एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर कोविड महामारी की भारी विपत्ति से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाओं पर भारी असर पड़ा है, जिससे उबरने से बहुत समय लग सकता है, परंतु यह एक सुखद परिणाम दिख रहा है कि कोविड के समय से ब्लॉकेज हुई डिमांड खत्म हो गई है, यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दुनियाँ के करीब करीब सभी देशों की अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से फिर जुड़ रही है। भारत की जीडीपी ग्रोथ 2025-26 में 6.5 प्रतिशत तो वहीं विकास दर 24-25 में 7 प्रतिशत रह ने का अनुमान व्यक्त की गई है। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान 2024 वाशिंगटन अमेरिका से जारी किया है। विशेषज्ञों ने रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि, भारत दुनियाँ की अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक तेजी से बढ़ रही है क्योंकि अनेक देशों सहित भारत की अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ का बड़ा बयान आया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 190 देशों के ऋणदाता संगठन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान 2024 वाशिंगटन अमेरिका में जारी किया गया है। साथियों बात अगर हम 190 देश के ऋणदाता संगठन आईएमएफ द्वारा 23 अक्टूबर 2024 को जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान 20 24 कों समझने करें तो आई एमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है, कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 फीसदी रहने की संभावना है। आईएमएफ ने आगे कहा कि जहां भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2023 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7 प्रतिशत पर आ गई थी वहीं, अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यह 6.5 फीसदी निर्धारित की गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में आईएमएफ ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई काफी हद तक जीत ली गई है, हालांकि कुछ देशों में अभी भी दबाव बना हुआ है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2022 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद, अब 2025 के अंत तक मुद्रास्फीति दर 3.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2000 और 2019 के बीच 3.6 प्रतिशत के औसत स्तर से नीचे है। यहां जारी वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान लगाया गया है कि 2024-2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी, हालांकि कुछ देशों, विशेष रूप से निम्न आय वाले विकासशील देशों में वृद्धि दर में काफी कमी देखी गई है। आईएमएफ ने विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा कि भारत में जीडीपी वृद्धि दर, महामारी के दौरान जो दबी हुई मांग थी वह अब खत्म हो रही है और अर्थव्यवस्था अपने क्षमता के मुताबिक अब ग्रोथ दिखा रही है।
साथियों बात अगर हम आईएमएफ की विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान रिपोर्ट 20 24 में भारत अमेरिका सहित अन्य देशों की बात की करें तो, विकसित देशों की अर्थव्यव स्थाओं में संयुक्त राज्य अमेरिका में विकास दर मजबूत है, जो इस वर्ष 2.8 प्रतिशत है, लेकि न 2025 में यह अपनी क्षमता पर वापस आ जाएगी। यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए, अगले साल मामूली वृद्धि की उम्मीद है, उत्पादन क्षमता के करी ब है, कहा कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विकास का दृष्टिकोण बहुत स्थिर है, इस साल और अगले साल लगभग 4.2 प्रति शत, उभरते एशिया से लगा तार मजबूत प्रदर्शन जारी है। मुद्रास्फीति पर अच्छी खबरों के बावजूद, नकारात्मक जो खिम बढ़ रहे हैं और अब यह दृष्टिकोण पर हावी हो गया है। क्षेत्रीय संघर्षों में वृद्धि, विशेष रूप से मध्य पूर्व में, कमोडिटी बाजारों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है। आगे कहा कि अवांछनीय व्यापार और औद्योगिक नीतियों की ओर बदलाव हमारे आधारभूत पूर्वानुमान की तुलना में उत्पादन को काफी कम कर सकता है। मौद्रिक नीति लंबे समय तक बहुत सख्त रह सकती है, और वैश्विक वित्तीय स्थितियां अचानक सख्त हो सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को इस साल अमेरिका के लिए अपने आर्थिक परिदृश्य को उन्नत किया, जबकि यूरोप और चीन में वृद्धि की अपनी उम्मीदों को कम किया। इसने 2024 के लिए वैश्विक वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को अपे क्षाकृत मंद 3.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखाआईएमएफ को उम्मीद है कि दुनिया की सबसे बड़ी अमेरिकी अर्थव्य वस्था इस साल 2.8 प्रतिशत बढ़ेगी, जो 2023 में 2.9 प्रति शत से थोड़ी कम है, लेकि न जुलाई में 2024 के लिए 2.6 प्रतिशत के पूर्वानुमान से बेहतर है। संयुक्त राज्य अमेरिका में विकास का नेतृत्व मजबूत उपभोक्ता खर्च द्वारा किया गया है, जो मुद्रास्फीति समायोजित मजदूरी में स्वस्थ लाभ से प्रेरित है। दुनियाँ भर में मुद्रास्फीति 2023 में 6.7 प्रतिशत से घटकर इस साल 5.8 प्रतिशत और 2025 में 4.3 प्रतिशत रह गई है। दुनियाँ के धनी देशों में यह और भी तेजी से गिर रही है, पिछले साल 4.6 प्रतिशत से घटकर इस साल 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है और 2025 में अधिकांश प्रमुख केंद्रीय बैंकोंके लिए 2 प्रतिशत लक्ष्य सीमा है। मुद्रास्फीति के खिलाफ प्रगति ने फेड और यूरो पीय सेंट्रल बैंक को अंततः दरों को कम करने की अनुमति दी है, जबकि उन्होंने कोवि ड-19 के बाद मुद्रास्फीति में उछाल का मुकाबला करने के लिए उन्हें आक्रामक रूप से बढ़ाया था।
साथियों बात अगर हम आईएमएफ की चिंताओं की करें तो,आईएमएफ ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि भू-राज नीतिक तनाव, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच दुश्मनी भी शामिल है, विश्व व्यापार को कम कुशल बना सकता है। चिंता यह है कि अधिक देश सबसे कम कीमत वाले या सबसे अच्छे बने विदेशी सामान की तलाश करने के बजाय अपने सहयोगियों के साथ व्यापार करना पसंद करेंगे। फिर भी, मात्रा के हिसाब से मापा जाने वाला वैश्विक व्यापार इस साल 3.1 प्रतिशत और 2025 में 3.4 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो 2023 की 0.8 प्रतिशत की मामूली वृद्धि से बेहतर है। आईएमएफ का अनुमान है कि जापान की अर्थव्यवस्था, जो आॅटो उद्योग में उत्पादन संबंधी समस्याओं और पर्यटन में मंदी से प्रभावित है, इस वर्ष मात्र 0.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, तथा 2025 में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि तक पहुंच जाएगी। यूनाइटेड किंगडम में इस वर्ष 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है, जो 2023 में 0.3 प्रतिशत की नि राशाजनक वृद्धि से अधिक है, तथा ब्याज दरों में गिरावट से उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलने में मदद मिलेगी। आई एमएफ ने अमेरिकी आर्थिक परिदश्य को उन्नत किया, यूरोप और चीन से उम्मीदें घटाईं। दुनियाँ का दिग्गज संस्थान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर नया अनुमान लगाया है। अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि कोविड के दौरान जमा हुई डिमांड खत्म हो गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से फिर से जुड़ रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, दुनिया की इकोनाॅमी के बारे में, आईएमएफ ने कहा कि मुद्रास्फी ति के खिलाफ लड़ाई काफी हद तक जीत ली गई है, भले ही कुछ देशों में मूल्य दबाव बना हुआ है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 190 देशों के ऋण दाता संगठन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान 2024 जारी, भारत की अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ का बड़ा बया न-2024-25 में विकास दर 7 प्रतिशत व 2025-26 में जी डीपी 6.5ः रहने की संभाव ना है। भू-राजनीतिक तनाव से विश्व व्यापार कम कुछल बननें की संभावना है – सभी देश कम कीमत व क्वालिटी के स्थान पर अब सहयोगियों से ही व्यापार कर सकते हैं।
भू-राजनीतिक तनाव से विश्व व्यापार कम कुछल बननें की संभावना है – सभी देश कम कीमत व क्वालिटी के स्थान पर अब सहयोगियों से ही व्यापार कर सकते हैं
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