एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर भारत की कहावतें, बड़े बुजुर्गों के वचनों को बहुत ही संजीद गी के साथ सुना जाता है क्योंकि मानवीय जीवन में वे कहीं ना कहीं किसी न किसी स्तर पर फिट बैठते हैं, जैसे कितने भी कानून बना लो तोड़ने वाले इसके बचने का रास्ता निकाल लेते हैं, या फि र कितना भी बचाव कर लो किसी न किसी कानून के ल पेटे में आओगे ही, यह ठीक भी है। अगर हम अपने दैनिक जीवन पर सुबह से रात तक नजर डालें तो हम पाएंगे कि हम किसी न किसी कानून, गाइडलाइंस, नियमों, विनियमों उपायों का उल्लंघन कर ही रहे होते हैं,जैसे हमारे पैदल या गाड़ी से राइट साइड चलने पर, खाने-पीने में न्यूट्रि शंस एक्ट, दुकानदारी, जाॅब, सर्विस यानें पूरी दिनचर्या में हम किसी न किसी कानून, गाइडलाइंस इत्यादि का शा यद उल्लंघन कर रहे होते हैं, अगर सरकार सख्त हो जाए तो कोई भी बच्च नहीं सकता सब पर कोई ना कोई केस दाखिल हो सकता है। आज हम इस विषय पर बात इस लिए कर रहे हैं क्योंकि मान नीय सुप्रीम कोर्ट नें एक माम ले में सुनवाई दौरान कहा कि बुलडोजर एक्शन पर दिशा निर्देश बनाए जाएंगे, क्योंकि किसी का घर मकान प्राॅपर्टी सिर्फ इस आधार पर कैसे गि राया जा सकते हैं? कि वह किसी अपराध का आरोपी है! परंतु कोर्ट ने यह भी कहा कि हम अवैध इमारत को कि सी तरह नहीं बचाएंगे। बस! यहीं से बुजुर्गों विद्वानों की कहावतों को पाएंगे कि कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना, क्योंकि आरोपियों की इमारतें हैं व मकान उन्हीं पर बुल डोजर चलाता है जो अवैध है, बस उसपर एक्शन तब होता है जब उनपर कोई आरोप लगता है याने यह कार्रवाई हर व्यक्ति के लिए लागू है, जैसे मैंने ऊपर कहा कि हम अपने दैनिक दिनचर्या में देखें तो एक ने एक नियम का उलंघन हम रोज जरूर करते हैं, फिर हम पर कार्यवाही लाजमी भी है। मेरा मानना है कि सरकार हो या अदालतें हो किसी भी गाइडलाइन को किसी अवैधता या कानून के उल्लंघन के समर्थन में नहीं होगी। चुंकि बुलडोजर एक्शन अब खुद एक्शन के दायरे में है,बुलडोजर एक्शन की नकेल कसने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश जारी होंगे, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों,पक्षों से ईमेल आईडी पर सुझाव मांगे हैं, जिन्हें इमा रतें तोड़ने संबंधित नई गाइड लाइंस में सम्मिलित किया जा सके सराहनीय है।
साथियों बात अगर हम एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर एक्शन पर नई गाइडलाइंस बनाने की करें तो, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति केवल आरोपित है तो उसका घर कैसे गिराया जा सकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि वह अवैध इमारतों को किसी भी तरीके से नहीं बचाएँगे। कोर्ट की दो जजों की बेंच ने देश भर में पुलिस प्रशासन के बुल डोजर एक्शन लेने पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को देशव्यापी स्तर पर सुलझाए जाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा इस मामले में गाइडलाइन बनाया जाना जरूरी है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी राज्यों से सुझाव माँगे हैं जिन्हें इमा रतें तोड़ने सम्बन्धित नई गा इडलाइन में सम्मिलित किया जा सकता है।
हालाँकि, सुनवाई के दौ रान सुप्रीम कोर्ट नेनाराजगी भी जताई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी ने भी अपना पक्ष रखा। यूपी की तरफ से पेश सोलिसीटर जनरल ने कहा किसी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्व स्त नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोपित किसी अप राध में शामिल है और वह इसलिए तोड़ा जा सकता है जब इमारत अवैध हो। कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगना उसका मकान गिरानेका आ धार नहीं हो सकता। बुलडो जर कार्रवाई से पहले उचि त कानूनी प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। इसमें मकान मालिक को नोटिस भेजना, जवाब और अपील का मौका देना शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 17 सितंबर तय की है। बेंच ने सभी पक्षों से कहा है कि वह अपने सुझाव दें। इन्हें देखने के बाद वह सभी राज्यों पर लागू होने वाले दिशानिर्देश तय करेगा। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील नचिकेता जोशी को सभी पक्षों से सुझाव लेने का जिम्मा सौंपा है। इसके आगे जस्टिस ने कहा कोई व्यक्ति दोषी भी है तो बिना कानून की निर्धा रित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।
साथियों बात अगर हम बुलडोजर एक्शन के खिलाफ मामला कोर्ट में जाने की करें तो, 2022 में दिल्ली के जहां गीरपुरी में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद एमसीडी ने बुलडोजर कार्रवाई शुरूकी थी। इसके खिलाफ जमीय त उलेमा ए हिन्द कोर्ट पहुंचा था। बाद में जमीयत ने यूपी समेत कई राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के यह बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।
इसमें मंशा अवैध निर्माण हटाने से अधिक लोगों को सबक सिखाने की होती है। अधिकतर जगहों पर एक समु दाय विशेष को खास निशा ना बनाया जा रहा है। मामले में यूपी सरकार के लिए पेश हुए साॅलिसीटर जनरल ने सुन वाई की शुरुआत में ही कहा कि किसी पर अपराध का आरोप लगने के चलते मका न गिराने की कार्रवाई सही नहीं है। म्यूनिसिपल नियमों के मुताबिक नोटिस देकर ही अवैध निर्माण को ढहाया जा सकता है। उन्हांेने यह भी कहा कि यूपी में जिन लोगों पर कार्रवाई हुई उन्हें अवैध निर्माण को लेकर पहले ही नोटिस दिया गया था। इस बीच जमीयत के लिए पेश व रिष्ठ वकील समेत कई और वकीलों ने दूसरे राज्यों में हाल में हुए एक्शन का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि एमपी में एक व्यक्ति का 50- 60 साल पुराना मकान गिरा दिया गया। राजस्थान के उदय पुर में एक बच्चे ने दूसरे को चाकू मार दिया, तो उसका मकान ढहा दिया गया इस पर जस्टिस ने कहा, किसी लड़के की गलती की सजा उसके पिता को देना सही नहीं हो सकता। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह साफ किया कि वह सड़क रोक कर किए गए अवैध निर्माण को कोई संरक्षण नहीं देगा। उन पर सरकार कार्रवाई कर सकती है। उसकी सुनवाई सिर्फ इस बात पर है कि अवैध निर्मा ण का आरोप लगा कर बिना किसी नोटिस के मकान न गिराए जाएं। साॅलिसिटर जन रल ने कहा कि हमने एफिडे विट के माध्यम से दिखाया है कि नोटिस काफी पहले ही भेजा गया था। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि ढहाने की प्रक्रिया एक स्वतंत्र मामला है जिसका किसी भी अपराध से कोई सं बंध नहीं है। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इसके जवाब में कहा कि घर इस कारण ध्वस्त किए गए क्योंकि वो किसी मामले के अभियुक्त हैं।
साथियों बात अगर हम माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुन वाई के बाद विपक्ष के बयानों की करें तो बुलडोजर एक्शन के बाद कई राजनेताओं के बयान भी सामने आए हैं। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर पोस्ट कि या है अन्याय के बुलडोजर से बड़ा होता है न्याय का त राजू सुप्रीम कोर्ट की कार्य वाही पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने भी अपना मत रखा है। सोशल मीडिया साइट एक्स पर राहुल गांधी ने पोस्ट किया, सत्ताधारी दल की अ संवैधानिक और अन्यायपूर्ण बुलडोजर नीति पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी स्वागत योग्य है। बुलडोजर के नीचे मानवता और इंसाफ को कुच लने वाली पार्टी का संविधान विरोधी चेहरा अब देश के सामने बेनकाब हो चुका है। उन्होंने कहा कि त्वरित न्या य की आड़ में भय का राज स्थापित करने की मंशा से चलाए जा रहे बुलडोजर के पहियों के नीचे अक्सर बहुजनों और गरीबों की ही घर-गृह स्थी आती है। उन्होने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस अति संवेदनशील विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करेगा। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उसनेकघनून के शासन के लिए इस खतरे को आखिर कार समझा है। इंसाफ को ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
साथियों बात अगर हम गाइडलाइंस के लिए सुझाव आमंत्रित करने की करें तो, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने सुझावों की एक प्रति मध्य प्रदेश राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता नचिके ता जोशी को उनकी ईमेल आईडी पर भी भेजें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है। अदालत ने शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सक ता। बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर हलफनामे की सराहना की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार ने हलफनामा दायर किया है। इसमें सरकार ने कहा कि अचल संपत्तियों को सिर्फ का नून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही ध्वस्त किया जा सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बुलडोजर एक्शन अब खुद एक्शन के दायरे में -बुलडोजर एक्शन की नकेल कसने सुप्रीम दिशा निर्देश जारी होंगे। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख-सुप्रीम कोर्ट दिशा नि र्देश बनाएगी जो अखिल भार तीय स्तरपर लागू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों, पक्षों से ईमेल आईडी पर सुझाव मांगे जिन्हें इमारत तोड़ने संबंधित नई गाइडलाइंस में शामिल कि या जा सकता है सराहनीय है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों, पक्षों से ईमेल आईडी पर सुझाव मांगे जिन्हें इमारत तोड़ने संबंधित नई गाइडलाइंस में शामिल किया जा सकता है सराहनीय
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