विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर 2 माह के भीतर दूसरा मौका मिलेगा, फिर भी फेल हुआ तो रोक दिया जाएगा पर निष्कासन नहीं

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर न केवल मानवीय जीव के लिए शिक्षा ग्रहण करना उसकी सफलता की कुंजी है बल्कि उसने संपूर्ण राष्ट्र के लिए भी विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ऐसा माना जाएगा जैसे भारत को विजन 2047 में हर व्यक्ति के शिक्षित होने से इस विजन को एक महत्व पूर्ण योगदान मिलेगा इसलिए ही केंद्र व राज्य सरकारें शिक्षा पर दो जोर दे रही है गुणवत्ता शिक्षा के लिए अनेक रणनीति यां बनाई जा रही है, इसी दिशा में केंद्रीय शिक्षा मंत्रा लय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बीती दिनांक 21 दिसंबर 2024 को भारत के गजट में 16 दिसंबर 2024 की आधिसूचना को प्रकाशित किया है, जिसमें अब नो डि टेंशन पाॅलिसी को समाप्त कर दिया गया है, जिसमें अब 5 वीं व 8 वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले वि द्यार्थीयों को अब पास नहीं किया जाएगा। हालांकि दो माह के अंदर दूसरी परीक्षा ली जाएगी, परंतु अगर उसमें भी वह फेल हो जाता है तो उसे उसी कक्ष में रोक दिया जाएगा परंतु निष्कासित नहीं किया जा सकता। हालांकि 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद 16 राज्यों ने पहले से ही फेल नहीं करने की नीति को स माप्त कर दिया था, क्योंकि शिक्षा यह राज्य का विषय है परंतु अब केंद्र सरकार ने भी अधिसूचना जारी कर फेल को फेल ही रहने देने की अधि सूचना जारी कर दी है। चूँकि बच्चों की गुणवत्ता शिक्षा सुनि श्चित करने की दिशा में बड़ी पहल है शिक्षक वह अभिभा वक पढ़ाई में महत्वपूर्ण मार्ग दर्शन करेंगे, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आ र्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का शिक्षा के स्तर में सुधारो की दिशा में बड़ा कदम, अब 5वी से 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल विद्यार्थी फेल ही रहेंगे। साथियों बात अगर हम बीती दिनांक 21 दिसंबर 2024 को जारी केंद्रीय गजट में अधि सूचना की करें तो,अब पांचवीं और आठवीं क्लास की परीक्षा में फेल होनेवाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। सरकार ने निः शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनिय म-2009 में संशोधन किया है। सरकार ने नो डिटेंशन पाॅलिसी खत्म कर दी है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला करते हुए नो डिटेंशन पाॅलिसी को खत्म कर दिया। अब कक्षा 5 वीं और 8 वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को पास नहीं किया जाएगा। पहले फेल होने वाले छात्रों को पास कर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। फेल होने वाले छात्रों को दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। अगर कोई छात्र दोबारा फेल होता है तो उसे प्रमोट नहीं किया जाएगा। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बच्चे को रोके रखने के दौरान शिक्ष क बच्चे के साथ-साथ यदि आवश्यक हो तो अभिभावक का भी मार्गदर्शन करेंगे। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी स्कूल से नहीं निकाला जाए गा। शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार यह नियम केंद्रीय विद्यालयों, न वोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वा रा संचालित 3 हजार से अ धिक स्कूलों पर लागू होगा। वहीं मंत्रालय के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं पहले ही 16 राज्यों और दिल्ली सहित 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पाॅलिसी को पहले ही खत्म कर दिया है।
साथियों बात अगर हम अधिसूचना को समझने की करें तो, एक गजट अधिसूचना के अनुसार, नियमित परीक्षा के आयोजन के बाद, यदि कोई बच्चा समय-समय पर अधिसूचित पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रह ता है, तो उसे दो महीने की अवधि के भीतर अतिरिक्त नि र्देश और पुनः परीक्षा का अवस र दिया जाएगा अधिसूचना में कहा गया है, यदि पुनः परीक्षा में बैठने वाला बच्चा फिर से पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे पांचवीं कक्षा या आठवीं कक्षा में रोक दिया जाएगा, जैसा भी मामला हो। बच्चे को रोके रखने के दौरान, कक्षा शिक्षक बच्चे के साथ-साथ यदि आवश्यक हो तो बच्चे के माता-पिता का मार्गदर्शन करेगा और मूल्यांकन के वि भिन्न चरणों में सीखने के अंतराल की पहचान करने के बाद विशेष जानकारी प्र दान करेगा हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि शेष राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने नीति को जारी रखने का फैसला किया है। राजपत्र अधिसूचना के अनुसार नियमित परीक्षा के आयोजन के बाद यदि कोई बच्चा समय-समय पर अधि सूचित पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है तो उसे परिणाम की घोषणा की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर अतिरिक्त नि र्देश और पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। साथ ही कहा गया है कि यदि पुनः परीक्षा में बैठने वाला छात्र पदोन्नति (अगली कक्षा में जाने की अर्हता) के मानदंडों को पूरा करने में असफल रहता है तो उसे पांचवीं या आठवीं कक्षा में ही रोक दिया जाएगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी हो ने तक स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुता बिक फेल होने वाले स्टूडेंट्स को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा फेल होते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि जिस क्लास में वो पढ़ रहे थे उसी में दोबारा पढ़ेंगे। सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा। बता दें 2016 में सें ट्रल एडवाइजरी बोर्ड आॅफ एजुकेशन ने ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट मिनिस्ट्री को नो डिटेंशन पाॅलिसी हटाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि इस पाॅलिसी के वजह से स्टूडेंट्स के सीखने का स्त र गिर रहा है। नो डिटेंशन पाॅलिसी के अंतर्गत स्टूडेंट्स का मूल्यांकन करने के लिए टीचर्स के पास पर्याप्त साधन नहीं थे। ज्यादातर माम लों में स्टूडेंट्स का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता था। देशभर में 10 पेर्सेंट से भी कम स्कूलों में पाॅलिसी के हिसाब से टीचर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पाया गया। पाॅलिसी में मुख्य रूप से एलिमेन्ट्री एजुकेशन में स्टूडेंट्स का एरोल्मेंट बढ़ाने पर फोकस किया गया जबकि बेसिक शिक्षा का स्तर गिरता रहा। इससे स्टूडेंट्स पढ़ाई को लेकर लापरवाह हो गए क्योंकि अब उन्हें फेल होने का डर नहीं था। 2016 की एनुअल एजुकेशन रिपोर्ट के अनुसार क्लास 5 वीं के 48 पेर्सेंट से कम स्टूडेंट्स ही दूसरी क्लास का सिलेबस प ढ़ पाते हैं। ग्रामीण स्कूलों में आठवीं क्लास के सिर्फ 43 पेर्सेंट स्टूडेंट्स ही सिम्पल डिवीजन कर सकते हैं। 5 वीं क्लास में चार में से सिर्फ एक स्टूडेंट ही अंग्रेजी का वाक्य पढ़ सकता है।
कई राज्यों और केंद्र शा सित प्रदेशों ने प्रारंभिक शिक्षा पर आर्टिकल 16 के इस असर को लेकर चिंता जताई थी। शिक्षा पर टीएसआर सुब्रमण्यम कमेटी और सीएबीसी के तह त बनाई गई वासुदेव देवना नी कमेटी ने भी नो डिटेंशन पाॅलिसी को रद्द करने की सि फारिश की थी। नो डिटेंशन पाॅलिसी राइट टू एजुकेशन 2009 का हिस्सा थी। ये सरकार की पहल थी जिससे भारत में शिक्षा की स्थिति में सुधार हो सके। इसका उद्देश्य था कि बच्चों को शिक्षा के लिए बेहतर माहौल दिया जा सके ताकि वो स्कूल आते रहें। फेल होने से स्टूडेंट्स के आत्मसम्मान को ठेस पहुं च सकती है। साथ ही फेल होने से बच्चे शर्म भी महसूस करते हैं जिससे पढ़ाई में वो पिछड़ सकते हैं। इसलिए नो डिटेंशन पाॅलिसी लाई गई जिसमें 8वीं तक के बच्चों को फेल नहीं किया जाता। 2018 में लोकसभा में बिल पास हुआ था जुलाई 2018 में लोकसभा में राइट टु एजु केशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने की बात थी। इसके अनुसार 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी। इसी के साथ फेल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए दो महीने के अंदर री-एग्जाम कराने की भी बात थी। 2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद राज्य सर कारों को ये हक था कि वो नो डिटेंशन पाॅलिसी हटा स कते हैं या लागू रख सकते हैं। यानी राज्य सरकार ये फैसला ले सकती थीं कि 5 वीं और 8 वीं में फेल होने पर छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रा लय का शिक्षा के स्तर में सुधार की दिशा में बड़ा कदम -अब 5 वीं से 8 वीं की वा र्षिक परीक्षा में फेल विद्यार्थी फेल ही रहेंगे। बच्चों की गुण वत्ता शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ी पहल- शिक्षक व अभिभावक पढ़ाई में मार्गदर्शन करेंगे। विद्यार्थि यों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर 2 माह के भीतर दूस रा मौका मिलेगा, फिर भी फेल हुआ तो रोक दिया जा एगा पर निष्काशन नहीं होगा।

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