जो खुद में स्थिर होते हैं हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रचते हैं

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time14 Minute, 6 Second

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया – वर्ष 1971 में आई हिंदी फीचर फिल्म कभी धूप कभी छांव का कवि प्रदीप द्वारा लिखा और गाया गीत सुख दुख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गांव,कभी धू..प तो कभी छांव, ऊपर वाला पासा फेंके नीचे चलते दांव, भले भी दिन आ..ते, जगत में बुरे भी देने आ..ते। इस गीत को मेरे हर नौजवान साथियों को एक-एक पंक्ति गंभीरता से पढ़ना और सुनना चाहि ए जो बहुत ही प्रेरणास्त्रोत है। खुशियों या सकारात्मक परिस्थितियों में तो हर व्यक्ति जीवन जीनें को आतुर रहता है, परंतु सृष्टि का यह नियम है कि हमेशा ऐसा नहीं होता, जीवन का चक्र घूमते रहता है। यदि आज सकारात्मक परिस्थितियां हैं तो कल नका रात्मक परिस्थितियां भी आ नी ही है! जिससे हमें मुका बला कर आगे बढ़ना है और स्थितियों पर परिस्थितियों से निपट कर सफलता के झंडे गाड़कर इतिहास रचना है। जो खुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रखते हैं। क्योंकि जब हम निर्भीकता से विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे त्योहिं विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से विभिन्न विचारों को समाहित करते हुए चर्चा करेंगे, आओ परिस्थितियों से लड़ कर इतिहास रचें।
साथियों बात अगर हम मानवीय जीवन में परीक्षा की घड़ी की करें तो अनुकूल परि स्थितियों में तो सभी सटी कता से जीवन यापन करने और अपने आप को सुदृढ़ और सुलझा हुआ कहने लगते हैं परंतु असली व्यक्तित्व और स टीकता का पता तो तब चलता है जब विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिरता के से मुकाब ला कर उन्हें अनुकूल बनाकर इतिहास रचते हैं। असल में हमें विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत रखना और जिंदगी में जो भी परिस्थितियां हो उसका डटकर सामना करना हमारी जिंदगी में जो भी समस्या हो उन समस्याओं का हल निकालना और उन समस्याओं का हल निकालते और लड़ते-लड़ते मर जाना बेहतर है। किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए विकट परिस्थितियों में जूजते रहेंगे तो हमारी समस्याओं का हल अपने आप निकलता रहेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए समस्याओं का निराकरण भी लाएंगे और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी बनेंगे जो लोग समस्याओं से लड़ते हैं और उसका हल निकालते हैं और डरते नहीं है वह लोग महान हैं।
साथियों बात अगर हम सटीक कहावत मानव परि स्थितियों का दास होता है और उस दास शब्द को अ स्वीकार करने की करें तो, मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए हमें सर्वप्रथम उन वजहों को समझने का प्रयास करना चाहिए जिनके चलतेये परिस्थितियाँ पैदा हुईंहैं।परिस्थितियों पर बारिकी से नजर रखते हुए सब्र के साथ परिस्थितियों का साम ना करने का प्रयास करना चाहिए। जो परिस्थितियाँ ह मारे बस में ना हों उनके लिए अधिक चिंतित हम ना हों। वे समय के साथ खुद ब खुद सामान्य हो जाएँगी। हर हालत में धैर्यवान बने रहक र ईश्वर अल्लाह (समय) पर भरोसा करना चाहिए। समय से बलवान कोई नहीं। चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति हो समय बीतने के साथ- साथ मुश्किल से मुश्किल परि स्थितियों को बदलकर सा मान्य होते देर नहीं लगतीं। कितना भी गहन अंधकार वा ली रात्रि हो कुछ पलों में सूर्योदय अवश्यंभावी है ।
साथियों इसीलिए तो कहा जाता है कि मानव परिस्थिति यों का दास होता है, कौन सी परिस्थिति कब मनुष्य को क्या करने के लिए विवश कर दें, वह स्वयं नहीं जानता क्योंकि परिस्थितियां मनुष्य के सामने दूसरा विकल्प छो ड़ती ही नहीं। परंतु हां, यदि हम स्वयं को संतुलित रखें और एक स्वस्थ मानसिकता के साथ बचपन से पोषण किया जाए तो हम परिस्थिति यों को बदल तो नहीं सकते परंतु उन परिस्थितियों का दास तत्व भी स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि जब हमें स्वयं को संभालना आताहै तो परिस्थितियों को भी संभा लना आ ही जाता है। बुरी से बुरी परिस्थितियां भी मनुष्य के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो सकती है। यदि वह उस परिस्थिति को हैंडल करना जानता हों यह बहुत कठिन काम होता है क्योंकि 1 दिन में तो कोई भी व्यक्ति यह सीख नहीं सकता ।कुछ परिस्थितियों को जहां पर हम सिर्फ कमजोर पड़ते हैं उनको तो हम हरा ही सकते हैं, हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मनुष्य को मानसिक मजबूती चाहिए और संतुलित विचारधारा चाहिए, साथ ही साथ उसका मानसिक पोषण ऐसा होना चाहिए कि हर परिस्थिति को देखने का एक सकारात्मक दृष्टिकोण हो तब वह किसी भी परिस्थिति को फेस करने में बिल्कुल भी घबराए नहीं क्योंकि जो होना है वह तो होकर ही रहेगा प रंतु उससे बाहर आने के लिए वह व्यक्ति कभी गुम नहीं होगा बल्कि उन परिस्थितियों को फिर किसी के जीवन में ना आए इस पर काम करेगा, यही तो होता है एक मनुष्य की ताकत अगर वह चाह ले तो उसे कोई भी परास्त नहीं कर सकता।
साथियों वह नियति हो या फिर परिस्थिति कोई फर्क नहीं पड़ता और जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं। जिस तरह से हम अच्छे वक्त को संभालना बचपन से जानते हैं, उसी तरीके से हमें बुरे वक्त को भी संभालना सीखना चाहिए किस तरीकेसे हम इनको संभाले कि यह परिस्थितियां कभी भी हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिति ना क्रिएट करें की हम टूट कर बिखर जाएं यदि टूट कर बिखर भी जाएं तो स्वयं को जोड़कर पुनः खड़ा होने की हिम्मत अपने अंदर रखनी चाहिए। जीवन में जीवन से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होता परंतु अक्सर देखा जाता है कि इंसान छोटी-छोटी बातों को लेकर के भी आत्म हत्या कर लेता है या फिर कोई ऐसा कदम उठा लेता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते इन्हीं सब से नि पटने के लिए हमें स्वयं को मानसिक रूप से सबल बनाना होता है।
साथियों बात अगर हम विपरीत परिस्थितियों को हावी ना होने देने की करें तो, जब भी हम अपने जीवन में कम जोर होते हैं, चाहे वह कम जोरी शारीरिक हो आर्थिक हो या मानसिक हो, उस वक्त हमारा मन दुर्बल होता है तथा हम परिस्थितियों से संघर्ष करने में कमजोर होते हैं। अतः ऐसी स्थिति में हमारे ऊपर परिस्थितियों को हम हावी होने देते हैं यदि हम चाहते हैं कि हमारे ऊपर परि स्थितियां हावी ना हो तो हम को अपने आप को मानसिक रूप से बहुत सफल बनाए रखना होगा। जिंदगी में कहीं बार ऐसे पड़ाव, वक्त आता हैं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं समझ में ही नहीं आता ! उस परिस्थितियों में हमको सब्र रखना हैं, खुद से बातें करना हैं, खुद को एकांत में लाने का प्रयास क रना चाहिए, क्योंकि यहीं वह समय हैं जब हम खुद कों समझ सकते हैं, हमारे अंदर रहा सामर्थ्य को पहचान सक ते हैं, हमारी क्षमता को समझ सकते हैं, और जरूरी हैं सका रात्मक बने रहना। प्रतिकूल परिस्थितियों में अगर हमारा अपने दिल और दिमाग पर काबू है तो हमको किसी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो सबसे पहले हमको स्ट्रांग रखने के लिए अपने दिल और दिमाग को अपने काबू में रखना पड़ेगा अगर वह काबू में आ गए तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर पाएंगे।
साथियों बात अगर हम खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदलकर इतिहास रचने की करें तो, हमें ऐसे व्यक्ति बननां है जो परिस्थितियों के अनुसार खुद नही बल्कि खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदल डाले इसलिए पुनः प्रया स करें और तब तक करते रहें जब तक हम उस परिस्थि ति को बदल न दे। हमें अप नी परिस्थिति को सुधारने का भरसक प्रयत्न करना और उसके मार्ग में आने वाले सं कटों का धैर्यपूर्वक मुकाबला करना चाहिए, पर यदि प्रय त्नों के बावजूद हमारी आकाँक्षा और इच्छाओं के अनुसार हमा री परिस्थिति में किसी अज्ञात कारणवश शीघ्र वाँछित परि वर्तन या सुधार नहीं होता है, तो हमें घबराकर प्रयत्नों को नहीं छोड़ देना चाहिए बल्कि दुगने उत्साह के साथ हमें अपने उद्देश्य-प्राप्ति में जुटे रहना चाहिए। ऐसे समय में हमें अपने आत्म मित्र एवं हि तचिंतकों से इस विषय में परामर्श और मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए संभव है उनकी सूझबूझ और सहायता से हमारे संकट का निवारण हो जाए। समस्या को हम अपने परिवार के सद स्यों के सन्मुख उपस्थित कर उनकी सलाह भी ले सकते है। इस प्रकार हमें कहीं न कहीं से ऐसे प्रेरक विचार मिल जायेंगे, जिनके द्वारा हम अपनी परिस्थितियों को बदल सकेंगे। साथियों जीवन एक संग्राम है। इसमें वही व्यक्ति विजय प्राप्त कर सकता है, जो या तो परिस्थिति के अनु कूल अपने को ढाल लेता है या जो अपने पुरुषार्थ के बल पर परिस्थिति को बदल देता है। हम इन दोनों में से किसी भी एक मार्ग का या समय अनुसार दोनों मार्गों का उप योग कर जीवन-संग्राम में विजयी हो सकते हैं। परिस्थि तियां बनती-बिगड़ती रहती है। ऐसे में विपरीत परिस्थिति यों से कभी नहीं घबराएं। उनके साथ ताल-मेल बिठाएं और मन में धैर्य को स्थान दे। अपने अंदर करुणा, दया, प्रेम, आत्मीयता एवं सहानुभू ति जैसे सद्गुणों का विका स करें। सात्विक विचारों के साथ-साथ सोच को सका रात्मक बनाएं सत्कर्म को बढ़ावादे परिस्थितियां अपने आप अनुकूल बनती चली जा एगी। विकट परिस्थितियां हमारे संघर्ष को और पक्का करती हैं। स्वयं पर विश्वास रख कर आगे बढ़े, हर समय आप रो नहीं सकते हैं। हमको उन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना होगा।
धीरज, धर्म, मित्र, अरु नारी। आपतिकाल परखिए चारी
रामायण की इस चैपाई को हम अहर्निश ध्यान में र खते हुए आने वाली हर मुसी बत का निर्भीकता और दृढ़ता के साथ सामना कर सकते है। आप देखेंगे कि ज्यों ही हम विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे, त्यों ही विपत्तियाँ दुम दबाकर भाग खड़ी होंगी, संकटों के सब बादल छँट जाएंगे और परिस्थिति निष्कंटक होकर हमारे लिए अनुकूल हो जायगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, आओ परिस्थिति यों से लड़कर इतिहास रचें। जो खुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास र चते हैं। जब हम निर्भयता से विपत्तियों का मुकाबला करने कटिबद्ध होंगे, त्यों ही विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी।

Next Post

पराक्रम दिवस के अवसर पर जगह-जगह टीबी मुक्त अभियान की शपथ दिलाई गई

(राममिलन […]
👉