अफगान महिलाओं को अपना चेहरा दिखाने, सार्वजनिक स्थान पर ऊंची आवाज में बोलनें व पढ़ाई करने पर पाबंदी, अत्याचार व मानवाधिकारों का गंभीर हनन

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं का, न केवल सम्मान सबसे अधिक व पूज्यनीय का दर्जा प्राप्त है, बल्कि उनके लिए अनेक योजनाएं सुविधा प्राथमिकता एं लेडिस फर्स्ट का नियमभी है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 में महिलाओं की भागीदारी 33 परसेंट सुनिश्चित की गई है। अखिल भारतीय जिला न्यायालय के न्यायाधीशों के सम्मेलन में भी पीएम ने न्यायाधीशों से अपील की कि महिलाओं व बच्चों के खिलाफ मामलों का शीघ्र निपटारा करें, ताकि विशेष रूप से महिलाओं और पूरे समाज में सुरक्षा की भावना पैदा हो। यानें भारत में हर एंगल से हर लेवल पर महिलाओं को प्राथमिकता और उनकी चिंता की जाती है, आज हम महिलाओं के सम्मान की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान पर तालिबान के फिर से कब्जा करने के बाद 2021 में सद्ग गुणों के प्रचार और बुराई की रोकथाम के लिए बनाए गए मंत्रालय के तहत दुव्र्यवहार वह सदगुणों का कानून 2021 जो अभी हाल ही में कुछ दिन पूर्व ही लागू किया गया है, जिसमें 114 पुष्ठों के 35 अनुच्छेदो में बुरे और अच्छे गुणों को धाराओं में विस्तार से बताया गया है जिसमें अनुच्छेद 13 में महिलाओं पर अति सख्त और गंभीर पाबं दियां लगाई गई है, जिस में महिलाआं पर सार्वजनिक स्थान पर ऊंची आवाज में बोलने व पढ़ाई करने पर प्रतिबंध लगाया गया है, उन्हें पूरा शरीर ढकना होगा। यानें हिजाब तक की भी बंदिश है। या यूं कहें किमहिलाओं के पैर की उंगली भी कोई पराया मर्द देख नहीं सकता तथा वह सार्वजनिक जीवन से कट ही जाएगी। जिस पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अफगानिस्तान के सत्तारूढ़ तालिबान से तत्काल उन कानूनों को निरस्त करने का आह्वान किया है, जो महिलाओं को चेहरा विहीन, आवाज वि हीन छाया में बदलने का प्रयास करते हैं। उच्चायुक्त वोल्कर टर्क पिछले सप्ताह अफगानिस्तान में पारित किए गए नए कानूनों का उल्लेख कर रहे थे, जो महिलाओं को अपना चेहरा दिखाने या सार्वजनिक रूप से बोलने पर प्रतिबंध लगाते है। चूंकि अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार का नया कानून लागू हो गया है जिसमें अनुच्छेद 13 में महिलाओं पर अति गंभीर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं, इसलिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने तालिबान सरकार से तत्काल उन कानून को रद्द करने का आवाहन किया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे अफ गानिस्तान महिलाओं को अपना चेहरा दिखाने सार्वजनिक स्थान पर ऊंची आवाज में बोलने व पढ़ाई करने पर पाबंदी अत्याचार व मानवाधिकारों का गंभीर हनन है।
साथियों बात अगर हम अफगान में शासित तालिबान के नए कानून 2021 जिसको अभी हाल ही में लागू किया गया है के अनुच्छेद 13 की करें तो तालिबान ने महिलाओं के खुले में बोलने पर रोक लगाई है कहा आवाज सुनकर पुरुषों का मन भटक सकता हैय मर्दों को घुटनों तक शरीर ढंकना होगा महिलाओं को सख्त हिदायत देते हुए उनके घर से बाहर बोलने पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही उन्हें सार्वजनिक जगहों पर हमेशा अपने शरीर और चेहरे को मोटे कपड़े से ढक ने का आदेश दिया गया है। अंग्रेजी अखबार द गार्जियन के मुताबिक तालिबान ने इन कानूनों के पीछे की वजह देते हुए कहा है कि महिलाओं की आवाज से भी पुरुषों का मन भटक सकता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बोल ने से पहरेज करना चाहिए। तालिबान के सुप्रीम लीडर ने नए कानूनों को मंजूरी दे दी है। इन कानूनों को हलाल और हराम की दो कैटेगरी में बांटा गया है। तालिबान के इस फैसले की संयुक्त राष्ट्र संघ ने कड़ी निंदा की है। साथ ही कई मानवाधिकार संगठ नों ने भी इसे लेकर आपत्ति भी जताई है। तालिबान ने महिलाओं के घर में गाने और तेज आवाज में पढ़ने से भी मना किया है। जिन महिलाओं या लड़कियों को नए कानूनों तोड़ने का दोषी पाया जाएगा, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। तालिबान ने इस बार महिलाओं के अलावा पुरुषों पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। पुरुषों को भी घर से बाहर निकलते समय घुटनों तक अपने शरीर को ढंकना होगा। वहीं, तालिबान ने किसी भी जीवित शख्स की तस्वीर खींचने पर भी पाबंदी लगा दी है। 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सत्ता दूसरी बार तालिबान के हाथ आई। उसी दिन से महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए थे। सबसे पहले अलग-अलग सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से उन की नौकरियां छीनी गई। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गई। अफगानिस्तानमें महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं। न सिर्फ महिलाओं पर प्रतिबंध बल्कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद कई ऐसे कानून लागू किए हैं जो मानवाधिकारों के खिलाफ हैं। इनमें सबसे अहम सार्वजनिक जगहों पर सजा देना है।
साथियों बात अगर हम तालिबानी कानून, दुराचार व सद्गुण कानून 2021 की करें तो 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद इस कानून को बनाया गया था। मगर लागू अभी किया गया है। इस कानून का उल्लेख 114 पृष्ठ के दस्तावेज में है। किसी ने इन दस्तावेजों का अध्ययन किया। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद यह सदाचार कानूनों की पहली औपचारिक घोषणा है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, इंशाल्लाह हम आप को आश्वासन देते हैं कि यह इस्लामी कानून सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई को खत्म करने में बहुत मददगार होगा। बता दें कि अनुच्छेद 13 महिलाओं से जुड़ा है। इसमें बताता गया है कि एक महिला को कैसे कपड़े पहन ने चाहिए और सार्वजनिक रूप से कैसे व्यवहार करना चाहिए। अब महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर हर समय अपने चेहरे समेत पूरा शरीर को ढकना अनिवार्य है, ताकि वे दूसरों को लुभान सके। अफगानिस्तान में महिलाएं अब आम इस्लामी हिजाब भी नहीं पहन सकेंगी। दरअसल, हिजाब से सिर्फ सिर, बाल और गर्दन ढकता है।
मगर चेहरा खुला रहता है। तालिबान सरकार ने महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर गाने सुनाने और जोर से पढ़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल, तालिबान ने महिलाओं की आवाज को अंतरंग माना है। कानून में यह भी कहा गया है कि महिलाएं उन पुरुषों को नहीं देख सकतीं जिनसे उनका रक्त या विवाह से कोई संबंध नहीं है। अगर कोई महिला कानूनों को तोड़ती है तो उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। तीन दिन तक हिरासत में रखा जा सकता है। बता दें कि 2022 में तालिबान महिलाओं के एनजीओ पर काम करने पर प्रतिबंध लगा चुका है।
साथियों बात अगर हम इस कानून की अंतरराष्ट्रीय निंदा व तालिबान द्वारा समर्थन की करें तो इन प्रतिबंधों, खास तौर पर शिक्षा और एनजीओ के काम पर प्रतिबंधों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा की गई है। लेकिन तालिबान ने पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिए हैं, उनका दावा है कि ये प्रतिबंध अस्थायी निलंबन हैं, क्योंकि कथित तौर पर महिलाएं इस्लामी हि जाब या हिजाब सही तरीके से नहीं पहन रही थीं और लिंग भेद नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। जहां तक विश्वविद्यालय शिक्षा पर प्रतिबंध का सवाल है, तालिबान सरकार ने कहा है कि वहां पढ़ाए जा रहे कुछ विषय अफगान और इस्लामी मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से इस तरह से नियमों को पहली बार औपचारिक रूप से जारी किया गया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि हम आपको आश्वासन देते हैं कि यह इस्लामी कानून सद्गुणों को बढ़ावा देने और बुराई को खत्म करने में बहुत मदद करेगा। उनका कहना है कि ये कानून शरिया कानून की उनकी व्याख्या पर आधारित हैं। मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों, देशों और व्यक्तियों से मुसलमानों के धार्मिक मूल्यों का सम्मान करने का आह्वान किया। इन्होंने घोषणा की कि वह कानूनों की आलोचना के कारण अब यूएनएएमए के साथ सहयोग नहीं करेगा।
साथियों बात अगर हम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख द्वारा तालिबान से तत्काल इन कानूनों को निरस्त करने के आह्वान की करें तो, असहनीय प्रतिबंध देश में संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रमुख ने इन कानूनों को अफ गानिस्तान के भविष्य के लिए दुखद दृष्टिकोण प्रदान करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि ये कानून महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर पहले से ही असहनीय प्रतिबंधों को बढ़ाते हैं, यहाँ तक कि घर के बाहर महिला की आवाज को भी नैतिक उल्लंघ न माना जाता है। नए कानूनों का पारित होना तालिबान द्वारा संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त विशेष दूत रिचर्ड बेनेट को अफगानिस्तान में प्रवेश करने से रोकने और मानवाधिकार निगरानी संस्था पर दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाने के कुछ ही दिनों बाद हुआ है। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की मानवा धिकार स्थिति की निगरानी के लिए 2022 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा बेनेट को नियुक्त किया गया था। तब से, अफगान महिलाएँ और लड़कियाँ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जी वन के सभी पहलुओं में उनकी भागीदारी को सीमित करने वाले बढ़ते प्रतिबंधात्मक आदेशों से जूझ रही हैं। इन में आवागमन की प्रतिबंधित स्वतंत्रता प्रतिबंधात्मक ड्रेस कोड, हिंसा से कोई सुरक्षा नहीं और जबरन विवाह शामिल हैं। अफगान महिलाओं को अपना चेहरा दिखाने और सार्वजनिक स्थानों में बोलने पर प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अफगानिस्तान के सत्तारूढ़ तालिबान से तत्काल उन कानूनों को निरस्त करने का आह्वान किया है, जो महिलाओं को चेहरा विहीन, आवाज विहीन छाया में बदलने का प्रयास करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र तालिबान सहित अफगानिस्तान में सभी हित धारकों से बातचीत जारी रखेगा। भले ही अफगानिस्तान के शासकों ने महिलाओं की आवाज और खुले चेहरे पर प्रतिबंध जारी किया हो और यू.एन. मिशन की आलोचना के बाद उससे संबंध तोड़ लिए हों। न्यूयॉर्क में यू.एन. के प्रवक्ता ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन और इसकी प्रमुख रोजा का बचाव किया, जिन्होंने कहा कि नए कानूनों ने अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक दुखद दृष्टिकोण प्रदान किया है। उन्होंने पिछले सप्ताह कहा कि कानून महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर ‘पहले से ही असहनीय प्रतिबंधों को बढ़ाते हैं, जिसमें घर के बाहर ‘यहां तक कि एक महिला की आवाज को भी नैतिक उल्लंघन माना जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार का 114 पृष्ठीय दुव्र्यवहार और सद्गुण कानून 2021 लागू-अनुच्छेद 13 में महिलाओं पर अति सख्त प्रतिबंध। संयुक्त राष्ट्रमानवा धिकार प्रमुख ने तालिबान सरकार से तत्काल उन कानून को रद्द करने का आह्वान किया। अफगान महिलाओं को अपना चेहरा दिखाने, सार्वजनिक स्थान पर ऊंची आवाज में बोलनें व पढ़ाई करने पर पाबंदी, अत्याचार व मानवाधिकारों का गंभीर हनन है।

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