पौराणिक मान्यता, छठ मैया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता सुख समृद्वि संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होना सराहनीय

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर भारत को सृष्टि ने जहां एक ओर प्रकृति का अणखुट खजाना दिया है, तो वहीं कुदरत ने हमारे जाति धर्म की आध्या त्मिक मान्यता को सुरक्षित करके बरकरार रखा है,जो पौराणिक काल से सत्यता का प्रतीक बनीं हुई है,जो पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा है। आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्यों कि इस वर्ष दो दिन दीपावली पर्व मनाया गयाहै, तो छठ पर्व 5 से 8 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा है। बता दें आर्टिकल में दी गई जानका री मान्यताओं पर आधारित है इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है।भारत मे कुदरत द्वारा रचित इस अनमोल खूबसूरत सृष्टि में रचनाकर्ता ने मानवीय जीवन में अनेक गुण दोषों को शामिल कर संजोया है, इसका उपयोग करने सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमता का भी सृजन कर दिया है। बस, जरूरत है अब माननीय जीव को उसे गुण -दोष सुख-दुख खुशियां- गम प्रसन्नता-दुख इत्यादि का चुनाव कर अपने जीवन को सफल और असफल ब नाएं उसके ऊपर है, क्योंकि प्रसन्नता और सुख दुख भी बौद्धिक क्षमता के आधार पर माननीय जीव को खुद चुनना होता है! इसलिए आज हम छठ पर्व की पावन बेला पर मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक छठ महापर्व 5 से 8 नवंबर 2024, विश्वास श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार व सूर्य देव और छठ मैया को समर्पित पर्व है।
साथियों बात अगर हम भारत में छठ महापर्व 2024 की पावन बेला पर खुशियों से सराबोर होकर नहाने की करें तो, छठ पूजा का त्योहार 05 नवंबर से शुरू, व 08 नवंबर 2024 को पूर्ण होंगा। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ पूजा का समापन व व्रत पारण किया जाएगा। छठ पर्व की शुरूआत नहाय-खाय के साथ होती है। इसके दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना होगा। शाम को व्रतीमहिलाएं खीर का प्रसाद बनाती हैं। छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है। चैथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ पर्व का समापन किया जाता है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल सहित पूरे विश्व में जहां उत्तर भारतीय निवासी हैं मनाया जाता है। साथ ही इसे नेपाल में भी मनाया जाता है। इस त्योहार को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व संतान के लिए रखा जाता है। छठ में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस साल 2024 में दो दिन दिवाली मनाए जा ने के बीच अब लोगों में छठ पूजा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है, क्यों कि देश के कुछ राज्यों में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई गई और कुछ राज्यों में 01 नवंबर को दिवाली मनाई गई है। छठपूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक महत्वपूर्ण महापर्व है। दो दिन दिवाली मनाए जाने के आधार पर छठ पूजा की सही तारीख यहां पर जान सकते हैं। मीडिया में दिए गए द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मना या जाता है। इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 07 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वा हन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे उदया तिथि के अनुसार, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा।छठ पूजा संपन्न करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा। इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा।
(1) छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024 – नहाय खाय
(2) छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
(3) छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
(4) छठ पूजा का चैथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य 36 घंटे का होता है निर्जला व्रत। हिन्दू धर्म में छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देवता की विधि-विधान से पूजा की जाती है दिवाली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है, जिसमें शुरुआत होती है नहाय -खाय और खरना से फिर डूबते और उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इसमें व्रती महिलाएं नदी में कमर तक जल में डूबकर सूर्यदे वता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करती हैं। इसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखा जाता है, जो बेहद ही कठि न माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता सुख-समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
साथियों बात अगर हम छठ व्रत में निर्जला व्रत की करें तो, हिन्दू धर्म में छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देवता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। दिवाली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है, जिसमें शुरुआत होती है नहाय-खाय और खरना से,फिर डूबते और उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है,इसमें व्रती महिलाएं नदी में कमर तक जल में डूबकर सूर्यदेवता को अर्घ्य देकर उन की पूजा करती हैं। छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है जो अपने आप में विश्वास, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है और छठी मैया को संतान की देवी, इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त कर ते हैं। सूर्य, जल और वायु इन तीनों तत्वों की पूजा की जाती है। छठ पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। छठ पूजा के दौरान सभी लोग मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती रहें।
साथियों बात अगर हम छठ महा पर्व के उपलक्ष में ट्रेनों में भीड़ और सरकार द्वारा किए गए इंतजामों की करें तो फेस्टिव सीजन में ट्रेनों में भारी भीड़ उमड़ रही है। पहले दिवाली को लेकर भारी भीड़ उमड़ रही थी तो अब छठ पर्व पर घर जाने के लिए लोग घंटों ट्रेनों का इंत जार करते देखे जा रहे हैं। दिल्ली-मुंबई समेत सभी प्रमुख स्टेशनों पर बिहार-झार खंड जाने वाले यात्रियों की भीड़ उमड़ रही है तो रेलवे ने भी छठ पूजा को देखते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं। इस साल 7296 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं तो सभी प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों के ठहरने कीव्यवस्था रेलवे ने की है। अतिरिक्त टिकट मशीन से लेकर हेल्प डेस्क तक तमाम इंतजाम रेलवे ने किए हैं। जिससे कि छठ पूजा के लिए घर जा रहे लोगों को परेशानी न हो। दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर भी बड़ी संख्या में बिहार झार खंड जाने वाले लोगों की भीड़ उमड़ रही है। यहां भी प्रशा सन ने हेल्प डेस्क से लेकर तमाम सुविधाएं मुहैया कराई हैं। जिससे कि छठ पर्व पर घर जाने वाले लोगों को परेशानी ना हो। रेलवे का फोकस भीड़ को कंट्रोल करने पर है। सभी बड़े स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया बनाया गया है। यात्रियों को होल्डिंग एरिया में रोका जा रहा है। ट्रेन लगने के बाद ही यात्री प्लेटफार्म तक जा पाएंगे। 1 ट्रेन की क्षमता के लायक या त्रियों को ही प्लेटफाॅर्म तक भेजा जाएगा। बाथरूम में यात्री मिले तो ट्रेन को रवाना नहीं किया जाएगा। आरपीए फ द्वारा बाथरूम को खाली करवाने के बाद ही ट्रेन रवाना होगी ऐसा अपुष्ट सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वैश्विक छठ महापर्व 5-8 नवंबर 2024-विश्वास श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार व सूर्यदेव और छठ मैया को समर्पित महापर्व। छठ पूजा से स्वास्थय व समृद्धि की प्राप्ति होने की पौराणिक मान्यता है। पौराणिक मान्यता छठ मैया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता सुख समृद्धि संतान सुख का आशीर्वा द प्राप्त होना सराहनीय है।

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