एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में भारत ही एक अकेला ऐसा देश है, जहां आदि अनादि काल से महिला ओं को भावपूर्ण सम्मान का सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
महिलाओं को देवी शक्ति के रूप में देखा जाता है, क्यों कि मां लक्ष्मी सरस्वती पार्वती दुर्गा काली मां राणचंडी सहित विभिन्न स्वरूपों को भगवान मानकर पूजा गया है, जिस का उदाहरण वर्तमान समय में भी देखा जा सकता है। हर उस उपयुक्त समय पर हम इनकी पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं। वही आधुनिक युग में हम महिलाओं के सम्मान को देखें तो उन्हें अनेक सुवि धाएं दी गई है हम अक्सर लेडिस फर्स्ट का वाक्यांश सुनते हैं, उससे भी बढ़कर हमने देखे की 17वीं लोक सभा के समय में वर्ष 2023 में महिला आरक्षण बिल 2023 भी पास किया गया है, जिस में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया है जो हमारे विजन 2047 में मील का पत्थर साबित होगा।
महिलाओं को भारतीय कानून में मातृत्व अवकाश की भी सुविधा दी गई है जो क रीब करीब 180 दिन होती है उन पिताओं को भी 15 दिन का अवकाश मिलता है। परंतु इन अवकाश दिनों में पिछले 50 वर्षों से एक ही कमी थी, जो सरोगेसी के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली मां को अवकाश के बारे में सेंट्रल सिविल सर्विस (लीव) रूल 1972 में उनके लिए कोई अवकाश का प्रावधान नहीं था। सरोगेट बच्चा होने का ट्रेंड बढ़ते जा रहा है, अनेक सेलिब्रिटीज व शासकीय कें द्रीय सेवा में शामिल महिलाएं यह प्रथा अपना रही है तो उन्हें यह सुविधा नहीं मिल रही है,इसलिए सरकार ने एक फैसला लेकर सेंट्रल सि विल सर्वेंट (लीव) अमेंडमेंट रूल 2024 पारित कर 18 जून 2024 को अधिसूचित कर दिया है जिससे उन महिलाओं को भी 180 दिन का अवकाश व पिताओं को 15 दिन का अवकाश मिलेगा। चूंकि अब इस नए रूल 2024 के लागू होने से महिलाओं की सुवि धा में वृद्धि हो गई है, इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, महिला को सरोगेसी के लिए बच्चा होने पर अब 180 दिन का अवकाश वेतन सहित मिलेगा जिसके लिए 50 साल पुराने नियम में संशो धन किया गया है।
साथियों बात अगर हम सेंट्रल सिविल सर्वेंट (लीव) अमेंडमेंट रूल 2024 को सम झने की करें तो, नए नियम में दो से कमजीवित बच्चों वाली मां को मिलेगा बाल देखभाल के लिए मातृत्वअवकाश 18 जून को अधिसूचित संशोधित नियमों में कहा गया है कि अधिसूचित केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) (संशोधन) नियम 2024 के अनुसार सरोगेसी के मामले में दो से कम जीवित बच्चों वाली कमीशनिंग मां को बाल देखभाल अवकाश दिया जा सकता है। याने अब सेरोगेट मां भी 180 दिन के लिए मातृत्व अवकाश आ सानी से ले सकेंगी। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित नियमों के अनुसार, सरो गेट के साथ ही अधिष्ठाता मां (जन्म देने वाली और पालने वाली मां) को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। नियम के मुताबिक, महिला कर्मचारी के दो से कम जीवित बच्चे होने चाहिए। महिला कर्मचारियों को मां बनने पर दफ्तर की तरफ से छह महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है। अब ये सुविधा सेरोगेसी से मां बनने वाली सरकारी महिला कर्मचा रियों को भी मिल सकेगी।
केंद्र सरकार ने मातृत्व अवकाश को लेकर लागू 50 साल पुराने नियम में संशोधन किया है। बता दें कि इसके पहले बच्चे को जन्म देने वाली मां को 6 महीने का मातृत्व अवकाश मिलता था। नियम में संशोधन होने से सरोगेसी से मां बनी महिलाओं को भी लाभ मिल सकेगा। सरोगेसी (किराये की कोख) के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को 6 महीने की नौकरी से छुट्टी तो मिलेगी ही साथ ही पूरे 6 महीने का वेतन भी मिलेगा। हालांकि इसका फायदा अभी सरकारी महिला कर्मचारियों को ही मिलेगा। इसी तरह से अगर पुरुष पिता बने हैं तो वे भी 15 दिन की छुट्टी ले सकेंगे। बता दें कि अब तक सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं के लिए छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं था। परि वर्तित नए नियमों के मुताबिक सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे के मामले में, कमी शनिंग पिता,जो एक पुरुष सरकारी कर्मचारी है और जिस के दो से कम जीवित बच्चे हैं, बच्चे के जन्म की तारीख से 6 महीने की अवधि के भी तर 15 दिनों का पितृत्व अव काश दिया जा सकता है।
साथियों बात अगर हम सरोगेसी क्या होती है इसको समझने की करें तो, सरोगसी को किराये की कोख भी कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो इस प्रक्रिया में बच्चा पैदा करने के लिए दूसरी महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है। यानें अगर कोई महिला गर्भ धारण नहीं करना चाहती तो वह पैसे दे कर कोख किराए पर ले सक ती है। सरोगेसी की प्रक्रिया में महिला अपने या फिर डोनर के एग्स से प्रेग्नेंट होती है,जो महिला प्रेग्नेंट होती है उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। हालांकि इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि बच्चे की असली मां वो नहीं होती जो पेट में बच्चे को पालती है, बल्कि वो होती है जिसने किराए पर कोख लिया ह। कानूनी रुप से उन्हें कमीशंड मदर यानें अधिष्ठाता मां कहा जाता है। जन्म लेने के बाद बच्चे का पालनपोषण कमीशंड मदर यानी असली मां करती है किराए पर कोख देने वाली नहीं।सिर्फ शादी शुदा जोड़े ही सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन सकते हैं,उनकी उम्र पुरुष 26-55 साल और महिला 23-50 होनी चाहिए। बता दें कि अनमैरिड कपल्स, तलाकशुदा महिलाएं, विधवाएं या जीएल बीटीक्यूआई ए़ जोड़े इसके योग्य नहीं हैं।सेरोगेसी से मां बनने के मामले में जो महिला बच्चा पैदा करती है, उसे से रोगेट मदर कहा जाता है। उसे अपनी कोख किराये पर देनी होती है, जहां बच्चे को गर्भ में रखा जाता है। लेकिन उस बच्चे की असली मां वही होती है जिसके लिए सेरोगेट मदर ने अपनी कोख किरा ये पर दी है। इन मांओं को कानून की भाषा में अधिष्ठा ता मां (कमीशंड मदर) कहा जाएगा। कमीशंड मदर वो होंगी जो सेरोगेसी से पैदा होने वाले बच्चे का पालन- पोषण करेंगी।
साथियों बात अगर हम सरोगेसी पर मैटरनिटी लीव का नियम को समझने की करें तो, केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली 1972 में केंद्र सरकार ने हाल ही बदलाव किए हैं। नए बदलावों और नियम के मुताबिक, ऐसी महिला जो सरोगेसी के जरिए मां बन रही हैं, ( सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे को पालने वाली मां) वह अपने बच्चे की देखभाल के लिए मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। इसके साथ ही पिता के लिए भी यह नियम लागू है। ऐसे पुरुष कर्मचारी जो सरोगेसी से पिता बने हैं, उन्हें बच्चे के जन्म की तारीख से 6 माह के भीतर 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिल सकता है। इस तरह का नियम एकल पुरुष सरकारी कर्मचारियों के लिए राहतपूर्ण हो सकता है। मा तृत्व अवकाश के नियम, का र्मिक मंत्रालय द्वारा जारी सं शोधित नियमों के अनुसार, सरोगेट के साथ ही अधिष्ठा ता मां (जन्म देने वाली और पालने वाली मां) को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। नियम के मुताबिक, महिला कर्मचारी के दो से कम जी वित बच्चे होने चाहिए। सर कारी सेवा में होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अव काश दिया जा सकता है। वहीं पहले के नियम के मुता बिक, चाइल्ड केयर लीव यानी शिशु देखभाल अवकाश के अंतर्गत बच्चे की देखभाल जैसे शिक्षा,बीमारी आदि के लिए सेवाकाल में अधिकतम 730 दिन का अवकाश मिल सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महिला को सरोगेसी के जरिए बच्चा होने पर अब 180 दिन का अवकाश-50 साल पुराने नियम में संशो धन। सेंट्रल सिविल सर्विस (लीव) अमेंडमेंट रूल 2024- सरोगेसी कमिशनिंग मां को बाल देखभाल अवकाश मिले गा सरोगेसी (किराए की कोख) के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को 6 माह की छुट्टी सहित वेतन भी मिलेगा जो रेखांकित करने वाली बात है।
सरोगेसी ;किराए की कोखद्ध के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को 6 माह की छुट्टी सहित वेतन भी मिलेगा जो रेखांकित करने वाली बात है

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