एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर हवा से भी तेज गति से बढ़ते प्रौद्योगिकीकरण व तकनीकी विकास ने जहां मानवीय जीव को अनेक सुख सुविधाओं से लबरेज कर उसका जीवन सुगम बना दिया है, तो वहीं इन साधनों के दुरुपयोग या इसके अप्रत्यक्ष नुकसानों से प्रैक्टिकली डरा भी दिया है, वैसे तो हम विश्व के अनेक स्थानों में कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या बैटरियों में के फटने या उसमें विस्फोट होने की घटनाएं मीडिया के माध्यम से सुनते ही रहते हैं, परंतु इन इलेक्ट्राॅनिक डिवाइसेज का उपयोग युद्ध नीति में आ क्रोशित देश करेंगे, शायद इसका अंदाज किसी को नहीं था, जो पूरी दुनिया ने बीती दिनांक 17-18 सितंबर 2024 को देखे कि लेबनान में किस तरह, पहले दिन 5000 से भी अधिक पेजरों में एक साथ ब्लास्ट हुआ,जिसमें 32 लोगों की मौत व 4500 से अधिक लोग घायल हुए। जिसमे अ धिकतम युवा साथी हैं, उन्हें चोट के लक्षण एक ही तरह के हैं उनके मुंह और उसके नीचे घायल है। दूसरे दिन फिर वाकीटाकी में एक साथ विस्फोट हुए तो दुनियां दहल उठी व तकनीकी विशेषज्ञों को यह अंदाज लगाने में टाइम नहीं लगा कि शायद यह मान वीय कारस्तानी है। यानें पेज रों वाॅकी-टाॅकी में कंपनी से लोडिंग से लेकर डेस्टिनेशन तक अनलोडिंग के बीच कुछ ना कुछ तकनीकी हस्ताक्षेप हुआ है। यानें या तो कोई चिप डालकर रिमोट से एक साथ विस्फोट किए गए, या फिर गुप्त रूप से इंपोर्टेड डिवाइसेज में चिप लगी होने का शक है परंतु इसकी संभा वना काम है, क्योंकि इन्हें ब नाने वाली जापानी कंपनी ने दावा किया है कि इस तरह के उपकरण 2014 से ही बंद कर दिए गए थे। कुल मिला कर अब दुनियां सहम गई है कि रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले इलेक्ट्राॅनिक डिवा इसेज कुछ देशों की दुश्मनी से उनकी जान को खतरे का कारण बन सकते हैं। मेरा मानना है की सबसे अधिक सतर्क व सावधान भारत को रहना होगा, क्योंकि दुनियां में सबसे तेज प्रौद्योगिकी वि कास व उपयोग भारत में तेजी से बढ़ रहा है, व खुरापाति पड़ोसी देश विस्तारवादी देश से अत्यंत सावधान रहने की जरूरत को रेखांकित करना होगा, चूंकि पूरी दुनियां लेब नान में हुए संचार के माध्यमों पर पेजर वाॅकी-टाॅकी में एक साथ विस्फोटों से आश्चर्यच कित है, व संदेह इजरायली यूनिट 8200 पर है तथा वै श्विक तकनीकी क्षेत्र, संचार साधनों के सड़क घरों व का र्यालय में छोटे हैंडसेट डिवा इसेज पेजर वाॅकी-टाॅकी में विस्फोट से दुनियां सदमे में है। सभी देश सतर्क हुए हैं इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के मा ध्यम से चर्चा करेंगे,भारत के तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकीक रण में हर प्रकार के इलेक्ट्राॅ निक डिवाइस की तकनीकी में एंटी विस्फोटक चिप को विकसित करना जरूरी हो गया है।
साथियों बात अगर हम हमास इजरायल युद्ध नई तक नीकी अस्त्र की ओर मुड़ने से पूरी दुनियां में हड़कंप मचने की करें तो, इजरायल हमास युद्ध की शुरुआत से ही ईरान के समर्थन में लेबनान स्थित संगठन हिजबुल्लाह व इजरा यल एक दूसरे पर पर हमले कर रहें है। लेकिन, इस युद्ध में एक ऐसा मोड़ आ गया है, जिससे पूरी दुनियां में हड़ कंप मच गया है। लेबनान में लगातार पेजर अटैक और वाकी-टाकी में विस्फोटों से हमास को तगड़ा झटका दे दिया है। तकनीक के इस कमाल के पीछे इजरायली सेना के यूनिट 8200 का हाथ हो ने का अंदेशा लगाया जा रहा है? हमास इजरायल लगातार युद्ध शुरू है। लेकिन, तकनी की का कमाल दिखाते हुए लेबनान की सीमा के अंदर कदम रखे बिना ही वहां पर धमाकों का धमाल मचा दिया गया है। अपने दुश्मनों पर कहर बरपाते हुए कुछ ही से कंड के अंदर 5000 पेजरों पर धमाका कर दिया। इस धमाके की चपेट में आने के कारण 9 लोगों की मौत हो गई और 2000 अन्य लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं। इसके बाद वाकी टाकी में भी धमाका कर दिया, जिसमें भी 14 अन्य लोगों की मौत हो गई। दो दिन के अंदर हुए इस हमले से लेब नान में हंगामा मच गया है। लेबनान में मचे इस गदर के बीच इजरायल की इस तक नीक के पीछे उसकी जिस यूनिट का नाम सामने आ रहा है, वह है यूनिट 8200। आरोप लगाया जा रहा है कि ये इजरायली सेना की इंटेलीजेंस यूनिट है, जिस को लेकर पश्चिमी देशों का दावा है कि ये कारनामा यू निट 8200 का ही कारनामा है। हालांकि, इसको लेकर इजरायली डिफेंस एंड सिक्यो रिटी फोरम के रिसर्च डाय रेक्टर ने कहा कि यह साफ नहीं है कि इस हमले में मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट शामिल थी या नहीं। बता दें कि यूनिट 8200 में आईडी एफ के सबसे तेज कमांडर्स को ही शामिल किया जाता है। यूनिट में युवा और खास सैनिकों को ही शामिल किया जाता है।
साथियों बात अगर हम लेबनान में पेजर व वाॅकी- टाॅकी विस्फोटों से दुनियां आश्चर्यचकित होने की करें तो, लगातार हुये विस्फोटों से लेबनान दहल उठा है। पूरी दुनिया ही इन विस्फोटों से आश्चर्यचकित है। सवाल कौंध रहा है कि आखिर एक साथ संचार के साधन पेजर या वाॅकी-टाॅकी में विस्फोट इतने बड़े पैमाने पर कैसे हो सकते हैं? क्या इन उपकरणों में पहले से विस्फोक लगाए गए थे या फिर वायरस डाल कर इन उपकरणों की लीथि यम बैट्री को उड़ा दिया गया? पेजर और वाॅकी-टाॅकी में विस्फोट कैसे हुए और इसको लेकर क्या-क्या थ्योरी चल रही है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि आखिर इन विस्फोटों में क्या हुआ है। लेबनान में हिज्बुल्लाह के गढ़ में बुधवार को वाॅकी-टाॅकी के फटने से 20 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए। इससे एक दिन पहले पेजरों में विस्फोट से बारह लोग मारे गए और करीब 3000 लोग घायल हो गए थे। क्षेत्रीय सीसीटीवी फुटेज में किराने की दुकान और बाजार सहित विभिन्न स्थानों पर छोटे हैंडहेल्ड डिवाइस पेजर फटते हुए दूरदर्शन चैनल पर दिखाई दिए। सड़क पर वाह न चलाते और घरों में भी ये विस्फोट हुए। इसी तरह के विस्फोट वाॅकी-टाॅकी में भी हुए। एजेंसी ने एक सुरक्षा सूत्र के हवाले से बताया कि हाथ में पकड़े जाने वाले रेडि यो या वाॅकी-टाॅकी हिजबुल्लाह द्वारा पांच महीने पहले खरी दे गए थे, लगभग उसी समय जब पेजर खरीदे गए थे। न्यू याॅर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक पेजर में बैटरी के बगल में लगभग 1 से 2 औंसविस्फोटक सामग्री लगाई गई थी। विस्फोटों को संगठन के इतिहास में सबसे बड़ी सुरक्षा चूक करार दिया गया है। लेबनान के अधिका रियों ने दावा किया है कि इजराइल ने देश में आयात किए गए पेजर के साथ छेड़ छाड़ की है। पेजर बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि डिवाइस पर उसका ब्रांड तो था, लेकिन उन्हें बुडापेस्ट की एक कंपनी ने बनाया था। हालाँकि वि स्फोट कैसे हुए, इसकी सटी क जानकारी के लिए जाँच अभी भी जारी है, लेकिन कुछ सिद्धांत सामने आए हैं। अ धिकांश बहस इस विचार के इर्द-गिर्द केंद्रित है कि पेजर के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिससे उनकी बैटरियाँ ज्या दा गर्म हो गईं और विस्फोट हो गया। लेबनान के दूरसंचार मंत्री के अनुसार, यह ज्यादा गर्म होना गड़बड़ी का संके त देता है। हालाँकि, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने तर्क दिया कि बैटरी को जलाने से ज्यादा कुछ करना असंभ व है। इसके बजाय, उन्होंने कहीं ज्यादा संभावित कारण बताया कि किसी ने उपकरणों में विस्फोटक डालने के लिए इन्हें बनाने वाले कारखानों को रिश्वत दी। इजराइली जा सूसी खुफिया एजेंसी मोसाद पर इन उपकरणों के भीतर छोटे विस्फोटक उपकरण लगाने का संदेह है। कथित तौर पर 3 ग्राम जितने छोटे विस्फोटक इस तरह से छिपाए गए थे कि हिजबुल्लाह को महीनों तक पता नहीं चला। माना जाता है कि पेजर को भेजे गए एक कोड वाले संदेश के माध्यम से विस्फोट तंत्र को दूर से सक्रिय किया गया होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इन विस्फोटकों को नियमित स्कैनर के माध्यम से पता लगाना असंभव था। वाॅकी-टाॅकी को भी लगभग उसी समय खरीदा गया था। माना जाता है कि इसमें भी इसी तरह की छेड़छाड़ की गई। मीडिया ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि इन उपकरणों पर आईसीओएम का लेबल लगा है और कथित तौर पर ये जापान में बने हैं। माना जाता है किउत्पादन स्तरपर इनके साथ छेड़छाड़ की गई है। हालाँकि जापानी कंपनी ने अपने यहाँ पर इन उपकरणों के बनाए जाने के दावे को खारिज किया है। इसने कहा है कि इसने 2014 में ही इन उपकरणों को बनाना बंद कर दिया है। एक अन्य सिद्धांत सप्लाई चेन से छेड़ छाड़ का है। सुरक्षा विशेषज्ञों का सुझाव है कि इसराइली खुफिया एजेंसियों ने हिज बुल्लाह तक पहुंचने से बहुत पहले ही इन उपकरणों तक पहुंच बना ली होगी। पेजर की पहचान गोल्ड अपोलो ए आर 924 माॅडल के रूप में की गई थी, लेकिन आगे की जांच से पता चला कि इन्हें हंगरी में बीएसी कंसल्टिंग द्वारा निर्मित किया गया था। यह गोल्ड अपोलो ब्रांड का उपयोग करने के लिए लाइ सेंसिंग अधिकार वाली कंपनी है। इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि छेड़छाड़ निर्माण या वितरण चरणों के दौरान हुई, जिससे इसराइल को बिना पता लगाए विस्फोटक साम ग्री लगाने का अवसर मिला। हिज बुल्लाह ने कहा है कि ये उपकरण हाल ही में आयात किए गए शिपमेंट का हिस्सा थे, जिसका अर्थ है कि छेड़ छाड़ लेबनान में पेजर पहुंचने से पहले हुई थी।एक अन्य सिद्धांत यह है कि पेजर और वाॅकी-टाॅकी में सामान से छेड़छाड़ के बजाय इलेक्ट्राॅ निक सिग्नल या रेडियो फ्रि क्वेंसी का उपयोग करके वि स्फोट किया गया। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्र वक्ता ने व्हाइट हाउस में कहा कि लेबनान में पेजर और वाॅकी -टाॅकी विस्फोटों में अमेरिका शामिल नहीं था, जिसके लिए हिजबुल्लाह ने इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पूरी दुनियां में लेब नान में संचार के साधनों पेजर, वाॅकी-टाॅकी में एक साथ वि स्फोटों से हड़कंप मचा-यू निट 8200 का हाथ?
वैश्विक तकनीकी क्षेत्र, संचार साधनों के सड़क, घरों व कार्यालयों में छोटे हैंडसेट डिवाइस, पेजर, वाॅकी-टाॅकी में विस्फोटों से दुनियां सदमे में-सभी देश सतर्क हुए। भारत के तेजी से बढ़ते औद्यो गीकरण में हर इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस की तकनीकी में एंटी विस्फोट चिप को विकसि त करना जरूरी हो गया है।
भारत के तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण में हर इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस की तकनीकी में एंटी विस्फोट चिप को विकसित करना जरूरी हो गया है
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