प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा व सिंगल यूस प्लास्टिक बैन कानूनों नियमों विनियमों का पालन करना हर मानवीय जीव का परम कर्तव्य है

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time15 Minute, 5 Second

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियां का हर देश जलवायु परिवर्तन व अनेक शहरों नगरों में जल जमाव से बुरी तरह पीड़ित हैं, जिसका समाधान करने के लिए पेरिस समझौते से लेकर अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समस्या का स्थाई हल निकालने पर मंथन होता रहता है।परंतु मेरा मानना है कि इसका स्थाई समाधान हम मानवीय योनि की दिन चर्या बदलने पर निर्भर है, यानें हम अगर प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ उनके अवैध दो हन छोड़ने का संकल्प करें तथा जल जमाव का महत्व पूर्ण कारण सिंगल यूस प्ला स्टिक का उपयोग करना छोड़ दें, तो हर देश को जलवायु परिवर्तन व जल जमाव का स्थाई समाधान मिल जाएगा। मैं आज इन दोनों विषयों पर आर्टिकल लिखने का मानस इसलिए बनाया क्योंकि, मेरे एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक पोस्ट आया जिसपर गटर सेनि कली हुई पानी की प्लास्टिक खाली बोतल प्लास्टिक का कचरा व सिंगल यूस प्लास्टि क भारी मात्रा में उस गटर से निकली पड़ी थी और पोस्ट में लिखा था बारिश के पानी का जल भराव तो सबको दिखता है, जनहानि भी होती है परंतु इसका कारण अपनी गलती किसी को नहीं दिख ती! बस! मैंने उसे देखकर कोट करके लिखा आज इसी विषय पर आर्टिकल लिखना तय है। वहीं दूसरा कारण केरल वायनाड में आए भूस्ख लन की घटना में मृतक क्यों की संख्या 173 पार बताई गई जिस पर राष्ट्रपति प्रधान मंत्री सहित रूस के राष्ट्रपति द्वारा भी दुख प्रकट किया गया है, व दिल्ली जल जमाव मामले में तीन छात्रों की मौत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली महानगर निगम को जोरदार फटकार लगाई थी, व मथुरा में भी भारी बारिश में जल जमाव को लेकर प्रशा सन व यातायात विभाग ने अलर्ट जारी किया। मेरा मान ना है कि जलवायु परिवर्तन से दुर्गति व नगरों में जल जमाव दोनों समस्याएं मान वीय देन है।
अगर हम प्राकृतिक संसा धनों का अवैध खनन दोहन बंद कर व सिंगल यूस प्ला स्टिक का उपयोग बंद कर दें तो इस भीषण समस्या से निदान पा सकते हैं हालांकि इन दोनों समस्याओं पर नि यंत्रित करने के लिए प्रत्येक देश सहित भारत में भी सख्त कानून नियम विनियम बने हुए हैं जिसमें 19 चीजों पर सख्त बैन लगाया गया है, व सजा का भी प्रावधान है, फिर भी हम इन कानून नियमों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो जल जल जमाव के दोषी हम खुद हैं। चूंकि प्लास्टिक कच रा जल निकासी साधनों को चोक करता है, जिसके भया नक परिणाम मानवीय जीव खुद भुगतता है, व जल भराव जलवायु परिवर्तन से भारी नुकसान व जनहानि के दोषी हम मानवीय जीव खघ्ुद ही हैं इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्राकृतिक संसा धनों की रक्षा व सिंगल यूस प्लास्टिक बैन कानूनों नियमों विनियमों का पालन करना हर मानवीय जीव का परम कर्तव्य है।
साथियों बात अगर हम जल जमाव का जिम्मेदार प्ला स्टिक कचरे की करें तो, कें द्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली में हुई मूसलाधार बारिश के बाद जलजमाव के लिए प्ला स्टिक कचरे से अटे नालों को जिम्मेदार ठहराया। उन्हों ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार की भी आलोचना की। बता दें, सीजन की पहली भारी बारिश ने दिल्ली में जल जमाव वाली सड़कों, अंडर पासों, पानी में फंसे वाहनों और लंबे ट्रैफिक जाम को फिर से जीवित कर दिया।
कई लोगों ने शहर की जल निकासी व्यवस्था पर निराशा व्यक्त की। मेरा मान ना है कि इसमें जन्म मानस भी दोषी है क्योंकि वे कानूनी बैन के बावजूद सिंगल प्ला स्टिक यूस कर रहे हैं। उन्हों ने भारत जलवायु शिखर सम्मे लन में कहा, हमने एकल-उप योग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया और दिल्ली सरकार से कार्रवाई करने को भी कहा। हमने दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग से इन (एकल- उपयोग प्लास्टिक विनिर्माण) इकाइयों को बंद करने के लिए कई बार कहा है। उन्हों ने कहा कि इन इकाइयों ने न केवल पर्यावरणीय खतरों में योगदान दिया है, बल्कि औद्योगिक आपदाओं का भी अनुभव किया। बता दें, जल जमाव का मुख्य कारण पाॅलि थीन के कारण नालियों का जाम होना है। हमें व्यक्तिगत व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है और यह स्थानीय सरकार का भी हिस्सा होना चाहिए। जलजमाव के लिए प्लास्टिक कचरा जिम्मेदार है।
साथियों बात अगर हम सिंगल यूस प्लास्टिक को जा नने की करें तो, ऐसी प्ला स्टिक जो सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल के लायक को उसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जाता है। जैसे- प्लास्टिक की थैलियां, प्याले, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक हैं। इस लिए इस तरह के प्लास्टिक को एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है।
दरअसल आधी से ज्यादा इस तरह की प्लास्टिक पेट्रो लियम आधारित उत्पाद होते हैं। इनके उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है। यही व जह है कि रोजाना के बिजन स और कारोबारी इकाइयों में इसका इस्तेमाल खूब होता है। उत्पादन पर इसके भले ही कम खर्च हो लेकिन फेंके गए प्लास्टिक के कचरे, उस की सफाई और उपचार पर काफी खर्च होता है। सिंगल यूज प्लास्टिक के अंदर जो रसायन होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है।
इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जला शयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है। हम खुद भी गौर करें। मार्केट में ऐसी चीजों का चलन बहुत आम हो गया है। हम खुद बाजार जाएं तो ना चाहते हुए भी कुछ एक आईटम्स ऐसे ले ही आते हैं। बहुत सारे प्रोडक्ट्स में गत्ते के ऊपर प्लास्टिक रैप की रहती है जिसको कोई देखता भी नहीं है और फेंक देता है।
ऐसी ही सब चीजें आती हैं इसके अंतर्गत। 01 जुलाई 2022 से भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक वाली वस्तुओं पर बैन लगाया गया है। इनमें 100 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक बैनर, गुब्बारा, फ्लैग, कैंडी, ईयर बड्स के स्टिक और मिठाई बाॅक्स में यूज होने वाली क्लिंग रैप्स भी शामिल हैं। इसके साथ ही 120 माइक्राॅन से कम मो टाई वाले प्लास्टिक बैग को भी 31 दिसंबर 2022 से बंद कर दिया गया है। खतरनाक प्रभाव-अव्यवस्थित डिस्पो जल नालीध्सीवेज सिस्टम को चोक करते हैं। खुले में डिस्पोजल गाय और अन्य ऐसे जीवों द्वारा निगले जाने पर प्राणघातक बनते हैं। जल स्रोतों में डंप होने पर जलीय पारिस्थितिकी को विषैला क रते है। जलाए जाने पर वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। हर प्लास्टिक रिसाईकल भी नहीं किया जा सकता है।
साथियों बात अगर हम स्वच्छ भारत अभियान मिशन में प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ी बाधा बनने की करें तो स्वच्छ भारत अभियानमें पाॅली थीन सबसे बड़ी बाधा है, इसीलिए लोगों से प्लास्टिक मुक्त भारत की मुहिम में योग दान देने के लिए बाजार से खरीदारी के लिए पाॅलीथीन के बजाय कपड़े का थैला इस्तेमाल करने की अपील भी की जाती रही है।
दरअसल एक समय था, जब हम बाजार से कोई भी सामान लाने के लिए कपड़े का थैला लेकर ही घर से निकलते थे लेकिन समय के साथ-साथ अपनी सहूलियतों के हिसाब से हमने पाॅलीथिन को इतना महत्व दिया कि कपड़े का थैला लेकर बाजार जाना आज की पीढ़ी को तो अपनी शान के खिलाफ लग ता है। प्लास्टिक की एक थैली को नष्ट होने में 20से 1000 साल तक लग जाते हैं जबकि एक प्लास्टिक की बोतल को 450 साल, प्ला स्टिक कप को 50 साल और प्लास्टिक की परत वाले पेपर कप को नष्ट होने में करीब 30 साल लगते हैं। बहरहाल, प्लास्टिक प्रदूषण से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय यही है कि लोगों को इसके खतरों के प्रति सचेत और जागरूक करते हुए उन्हें प्लास्टिक का उपयोग न करने को प्रेरित किया जाए।
साथियों बात अगर हम प्लास्टिक कचरे के खिलाफ सरकार के सख्त कदम उठाने की करें तो, सरकार तो अपनी ओर से सख्त कदम उठा रही है। आमजन को भी सिंगल यूज प्लास्टिक के दुप्रभावों को समझने कीजरूरत है। साथ ही, सरकार को व्यापक स्तर पर जनजागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश लोग अभी भी इसे लेकर अनभिज्ञ हैं। वो केवल अपने कंफर्ट को ढूंढते हैं। कहीं ऐसा न हो की सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक केवल उगाही का जरिया बन कर रह जाए। कहीं ऐसा न हो की चोर रास्तों से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल जारी रहे और सरकार की सारी कवायद धरी की धरी रह जाए। भारत सरकार का सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक का कदम साहसिक है, क्यों कि यह बेहद जोखिम भरा क दम है। अभी सरकार ने सिं गल यूज प्लास्टिक के इस्लेमा ल पर एक लाख रुपए जुर्मा ना और 7 साल की सजा का प्रावधान किया है। असली चुनौती इसे गंभीरता से लागू करने की है। प्लास्टिक अप शिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021, 30 सितंबर, 2021 से 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के विनिर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाते हैं, तथा 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के विनि र्माण, आयात, भंडारण, वित रण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाते हैं।
पर्यावरण, वन और जल वायु परिवर्तन मंत्रालय ने 16 फरवरी, 2022 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2022 के रूप में प्ला स्टिक पैकेजिंग परविस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी पर दिशा-निर्देश भी अधिसूचित किए हैं। विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) किसी उत्पाद के जीवन के अंत तक उसके पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के लिए उत्पादक की जिम्मेदारी है। दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की सर्कुलर अर्थव्यवस्था को मज बूत करने, प्लास्टिक पैकेजिंग के नए विकल्पों के विकास को बढ़ावा देने और व्यवसायों द्वा रा टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की ओर बढ़ने के लिए अगले कदम प्रदान करने के लिए रूपरेखा प्रदान करेंगे।अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका वि श्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जल जमाव जलवायु परिवर्तन से भारी नुकसान व जनहानि के दोषी हम मानवीय जीव हैं। प्लास्टिक कचरा, जल निकासी साधनों को चोक करता है- भयानक परिणाम मानवीय जीव खुद भुगत ता है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा व सिंगल यूस प्लास्टि क बैन कानूनों नियमों विनिय मों का पालन करना, हर मान वीय जीव का परम कर्तव्य है।

Next Post

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुुमारी शैलजा ने केंद्रीय रेल सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रानिक एवं आईटी मंत्री को पत्र लिखकर रेल विभाग से संबंधित कई मांगे उठाई

(करण […]
👉