भारतीय रेडियो के तेजी से बढ़ते प्रचलन से अब निजी एफएम रेडियो का डिजिटलीकरण समय की मांग-ट्राई का प्राइवेट ब्राॅडकास्टर डिजिटल नीति प्रक्रिया शुरू करना सराहनीय

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर आज अगर बुजुर्गों से बात की जाए और पुराने व अभी के नए जमाने के बारे में पूछा जाए तो, मेरा मानना है कि उन सभी के पवित्र मुख से एक साथ निकलेगा कि पुरा ना जमाना स्वर्ग से भी बढ़कर था, यानें उस जमाने में हम स्वर्ग से भी सुंदर पलों में अप नी जिंदगी का सफर तय कर रहे थे, परंतु आज के ज माने केडिजिटल युग में हर सुख सुविधा आ गई है, लेकि न छूट गया है तो, वह है मन का सुख चैन, दिलोदिमाग पर शांति का भाव और नहीं है तो, हर किसी के पास, वह है टाइम! अगर हम उनसे मनो रंजन व अति जरूरी जीवन साधन का नाम पूछेंगे तो उन के पवित्र मुख से अनायास ही निकल पड़ेगा रेडियो! जो आज भी उन पुराने जमाने के लोगों व उनके सानिध्य में कुछ नए जमाने के युवकों का हमसफर बन चुका है, जिस का वर्तमान में तेजी से प्रचलन तब हुआ, जब माननीय प्रधान मंत्री ने मन की बात शुरू किए थे जिसकी 114 वीं कड़ी 29 सितंबर 2024 को प्रसारित की गई जिसमें उन्होंने अपने मन की बात में भी यह बात कही थी। वैसे मैं भी पिछले करीब 45 वर्षों से रेडियो का शौकीन रहा हूं जो आज भी हूं। सच कहूं तो मुझे कई बार अपने अनेक आर्टिकल्स की हिंट भी रेडियो के रोज दोप हर 3 बजे आने वाले कार्यक्रम सखी सहेली से भी मिलता है। रोजाना 1 घंटे के इस कार्यक्रम में कोई एक लाइन या शब्द जरूर मिल जाती है जिसे पकड़कर मैं पूरा आर्टिकल लिख देता हूं। आज हम इस रेडियो विषय में इस लिए बात कर रहे हैं, क्योंकि ट्राई यानें रेगुलेटरी अथाॅरिटी आॅफ इंडिया, निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों के विचार जा नने के लिए उनसे सुझा व प्राप्त करने के लिए 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित किए गए हैं। चूँकि भारतीय रेडियो के तेजी से बढ़ते प्रच लन से अब निजी एफएम रेडियो का डिजिटलीकरण समय की मांग है, ट्राई का प्राइवेट ब्राॅड कास्टर डिजिटल नीति प्रक्रि या शुरू करना सराहनीय है जिससे भारत के निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024 लागू की जाएगी। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत के निजी क्षेत्र में भी अब गूंजेगा डिजिटल रेडियो प्रसारण।
साथियों बात अगर हम ट्राई द्वारा निजी रेडियो प्रसार कों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने की करें तो,ट्राई ने आज निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डि जिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने सम्बंधी परामर्श पत्र जारी किया है। वर्तमान में, भारत में एनालाॅग टेरेस्टेरि यल रेडियो प्रसारण, मीडियम वेव (एमडब्ल्यू) (526-1606 किलोहर्टज), शाॅर्ट वेव (एसड ब्ल्यू) (6-22 मेगाहर्टज) और वीएचएफ -प्प् (88-108 मेगा हर्टज) स्पेक्ट्रम बैंड में किया जाता है। इस बैंड में, वीएच एफ -प्प् बैंड को फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (एफएम) प्रौद्योगि की शामिल किए जाने के का रण एफएम बैंड के रूप में जाना जाता है। ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) – सार्वज निक सेवा प्रसारक के तौर पर एम डब्ल्यू, एस डब्ल्यू और एफ एम बैंड के माध्यम से रेडियो प्रसारण सेवाएं प्रदा न करता है। निजी क्षेत्र के रेडियो प्रसारकों को केवल एफएम फ्रीक्वेंसी बैंड (88- 108 मेगाहर्टज) मेंकार्यक्रम प्रसारित करने का लाइसेंस दिया गया है। डिजिटल रेडियो प्रसारण से एनालाॅग रेडियो प्रसारण की तुलना में कई प्र कार के लाभ प्राप्त किए जा एंगे। डिजिटल रेडियो प्रसारण का मुख्य लाभ, एक ही फ्री क्वेंसी पर तीन से चार चैनल प्रसारित करने की क्षमता के साथ ही सभी चैनलों के लिए आवाज की उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। एना लाॅग मोड में एक फ्रीक्वेंसी पर केवल एक चैनल का प्रसा रण संभव होता है। प्रतिस्प र्धी माहौल में, डिजिटल रेडियो प्रसारण, श्रोताओं को लगातार सुधार वाली सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ रेडियो प्रसा रकों को रोमांचक नए अवसर भी प्रदान कर सकता है।
आॅल इंडिया रेडियो (ए आईआर) ने अपने एनालॉग एमडब्ल्यू और एसडब्ल्यू रेडियो प्रसारण नेटवर्क का डिजिट लीकरण शुरू कर दिया है और अपने मौजूदा 38 एना लाॅग ट्रांसमीटरों की जगह डि जिटल ट्रांसमीटर लगा दिए है। एआईआर ने एफएम बैंड में भी डिजिटल रेडियो प्रौद्यो गिकियों के लिए परीक्षण कर लिए हैं। हालांकि निजी एफ एम रेडियो प्रसारकों द्वारा एफएम बैंड के डिजिटलीक रण में अभी तक कोई भी पहल नही की गई है। डिजि टल रेडियो प्रसारण व्यवस्था लागू किए जाने को सुविधा जनक बनाने वाले एक इको- सिस्टम को तैयार करने के लिए, ट्राई ने 1 फरवरी 2018 को भारत में डिजिटल रेडियो प्रसारण से सम्बंधित मुद्दों के लिए अपनी सिफारिशें दीं।
प्राधिकरण ने अपनी सि फारिशों में कहा है कि रेडियो प्रसारकों, ट्रांसमिशन उपक रण निर्माताओं और डिजिटल रेडियो रिसीवर निर्माताओं सहित सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने और डिजि टल रेडियो प्रसारण के लिए इकोसिस्टम विकसित करने के लिए सामूहिक रूप से काम के लिए प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता थी। प्राधि करण ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को भारत में डिजिटल रेडियो प्रसारण के लिए एक विस्तृत नीति रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। समयबद्ध तरीके से डिजिटल रेडियो प्रसारण सेवाओं को शुरू करने के लिए विस्तृत रोडमैप भी इस नीति रूपरेखा में शामिल होना चाहिए।अब, एमआईबी ने 23 अप्रैल 2024 की अपने टिप्पणी के माध्यम से निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने को लेकर ट्राई से सिफारिशें मांगी हैं। प्रौद्योगिकी परिवर्तन को पूरा करने के लिए, एफएम चरण -प्प्प् नीति के तहत कुछ मौजूदा प्रावधानों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता का उल्लेख एमआईबी ने कि या है। एमआईबी ने डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति के लिए सिफारिशें तैयार करते समय विचार किए जाने योग्य कुछ मुद्दों पर भी प्रकाश डाला है।
तदनुसार, ट्राई ने निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डि जिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने से सम्बंधित वि भिन्न मुद्दों पर हितधारकों के विचार जानने के लिए यह प रामर्श प्रक्रिया शुरू की है। परामर्श पत्र पर लिखित टिप्प णियां 28 अक्टूबर 2024 तक हितधारकों से आमंत्रित की गई हैं। इसके जवाब में लि खित रूप से यदि कोई टिप्पणी हों तो 11 नवंबर 2024 तक जरूर भेजी जा सकती है।
साथियों बात अगर हम रेडियो के प्रचार प्रसार की करें तो सूचना प्रसारण मंत्रा लय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 57 नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को मंजूरी दी है। मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि 31 मार्च 2024 तक देश में कुल 494 सामुदायिक रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं। इनमें से 2 83 गैर-सरकारी संगठनों द्वारा, 191 शैक्षणिक संस्थानों द्वारा और 20 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकार सामुदा यिक रेडियो क्षेत्र को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके तहत भारत में सामुदायिक रेडियो आंदोल न को समर्थन नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत नए और मौजूदा रेडियो स्टेशनों को उपकरण खरीदने या बद लने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा, क्षमतावर्धन, जागरूकता कार्य क्रम, क्षेत्रीय सम्मेलनों और वार्षिक सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों को भी इस योज ना के तहत प्रोत्साहित किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, सामुदायिक रेडियो आंदोलन की शुरुआत से अब तक कुल 680 संस्थानों को सामुदायि क रेडियो स्टेशनों के लिए इच्छापत्र जारी किए गए हैं, जिनमें से 603 संस्थाओं ने अनुमति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 31 मार्च 2024 तक 494 सामुदायिक रेडियो स्टे शन सक्रिय हो चुके हैं। इस के अलावा, रिपोर्ट में निजी एफएम रेडियो स्टेशनों की जानकारी भी दी गई है। 31 मार्च 2024 तक 113 शहरों में 388 निजी एफएम चैनल सक्रिय हैं, जो 26 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। वर्ष 2000 में निजी एफएम रेडियो की शुरुआत के बाद से सरकार ने विभिन्न शुल्कों के माध्यम से 6,647.77 करोड़ रुपये की कमाई की है, जिसमें एक बार की प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क और टाॅवर किराया शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम रेडियो के महत्व प्रोग्राम वह स्टेटस सिंबाल्स की करें तो, भारत में एक जमाना था जब रेडियो किसी व्यक्ति या घर -घरानें का एक स्टेटस सिं बाल बन जाता था, जिसका जीता जाता उदाहरण हमा रा भावनानी परिवार है। मेरे ग्रैंडफादर रेडियो पर बिनाका गीत माला जो प्रति बुधवार को आता था, बहुत ध्यान से सुनते थे साथ मेरे पिताजी और फिर उनकी तीसरी पीढ़ी मैं भी बिनाका गीतमाला रोज रात्रि 8 बजे से बहुत ध्यान से सुनकर एंजाॅय करते थे। बाद में उसका नाम सिबाका गीत माला हो गया था। इस का प्रसारण रेडियो सीलोन द्वारा 1952 से 1988 तक किया गया। इसके बाद 19 89 से लेकर 1993 तक इसके प्रसारण का अधिकार विवि ध भारती को दिया गया था जो आल इंडिया रेडियो (आ काशवाणी) के अधीन कार्य करता था। बिनाका गीतमाला हिंदी फिल्मी गानो का प्रसा रण करने वाला पहला रेडियो कार्यक्रम था। मेरे पिताजी हैंडल बेल्ट वाला रेडियो अपने शोल्टर पर टंगा कर दुकान या कहीं पड़ोस में घूमने जाते थे, तो लेकर जाते थे। वह जमाना बहुत ही खूबसूरत था, परंतु आज भी मैं चैथी पीढ़ी के रूप में रेडियो को ब हुत चाव से सुनता हूं खासकर दोपहर 3 बजे सखी सहेली कार्यक्रम में ऐसा कई बार हुआ है कि मैं अपने आलेख का विषय इस सखी सहेली कार्यक्रम के किसी न किसी लाइन या शब्द को पकड़ कर उठता हूं, और पूरा आलेख अपने शब्दों में उसे पर लिख देता हूं। रेडियो के इतिहास में जाएं तो 1936 में भारतीय रेडियो सेवा को आॅल इंडिया रेडियो नाम मिला था। इससे पहले इसे इंडियन स्टेट ब्राॅड कास्टिंग सर्विस के नाम से जा ना जाता था। आगे चलकर इसे आकाशवाणी के नाम से भी जाना गया। देश में रेडियो की शुरुआत 23 जुलाई 1927 को हुई थी। रेडियो क्लब आॅफ बाॅम्बे से शुरू हुआ सफर 97 साल बाद देश की 99.18 प्रतिशत आबादी तक पहुंच चुका है। उस समय रेडियो को रखने के लिये प्रतिवर्ष लाइसेंस फीस देनी होती थी, जो निकटतम डाकघर में जमा होती थी। हमारा रेडियो मरफी का था,जो बिजली से ही चलता था। बाकायदा इस के लिए एक पीतल का जाली नुमा एंटेना भी लगाना पड़ता था। मैं आज भी रेडियो सुन ता हूं 1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद पाकिस्तानी युद्ध बंदियो का संदेश रेडियो पर प्रसारित किया जाता था। रेडियो सूचना का सशक्त मा ध्यम है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इस का विश्लेषण करें तो हम पा एंगे कि भारत के निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024 – परामर्श टिप्पणियां 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित।
भारत के निजी क्षेत्र में भी अब गूंजेगा डिजिटल रेडि यो प्रसारण। भारतीय रेडियो के तेजी से बढ़ते प्रचलन से अब निजी एफएम रेडियो का डि जिटलीकरण समय की मांग-ट्राई का प्राइवेट ब्राॅड कास्टर डिजिटल नीति प्रक्रि या शुरू करना सराहनीय है।

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