वैश्विक मंचों द्वारा अपने वार्षिक शिखर सम्मेलनों मंचों सम्मिटों व सत्रों को भारत में आयोजित करना विजन 2047 में मील का पत्थर साबित होगा

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि अनेक वैश्विक मंचों द्वारा अपने वार्षिक शिखर स म्मेलनों सम्मिटों मंचों व सत्रों का आयोजन भारत में किया जा रहा है, जो अपने आप में बहुत बड़ी अच्छी बात है, क्यों कि इससे भारत की प्रतिष्ठा तो कई गुना बढ़ती ही है ब ल्कि अनेकों स्रोतों व एंगल से भारत के अर्थशास्त्र को भी अति लाभ पहुंचता है जिससे विजन 2047, फाइव ट्रिलियन डाॅलर अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा। यानें इस विजन रूपी सीढ़ी में पहिए लगते जा रहे हैं,उसी कड़ी में भारत में 46 वाँ विश्व धरोहर समिति सत्र 21-31 जुलाई 2024 का शुभारंभ माननीय पीएम के हस्ते बीती दिनांक 21 जुलाई 2024 को देर शाम हुआ। बता दें विश्व धरोहर समिति का सत्र भारत में पहली बार हो रहा है,इसके पहले भी हमजी-20 सहित अनेको वैश्विक मंचों शिखर सम्मेलनो का आयोजन भारत में देख चुके हैं। चूंकि 46 वाँ विश्व धरोहर समिति का सत्र भारत में शुरू हो चुका है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक विकास में सांस्कृतिक धरोहर को संर क्षित कर सृजनात्मक क्रिया से टूरिज्म क्षेत्र में रोजगार का महत्वपूर्ण फैक्टर बनेगा।
साथियों बात अगर हम भारत में 46 वें विश्व धरोहर समिति सत्र 21से 31 जुलाई 2024 की करें तो, भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की मेजबानी कर रहा है। इसका आयोजन नई दिल्ली के भारत मंडपम में हो रहा है। विश्व धरोहर से संबंधित सभी माम लों के प्रबंधन और सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय से संबंधित चर्चा होगी। इसमें 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं इसके अलावा, भारत मंडपम में भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रदर्शनियां भी लगा ई गई है। रिटर्न आॅफ ट्रेजर्स प्रदर्शनी में देश में वापस लाई गई कुछ कलाकृतियों को प्रद र्शित किया गया है। अब तक 350 से अधिक कलाकृतियां वापस लाई जा चुकी हैं।
इसके अलावा, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी सभ्यता, भौगो लिक विविधता, पर्यटन स्थलों और सूचना प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आ धुनिक विकास को उजागर करने के लिए अतुल्य भारत प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
पीएम ने 46वें सत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर यूनेस्को की महानिदेशक आॅद्रे अजोले भी उद्घाटन स मारोह में शामिल हुई। विश्व धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है। बै ठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को ना मांकित करने के प्रस्ताव, 124 मौजूदा विश्व धरोहर संपत्तियों की संरक्षण रिपोर्ट की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधि के उपयोग आदि पर गंभीरता चर्चा की जा रही है।
साथियों बात अगर हम विश्व धरोहर समिति में भारत की करें तो,इस समय भारत का दुनियां में संयुक्त राष्ट्र शै क्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) स्थलों की संख्या के हिसाब से छठा स्थान है।
इसके साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत दूसरे नंबर पर है। विश्व धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है और यह विश्व धरोहर स्थलों से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन तथा यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेती है। अब तक 168 देशों की 1,199 संपत्तियों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जा चुका है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानका री के अनुसार, विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में दुनियां भर से प्राप्त 27 नए स्थलों के नामांकनों की जांच की जा एगी जिनमें 19 सांस्कृतिक स्थल, चार प्राकृतिक स्थल और दो मिश्रित स्थल हैं। सत्र में भारत की ओर से साल 2023 -24 के लिए सांस्कृतिक सं पत्ति श्रेणी में नामांकित असम के श्मोइदम्सश् से संबंधित आवेदन की पड़ताल की जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अति रिक्त महानिदेशक ने संवाददा ताओं से कहा था अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद (आईसीओएमओएस) ने मोइ दम्स के अंकन के लिए अनु कूल अनुशंसा की है जिसका अर्थ है कि यह सभी मापदंडों को पूरा करता है। भारत के साथ कुछ अन्य देशों द्वारा भी कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। भारत मंडपम में आयोजित होने वाले अन्य कार्यक्रमों में स्वदेशी शिल्प उत्पादों की खरीदारी के अनुभव के अला वा भ्रमण और पर्यटन की यो जना बनाई गई है। इसके साथ ही भारत की डिजिटल विशेषज्ञता को प्रदर्शित करने की भी योजना बनाई गई है।
अधिकारियों ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय ने प्रदर्शनियों का आयोजन किया है। भारत मंडपम में भारत की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए हथकरघा और हस्तशिल्प जैसी विभिन्न प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी। पीएम कार्यालय द्वारा जारी, बयान में कहा गया, कार्यक्रम के दौरान नवीनतम एआर और वीआर प्रौद्योगिकियों का उप योग करके भारत के तीन विश्व धरोहर स्थलों का अद् भुत अनुभव प्रदान किया जा एगा, जिसमें गुजरात के पाटन में स्थित रानी की वाव, कैलाश मंदिर, एलोरा गुफाएं, महाराष्ट्र और होयसल मंदिर, हलेबिड, कर्नाटक शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम 46 वें विश्व धरोहर समिति सत्र को माननीय पीएम द्वारा 21 जुलाई 2024 को देर शाम उद्घाटन कर संबोधन की करें तो, हेरिटेज केवल हिस्ट्री नहीं, बल्कि मानवता की एक साझी चेतना है। हम दुनिया में कहीं भी किसी हेरिटेज को देखते हैं, तो हमारा मन वर्तमान के जियो पाॅलीटिक ल फैक्टर्स से ऊपर उठ जाता है। हमें हेरिटेज के इस पोटें शियल को विश्व की बेहतरी के लिए प्रयोग करना है। हमें अपनी विरासतों के जरिए दिलों को जोड़ना है। और आजइस सम्मिट के माध्यम से, भारत का, पूरे विश्व को यही आह्वान है, आइए हम सब जुड़ें, एक दूसरे की विरा सत को आगे बढ़ाने के लिए आइए हम सब जुड़ें। मानव कल्याण की भावना के विस्तार के लिए! आइए, हम सब जुड़ें, अपनी हेरिटेज को संरक्षित करते हुए टूरिज्म बढ़ाने के लिए, ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके बनाने के लिए। भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता, ये सामान्य इतिहास बोध से कहीं ज्यादा प्राचीन और व्यापक हैं। इसीलिए, जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आ रहे है, जैसे-जैसे इतिहास का वैज्ञानिक वेरिफिकेशन हो रहा है। हमें अतीत को देखने के नए दृष्टिकोण विकसित करने पड़ रहे हैं। यहां मौजूद वर्ल्ड एक्सपर्टस को उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले स बूतों के बारे में जरूर जानना चाहिए। सिनौली की फाइंडिंग् स काॅपर एज की हैं। लेकिन, ये इंडस वैली सिविलाइजेशन की जगह वैदिक सिविलाइजे शन से मेल खाती हैं। 2018 में वहाँ एक 4 हजार साल पुराना रथ मिला है, वो ‘हॉर्स ड्रिवेन’ था। ये शोध, ये नए तथ्य बताते हैं कि भारत को जानने के लिए अवधारणाओं से मुक्त नई सोच की जरूरत है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूँ। नए तथ्यों में, उसके आलोक में इतिहास की जो नई समझ विकसित हो रही है, आप उसका हिस्सा बनें, उसे आगे बढ़ाएँ। भारत वैश्विक विरासत के इस संरक्षण को भी अपनी जिम्मेदारी मानता है।
इसीलिए, हम भारतीय वि रासत के साथ-साथ ग्लोबल साउथ के देशों में भी हेरिटेज संरक्षण के लिए सहयोग दे रहे हैं। कंबोडिया के अंकोर- वाट, वियतनाम के चाम टेम्प ल्स, म्यांमार के बागान में स्तूप, भारत ऐसी कई धरोहरों के संरक्षण में सहयोग दे रहा है। और इसी दिशा में आज मैं एक और अहम घोषणा कर रहा हूं। भारत यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के लिए 1 मि लियन डाॅलर का कंट्रीब्यूश न करेगा। ये ग्रांट कैपेसिटी बिल्डिंग टेक्निकल असिस्टेंस, और वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के कंजर्वेशन में प्रयोग होगी। विशेष रूप से, ये पैसा ग्लोबल साउथ के देशों के काम आए गा। भारत में युवा प्रोफेसनल्स के लिए वर्ल्ड हेरिटेज मैनेज मेंट में सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी शुरू हो गया है। मुझे विश्वा स है, कल्चरल और क्रिएटिव इंडस्ट्री, ग्लोबल ग्रोथ में बड़ा फैक्टर बनेगी। साथियों बात अगर हम विश्व धरोहर समिति को जानने की करें तो, विश्व धरोहर समिति उन स्थलों का चयन करती है जिन्हें यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। यह विश्व धरोहर कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए जिम्मे दार है, विश्व धरोहर कोष के इस्तेमाल को परिभाषित करता है और राष्ट्र दलों से अनुरोध पर वित्तीय सहायता का आवंटन करती है। इसका गठन 21 राष्ट्र दलों से मिल कर होता है, जिनका चुनाव राष्ट्र दलों की महासभा द्वारा चार साल केकार्यकाल के लिए होता है। विश्व धरोहर कन्वेंशन के नियमानुसार, स मिति के सदस्य राष्ट्र का कार्य काल छह साल के लिए हो ता है, लेकिन कई राष्ट्र दल स्वेच्छा से केवल चार साल के लिए ही समिति के सदस्य बने रहना स्वीकार करते हैं ताकि, दूसरे राष्ट्र दलों को भी समिति का सदस्य बनने का मौका मिल सके।
उदाहरण के लिए, 15 वीं महासभा (2005) के लिए नि र्वाचित सभी सदस्यों ने स्वेच्छा से अपना कार्यकाल छह वर्ष से घटा कर चार वर्ष करने का फैसला किया। विश्व ध रोहर पृथ्वी पर उन स्थानों के लिए पदनाम है जो मानवता के लिए उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य के हैं और इस तरह, भविष्य की पीढ़ियों की सरा हना और आनंद के लिए संरक्षित करने के लिए विश्व धरोहर सूची में अंकित किए गए हैं। मिस्र के पिरामिड, आॅस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर रीफ, इक्वाडोर में गैलापागोस द्वीप, भारत में ताजमहल, यूएसए में ग्रैंड कैन्यन या ग्रीस में एक्रोपोलिस जैसे विविध और अद्वितीय स्थान आज तक विश्व धरोहर सूची में अंकित 1007 प्राकृतिक और सांस्कृति क स्थानों के उदाहरण हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में 46 वाँ विश्व धरोहर समिति सत्र 21-31 जुलाई 2024-आओ विश्व विरासतों के जरिए मान वीय दिलों को जोड़ें।
वैश्विक विकास में, सां स्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर सृजनात्मक क्रिया से टूरिज्म क्षेत्र में रोज गार का महत्वपूर्ण फैक्टर बनेगा। वैश्विक मंचों द्वारा अपने वार्षिक शिखर सम्मेलनों मंचों सम्मिटों व सत्रों को भारत में आयोजि त करना हर भारतीय के लिए गौरव व विजन 2047 में मील का पत्थर साबित होगा।

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