नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित करने की योजनाएं बनाना जरूरी

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time13 Minute, 46 Second

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर भारतीय नारी की गाथा बहुत ही सम्मानजनक रूप से गाई जाती है, क्योंकि आदि अनादि काल से ही भारतीय नारी शक्ति की अनेक मान्यता प्राप्त कहानियों कथाओं से भी हमें पता चलता है कि नारी शक्ति की शक्ति तो देवी-देवताओं को भी करनी पड़ी थी, हम तो इस कलयुग में इंसान मात्र हैं। इसलिए हमें चाहिए कि नारी शक्ति का सम्मान कर उनको कार्यबल प्रदान करें जिसको भारत के विकास में प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित कर एक फरवरी 2025 को आने वाले बजट में ऐसी योज नाओं स्कीमों को लाया जाना चाहिए ताकि नारी शक्ति को कार्य बल में उचित भागीदारी मिले और भारत के तेजी से विकसित हो रहे पथ को अधि क तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।
साथियों बात अगर हाल ही में आई एक रिपोर्ट की करें तो सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बना ने का लक्ष्य रखा है। द नज इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने और भारतीय अर्थव्यव स्था में 14 लाख करोड़ रुपये का योगदान देने के लिए श्रम बल में 40 करोड़ अतिरिक्त महिलाएं जोड़नी होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2047 तक वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 37 प्रतिशत को लगभग दोगुना बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत होगी। पिछले कुछ वर्षों के आवधिक श्रम बल स र्वेक्षण (पीएलएफएस) पर आ धारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2047 तक 30 लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य रखा है।
साथियों बात अगर हम नारी शक्ति को कार्यबल के रूप में चिन्हित करने की करें तो, हमने कई क्षेत्रों में देखे हैं कि नारी कार्यबल अपेक्षाकृत रूप से अधिक सशक्त व प्रभा वी रिजल्ट देता है। हम अगर नर नारी के कार्यबल की गुण वत्ता का विश्लेषण करें तो, मेरा मानना है कि नारी बल गुणवत्ता में अधिक कुशल दि खेगा। जिसका मैंने खुद ने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर सत्यता परखी है। मैंने अनेक शोरूम आॅफिसेस दवाखाना वकील सीए अनेक प्रोफेशनल जगह कंपनियों में वहां के प्रमुख सं चालकों, मैनेजरों अधिकृत व्यव स्थापकों से बात की तो उन्होंने भी नारी कार्यबल को अपेक्षा कृत अधिक सशक्त इमानदार रेगुलर जिम्मेदार जवाबदेही में अवल बताया और नारी कार्य बल को प्राथमिकता देने की बात स्वीकार की, क्योंकि नकारात्मक आदतें नारी कार्य बल में नहीं देखने को मिलती जितनी नर कार्यबल में देखने को मिलती है। उसी तरह ने तृत्व शक्ति में भी नारी कार्यबल अधिक उच्च गुणवत्ता में अग्र णी ही है इसका उदाहरण हमें वैश्विक स्तरपर मूल भारतीय महिलाओं कल्पना चावला कमला हैरिस सहित अनेकों का नाम लिया जा सकता है।
साथियों बात अगर हम 1 फरवरी 2025 को आने वाले बजट में नारी शक्ति कार्यबल के एंगल से देखें तो आज इसकी कार्य शक्ति बढ़ाने के लिए अधिक बजट एलोकेश न की आवश्यकता है। कुछ ऐसी योजनाएं, इंसेंटिव, छूट दी जानी चाहिए ताकि नारी कार्यबल को प्राथमिकता दिए जाने पर प्रोत्साहन मिले। वैसे भी हम अभी अनेकों निजी कंपनियों में देखते हैं कि वहां नारी कार्यबल को प्राथमिकता दी जाती है जो वर्तमान समय की जरूरत भी है अब वक्त आ गया है कि नारी शक्ति के कार्य बल को बढ़ाने आरक्षण का बंधन भी तोड़ने की जरूरत है और उच्च कौशल्या के आधार पर नारी कार्यबल की सेवा राजनीतिक, औद्योगि क शैक्षणिक सहित हर क्षेत्र में ली जानी चाहिए। भारतीय कौशल नारी सबपर भारी की थींम को आगे बढ़ाया जाए।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा अनेक स्थानों पर अनेक संबोधनों में उन्होंने भी, नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित किया और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को और सक्षम बनाने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया, एक मीटिंग में विचार-विमर्श वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत का विकास और दृढ़ता विषय पर आधारित था। अपनी टिप्पणी में कहा कि, जहां जोखिम थे, वहीं उभरता हुआ वैश्विक वाता वरण डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और विविध अवसर प्रदान करता है। इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए, सार्व जनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल का लाभ उठाने और लीक से हटकर सोचने की जरूरत है। उन्हों ने भारत डिजिटल की सफल ता की गाथा और देश भर में फिनटेक को तेजी से अपनाने, और समा वेशी विकास और इसके दृढ़ संकल्प की क्षमता की सराहना की। बैठक में प्रति भागियों ने उन तरीकों पर व्या वहारिक उपायों की पेशकश की, जिन से भारत अपने वि कास की गति को विवेकपूर्ण ढंग से बनाए रख सकता है। कृषि से लेकर विनिर्माण तक विविध विषयों पर प्रधानमंत्री के साथ विचार और सुझाव साझा किए गए। यह स्वीकार करते हुए कि अंतर्निहित वैश्वि क प्रतिकू लताएं जारी रहने की संभावना है, भारत की दृढ़ता को और मजबूत करने के लिए रण नीतिक सिफारिशें भी साझा की गईं। इस बात पर सहमति कायम हुई कि अपने लचीले पन के कारण, भारत अशांत वैश्विक मंच पर एक उज्ज्वल स्थान बनाकर उभरा है। यह सुझाव दिया गया था कि सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के मा ध्यम से इस नींव पर नए सिरे से विकास पर जोर देने की आवश्यकता होगी। हर नारी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर पाये , अपने अरमानो को पंख लगाने का जज्बा रखे और उन्हें पूरा करने का होंसला रखे । किसी से कोई खैरात नहीं, कोई पक्षपात नहीं, अप ने बलबूते पर मंजिल हांसिल करने माद्दा रखे। साथियों बात अगर हम बड़ी संख्या में अभी भी महिलाओं की वर्तमान स्थिति की करें तो, वर्तमान युग में महिलाओं को मात्र भोग विलास की वस्तु बनाकर रख दिया गया है। जिसका मूल काम घर में रहकर चूल्हा चैका करना तथा परिवार की देखभाल करना रह गया है। आज के समय जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं का कुछ ऐसा वर्ग भी है जिन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए हर कि सी को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। जब तक हम अपनी मानसिक ता को नहीं बदलकर स्त्रियों को साथ नहीं लेंगे तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उसके वि कास में पुरुष तथा स्त्रियों का समान प्रयास हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे स्त्रियों के विकास का अनुपात कम होता गया वैसे वैसे भारत का गौरव भी धूमिल पड़ता गया। भारतीय महिलाओं का इतिहास में योगदान अप्रतिम रहा है। सिर्फ स्वाधीनता संग्राम के समय को देखा जाए तो भारतीय महिलाओं का योग दान अगणनीय ही प्राप्त होगा। स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजया लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु, सुचेता कृपलानी, मणी बेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे आकर अपना अप्रतिम योगदान दिया।
साथियों बात अगर हम महिलाओं में गाॅड गिफ्टेड वि शेषज्ञता की करें तो, भारतीय महिलाएँ ऊर्जावान, दूरदर्शी और सभी बाधाओं और चुनौ तियों के बावजूद अपने जीवन में सफलता की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए हमेशा जोश और प्रतिबद्धता से भरी रहती हैं! भारत के प्रथम नोबेल पुर स्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में, हमारे लिए, महि लाएँ न केवल घर की अग्नि की देवी हैं, बल्कि आत्मा की ज्वाला भी हैं। महिलाएँ कभी हार न मानने वाली भावना का एक बेहतरीन उदाहरण हैं और अनादि काल से मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महि ला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने समाज के लिए बड़े और बेहतर उदाहरण स्थापित करने के लिए इस अवसर पर आगे बढ़ने में अक थनीय दृढ़ संकल्प और भावना दिखाई है। हम 2030 तक पृथ्वी को रहने के लिए एक बेहतर स्थान बनाने के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडी जी) को प्राप्त करने के लिए कार्रवाई के दशक में प्रवेश कर चुके हैं। लैंगिक समान ता और सभी महिलाओं और लड़कियों का सशक्तीकरण भी प्रमुख एसडीजी में से एक है। सतत भविष्य के लिए जल वायु संकट प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा, और स मावेशी आर्थिक और सामा जिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की भागी दारी बहुत मायने रखती है, जिसमें समाज के कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर विशेष जोर दिया जाता है। जो बात उन्हें हमारे लिए असली रोल माॅडल बनाती है, वह यह है कि वे उत्कृष्टता, मान्यता और सम्मान प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों में सभी बाधाओं को पार कर जाती हैं। उनके जन्मजात नेतृत्व गुण उन्हें किसी भी समाज के लिए एक संपत्ति बनाते हैं। प्रसिद्ध अमेरिकी धार्मिक नेता ब्रिघम यंग ने सही कहा कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक आदमी को शि क्षित करते हैं। जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो आप एक पीढ़ी को शि क्षित करते हैं। इसलिए, यह उचित है कि इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बजट 2025 में नारी शक्ति को चिन्हित कर कार्यब ल में भागीदारी की योजनाएं, स्कीम लाना समय की मांग। भारतीय कौशल नारी सब पर भारी-आओ नारी शक्ति को भारत की सफलता की गाथा बनाएं। नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित करने की योजनाएं बनाना जरूरी है।

Next Post

E-PAPER 11 JANUARY 2025

CLICK […]
👉