(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। जिले में दो से 15 सिम्बर तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया गया। इस अभियान में 37 कुष्ठ रोगियों की पहचान हुयी। जिन का इलाज शुरू हो गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि अभियान में कुल 721 केस संदिग्ध पाये गए थे जिसमें 37 व्यक्ति कुष्ठ रोग से ग्रस्त मिले और सभी वयस्क हैं। इन 37 में 18 रोगी मल्टीबै सिलरी व 19 रोगी पासीबैसि लरी से ग्रस्त हैं। सबसे अद्दि क चार- चार कुष्ठ रोगी ब्लाक डलमऊ और सलोन में और सबसे कम एक- एक कुष्ठ रोगी लालगंज, रोहनिया और जतुआटप्पा ब्लाक में मिले हैं। सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी.एस.अस्थाना ने बताया कि दो से 15 सितम्बर तक चले अभियान में 3010 टीमों के द्वारा 33.33 लाख की जनसंख्या को आच्छादित किया गया।
यह रोग आनुवांशिक नहीं है और न ही यह छुआछूत से फैलता है। समय से इलाज करने पर इससे निजात मिल जाती है लेकिन साथ में मरीज की काउन्सलिन्ग भी बहुत जरूरी होती है कि इस बीमारी का पूर्णतया इलाज संभव है और व्यक्ति एक सा मान्य जीवन व्यतीत कर सक ता है। यह रोग पूर्णतया साध्य है और सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में इसका इलाज मुफ्त होता है। हर सफेद दाग कुष्ठ रोग नहीं होता है और न ही यह पूर्व के जन्म में किए गए पापों का फल है।
क्या होता है कुष्ठ रोग?
यह माइकोबैक्टीरियाम लेप्री के कारण फैलता है और बहुत ही कम संक्रामक होता है। यह प्रमुख रूप से तंत्रि काओं व चमड़ी को प्रभावित करता है। यह किसी भी आयु में स्त्री व पुरुष को हो सकता है। यह रोग धीरे धीरे बढ़ता है तथा औसतन तीन वर्ष में इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है – पौसीबैसिलरी – अगर व्यक्ति के शरीर में पांच या पांच से कम धब्बे होते हैं और जहां त्वचा कि संवेदना समाप्त हो जाती है। मल्टीबैसिलरी। शरीर में पांच धब्बों से अद्दिक धब्बों का होना। जहां त्वचा कि संवेदन समाप्त होती है और यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
अगर ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएँ सतर्क
त्वचा पर दाग व दाग में सुन्नता हो, दाग में जलन, चुभन, आँखों में कमजोरी, नसों में सूजन, मोटापन, या दर्द, चेहरे शरीर और कान पर गाठें, छाले और घाव जिस में दर्द न हो, तथा हाथ व पैरों में विकृति होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
जिले में 37 कुष्ठ रोगियों की हुयी पहचान
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