्रशासन वाले देश की सर कारों को सरकारी सुशासन वाला देश से नवाजा जाए जिन की चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि भारत-पाक तनाव में ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमने देखा कि किस तरह मारे गए आतंकवादियों को पड़ोसी मुल्क ने अपने राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर सलामी देकर उन को खाक ए सुपुर्द, किया इस वाक्यात को पूरे विश्व ने देखा इसे कुछ लोगों ने सरकारी आतंकवाद की संज्ञादी।वैसे ही भ्रष्टाचार भी शासन प्रशा सन दलालों के गठजोड़ में भी होने की संभावना से इन कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि 40 50 पेर्सेंट लिफाफे की शुभ सुबसुबाहट इलेक्शन के दिनों में होते रहती है, इसलिए मेरा मानना है कि इन दोनों परिस्थितियों याने सरकारी आतंकवाद व भ्रष्टा चार को सभी देशों ने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कानूनों में एक द्दारा जोड़कर सरकारी आतंक वाद का संज्ञान लिया जाए। चूँकि शासन प्रशासन दलालों का मेल, सरकारी आतंकवाद का खेल। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सर कारी आतंकवाद बनाम सरकारी सुशासनवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यों ना हरदेश में शासन प्रशासन और दलालों के गठ जोड़ से किया गया भ्रष्टाचार व आतंकवाद में जमानत न होकर ट्रायल के बाद सीधा एक्विट्टल या सजा हो?
साथियों बात अगर हम सर कारी आतंकवाद को समझने की करें तो, सरकारी आतंक वाद और सरकारी सुशासन वाद में काफी अंतर है। सरकारी आतंकवाद में सरकार द्वारा अपने ही नागरिकों या अन्य देशों के नागरिकों पर हिंसक और गैरकानूनी तरीके से कार्र वाई करना शामिल होता है, जबकि सरकारी सुशासनवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की भागीदारी के साथ काम करती है।
सरकारी आतंकवाद- परि भाषा सरकार द्वारा अपने ही नागरिकों या अन्य देशों के नागरिकों पर जान बूझकर हिंसा का उपयोग करना, उन्हें डराना या धमकाना, और राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गैरकानूनी तरीके से कार्रवाई करना। उदाहरण-राजनी तिक विरोधियों का दमन, मान वाद्दि कारों का उल्लंघन, युद्ध अपराद्द, और गैरकानूनी हत्याएं। लक्ष्य – शक्ति का प्रदर्शन, विरोध को दबाना, और अपने राजनी तिक एजेंडे को लागू करना। एक प्रकार की हिंसात्मक गति विधि होती है।
अगर कोई व्यक्ति या कोई संगठन अपने आर्थिक राजनी तिक व विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए देश या देश के नागरिकों की सुरक्षा को निशाना बनाए, तो उसे आतंकवाद कहते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राज नीतिक एवं वैचारिक हिंसा भी आतंकवाद की ही श्रेणी में आती है। अब इसके तहत गैर-कानूनी हिंसा को भी आतंकवाद में शामिल कर लिया गया है। अगर इसी प्रकार की गतिविधि आपराधिक संग ठन चलाने या उसे बढ़ावा देने के लिए की जाती है तो सामा न्यतः उसे भी आतंकवाद माना जाता है। यद्यपि, इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। कुछ मतों के अनुसार आतंकवाद पन्थ से नहीं जुडा है। यह सही है दुनिया के अधिकतर से देश आतंकवाद से ग्रस्त है।
साथियों बात अगर हम सरकारी सुशासन वाद को समझने की करें तो, सुशासन क्या है? शासन का तात्पर्य शासन की सभी प्रक्रियाओं, संस्थाओं, प्रक्रियाओं और प्रथा ओं से है, जिनके माध्यम से आम चिंता के मुद्दों पर निर्णय लिया जाता है और उन्हें विनि यमित किया जाता है।
सुशासन शासन की प्रक्रिया में एक मानक या मूल्यां कनात्मक विशेषता जोड़ता है। मानवा धिकारों के दृष्टि कोण से यह मुख्य रूप से उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके द्वारा सार्वजनिक संस्थाएँ सार्वजनिक मामलों का संचालन करती हैं, सार्वज निक संसाधनों का प्रबंधन करती हैं और मानवाधिकारों की प्राप्ति की गारंटी देती हैं। यद्यपि ‘सुशासन’ की कोई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत परिभाषा नहीं है, फिर भी इस में निम्नलिखित विषय शामिल हो सकते हैं- मानव अधिकारों का पूर्ण सम्मान, कानून का शासन, प्रभावी भागीदारी, बहु -अभिनेता साझेदारी, राजनी तिक बहुलवाद, पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रियाएं और संस् थाएं, एक कुशल और प्रभावी सार्वजनिक क्षेत्र, वैधता, ज्ञान, सूचना और शिक्षा तक पहुंच, लोगों का राजनीतिक सशक्ती करण, समानता, स्थिरता, तथा दृष्टिकोण और मूल्य जो जिम्मे दारी, एकजुटता और सहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं। संक्षेप में, सुशासन का संबंध राजनीतिक और संस्थागत प्रक्रियाओं और परिणामों से है जो विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। ‘अच्छे’ शासन की असली परीक्षा यह है कि यह किस हद तक मान वाधिकारों के वादे को पूरा करता है- नागरिक, सांस्कृ तिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक अधिकार। मुख्य प्रश्न यह है- क्या शासन की संस्थाएँ स्वास्थ्य, पर्याप्त आवास, पर्याप्त भोजन, गुणव त्तापूर्ण शिक्षा, निष्पक्ष न्याय और व्यक्तिगत सुरक्षा के अद्दि कार की प्रभावी रूप से गारंटी दे रही हैं? सुशासन की प्रमुख विशेषताएं- मानवाधिकार परि षद ने सुशासन की प्रमुख विशे षताओं की पहचान की है- (1) पारदर्शिता (2) जिम्मेदारी (3) जवाबदेही (4) भाग लेना (5) जवाबदेही (लोगों की जरूरतों के प्रति) सरकारी सुशा सन वाद-सरकार द्वारा पार दर्शिता, जवाबदेही, नागरिकों की भागीदारी, और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए काम करना। उदाहरण- -भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, कानून के शासन का पालन, सामा जिक न्याय, और नागरिकों को उनकी समस्याओं के लिए समाधान प्रदान करना। लक्ष्य- नागरिकों के जीवन की गुण वत्ता में सुधार, आर्थिक विकास, औरसामाजिक न्याय की स्था पना। अंतर-हिंसा- सरकारी आतंकवाद में हिंसा का उप योग होता है, जबकि सुशासन वाद में हिंसा का उपयोग नहीं होता है। लक्ष्य- सरकारी आतं कवाद में राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है, जब कि सुशासन वाद में नागरिकों के हित को ध्यान में रखना होता है कानून- सरकारी आतं कवाद में कानून का उल्लं घन होता है, जबकि सुशासन वाद में कानून का पालन कर ना होता है। सरकारी सुशा सन वाद का अर्थ है सरकार द्वारा जनता की भलाई और विकास के लिए उचित तरीके से शासन करना। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें सर कार जनता के प्रति जवाब देह, पारदर्शी और प्रभावी ढंग से कार्य करती है, जिससे देश का विकास और नागरिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।निष्पक्षता – सरकार को सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। समानता-सरकार को सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करने चाहिए। न्याय- सरकार को न्यायपूर्ण तरीके से कार्य करना चाहिए। प्रभा वशीलता-सरकार को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करना चाहिए। सतत विकास – सरकार को विकास के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। सुशासन के फायदे- जनता में विश्वास-सुशासन जनता के विश्वास को है। आर्थिक विकास-सुशासन आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। सामाजिक विकास- सुशासन सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है।
बेहतर जीवन स्तर- सुशा सन नागरिक जीवन की गुण वत्ता में सुधार करता है। कानून का शासन – सुशासन कानून के शासन को बढ़ावा देता है। भ्रष्टाचार में कमी – सुशासन भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करता है। सुशा सन का महत्व-सुशासन देश के विकास और लोगों की भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सुशासन के माध्यम से सरकारें अपने नागरिकों को बेहतर जीवन प्रदान कर सक ती हैं और एक मजबूत, विक सित और न्यायपूर्ण समाज बना सकती हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेष विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सरकारी आतंकवाद बनाम सरकारी सुशासनवाद शासन, प्रशासन, दलालों का मेल-सरकारी आतंकवाद का खेल अंतरराष् ट्रीय स्तरपर क्यों ना हर देश में शासन, प्रशासन व दलालों के गठजोड़ से किया गया भ्रष्टाचार व आतंकवाद में जमानत न होकर ट्रायल के बाद एक्विट्टल या सजा हो।
शासन, प्रशासन, दलालों का मेल- सरकारी आतंकवाद का खेल

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