(राममिलन शर्मा)
उन्नाव। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 25 फरवरी तक जनपद के छह ब्लाक अचलगंज, औरास, बिछिया, बांगरमऊ, फतेहपुर चैरासी और हसन गंज में सर्वजन दवा सेवन (आई डीए) अभियान चलेगा जिसके तहत फाइलेरियारोधी दवा खिलाई जाएगी द्य इसी क्रम में शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में प्रेस वार्ता आयोजित हुयी।
इस मौके पर राष्ट्रीय वेक् टर जनित रोग नियंत्रण कार्य क्रम के नोडल डा. जे. आर.सिंह ने पत्रकारों को जानकारी दी कि अभियान के तहत एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को फाइलेरियारोधी दवा खिलाई जाएगी। जनपद के केवल इन छह ब्लाक में आई डीए अभियान इसलिए चलाया जा रहा है क्योंकि इन ब्लाक का माइक्रोफाइलेरिया(एमध्फ) रेट एक से ज्यादा है। पिछले साल आईडीए अभियान के सम्पन्न होने के बाद कराये गए नाईट ब्लड सर्वे में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आये थे।
फाइलेरिया एक प्रकार के कृमि परजीवी वुचेरिया बेन्क्रो फ्टी द्वारा होने वाली संक्रामक और लाइलाज बीमारी है। यह क्यूलेक्स मच्छर से फैलती है। इससे लटकने वाले अंग जैसे हाथ, पैर, महिलाओं में स्तन और पुरुषों में अंडकोष में सूजन आ जाती है। इसके साथ ही काईलूरिया भी है जिसमें पेशाब के साथ सफेद रंग का द्रव्य आना, लम्बे समय तक सूखी खांसी( ट्रोपिकल स्नोफीलिया) भी इसके लक्षण हैं। फाइलेरिया के लक्षण संक्रमण होने के पांच से 15 साल के बाद दिखाई देते हैं। इससे बचने का उपाय है कि मच्छरों के काटने से बचाना और आईडीए अभियान के तहत लगातार तीन साल तक साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना।
अभियान में मॉनिटरिंग में विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा पाथ और सामुदायिक जागरू कता में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफोर्म (पीएसपी) के माध्यम से जागरूक कर रही है वहीं प्रोजेक्ट कंसर्न इंटर नेशनल (पीसीआई) समु दायिक गतिविधियों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रही हैं।
अपर मुख्य चिकित्सा अद्दि कारी डा. हरिनंदन प्रसाद ने बताया कि छह ब्लाक की लग भग 12.36 लाख की जनसंख्या को फाइलेरियारोधी दवा खि लाने का लक्ष्य है जिसमें लग भग 6.66 लाख पुरुष और लगभग 5.70 लाख महिलाएं हैं। लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो सदस्यीय 1021 टीमों का गठन किया गया है जिसमें 2042 दवा प्रदाताओं के द्वारा फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराया जाएगा।
इसके साथ ही 204 पर्य वेक्षक नियुक्त किये गये हैं। एक टीम को 10 दिनों में 1250 लाभार्थियों के दायें हाथ की तर्जनी उंगली में मार्कर पेन से निशान लगाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने सामने खिलाना सुनिश्चित करना होगा। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है।
आशा के घर को डिपो बनाया गया है। यदि व्यक्ति दिन में घर पर दवा नहीं खा पाता है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर दवा खा सकता है। दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खानी है। स्वास् थ्य कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गयी है कि दवा बाद में खाने के लिए किसी को भी नहीं देनी है। अपने सामने ही दवा खिलाना सुनिश्चित करना है। सहायक मलेरिया अधिकारी मुकेश दीक्षित ने कहा कि दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। दवा सेवन के बाद खुजली होना, उल्टी होना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, चक्कर आना आदि समस्यायें होती हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि श रीर में फाइलेरिया के परजीवी थे। उनके मरने के परिणाम स्वरूप यह प्रतिक्रिया हुयी है। यह लक्षण कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। ऐसी किसी भी परेशानी के प्रबन्धन के लिए ब्लाक पर छह सदस्यीय रैपिड रिस्पोंस टीम(आरआरटी) गठित की गयी है।
ब्लाक फतेहपुर 84 के ग्राम माथर के ग्राम प्रधान राम बाबू ने बताया कि हम पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफार्म के सदस्य हैं जिसमें सीएचओ, अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, फाइलेरिया रोगी व कोटेदार समुदाय को जागरूक कर रहे हैं तथा अपने ग्राम पंचायत को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए जो लोग दवा नहीं खाएंगे उनको हम लोग दवा खिलाने में सहयोग करेंगे। इसके साथ ही लोगों को फाइ लेरिया के लक्षण, उपाय और बचाव के बारे में जागरूक कर रहे हैं। फाइलेरिया रोगी अनिल दीक्षित ने अपनी आप बीती बता ते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि जो मैं भुगत रहा हूं वह कोई और भी भुगते। इसलिए मैं पीएसपी से जुड़कर लोगों कौन कर रहा हूं।
इस मौके पर जिला मलेरि या इकाई के सदस्य, सीएचसी के कर्मचारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सहयोगी संस्था पाथ, सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि और पत्रकार मौजूद रहे।
आईडीए अभियान को लेकर प्रेस वार्ता आयोजित

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