हर बृहस्पतिवार लगेगी एएनसी क्लीनिक – महानिदेशक परिवार कल्याण

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time4 Minute, 22 Second

(राममिलन शर्मा)
लखनऊ। हर बृहस्पतिवार को प्रदेश के सभी उपकेन्द्र आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) क्लीनिक का आयोजन होगा। इस सम्बन्ध में महानिदेशक परिवार कल्याण डा. सुषमा सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिख कर निर्देश जारी किये हैं।
पत्र के अनुसार सभी उप केन्द्र जहाँ एएनएम् बैठती हैं वहां एएनएम के सहयोग से और जहाँ सामुदायिक स्वस्थ्य अधिकारी (सीएचओ) बैठते हैं वहां उनके सहयोग से सुबह नौ से शाम चार बजे तक ए एनसी क्लिनिक का आयोजन होगा। गर्भावस्था का पंजीकरण एवं जांचें, आयरन, फोलिक एसिड (आईएफए) एवं कैल्शि यम, एल्बेंडाजोल की गोलियों का वितरण और सेवन का तरीका तथा लाभ के बारे में बताया जायेगा। इसके साथ ही टिटनेस तथा व्यस्क डिप्थी रिया के टीकों के लाभ के बारे में बताया जायेगा तथा लगाये भी जायेंगे।
शारीरिक जांचें जैसे- पेशाब की जांच, हीमोग्लोबिन की जाँच, एचाईवी की जांच, हिपेटाईटिस बी एवं सिफलिस की जांचें, ब्लड शुगर की जाँच, गर्भ में शिशु की स्थिति, उस की वृद्धि एवं दिल की धड़कन की जाँच।
इसके साथ ही उच्च जो खिम गर्भावस्था की पहचान कर उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर संदर्भित किया जायेगा तथा उच्च स्वास्थ्य इकाई पर जाने तक टेली कंसल्टेंसी की सुविद्दा दी जाएगी।
इसके अलावा गर्भवती को दवाओं के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव, कम से कम चार प्रसव पूर्व जांचें, गर्भावस्था एवं प्रसवो त्तर देखभाल, पौष्टिक आहार एवं आराम के लाभ, खतरे के लक्षणों की पहचान, संस्थागत प्रसव के लाभ और घर पर प्रसव के नुकसान, घरेलू हिंसा एवं उसका बच्चे पर प्रभाव, प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य, प्रसव पूर्व तैयारी जिसमें प्रसव का स्थान, प्रसव सहायक की पहचान, घर पर बच्चों और पशुओं की देखभाल के लिए व्यक्ति की पहचान, परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था आदि के बारे में बता या जायेगा। गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे तो इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे पर पड़ता है इसके बारे में भी परामर्श दिया जायेगा। गर्भवती को शीघ्र एवं छह माह तक केवल स्तनपान कराने, नवजात शिशु की देख भाल एवं टीकाकरण तथा परिवार नियोजन सम्बन्धी भी सलाह दी जायेगी।
एसोसिएट प्रोफेसर डा. मालविका मिश्रा, महिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डा. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज बताती हैं कि गर्भ धारण करते ही जितनी जल्दी महिला का पंजीकरण हो जाये और वह जितनी जल्दी वह स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपनी जांचें करा ले तो काफी हद तक गर्भ वती की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का प्रबन्धन किया जा सकता है और किसी भी अनहोनी को रोका जा सकता है। क्या कहते हैं आंकड़े ?
मार्च 2022 में प्रकाशित एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) के आंकड़ों के अनुसार देश की मातृ मृत्यु दर 103 है जबकि प्रदेश की मातृ मृत्यु दर 167 है।

👉