दुनियां के लिए विश्वबंधु बनकर उभरा भारत, क्या बिना फ्री हैंड के विश्व और घरेलू प्रस्तावित विजन को तेजी से बढ़ा पाएगा?

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां ने देखा वर्तमान हैट्रिक एट द रेट आॅफ 3.0 लगाने वाली सरकारने जिस तरहपिछले 10 वर्षों में ऐसे अनेक कठिन निर्णयों को वि शाल हृदय से आसानी से ले कर अनेक निर्णयों को कार्या न्वित किया जिससे भारत सहित पुरी दुनिया हतप्रभ हो गई थी तथा जिस तरह से प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य शिक्षा सहित हर क्षेत्र में पूरी दुनियां के साथ मिलकर घरेलू ही नहीं पूरी दुनिया के काम रास करके, दुनियां के सभी देशों के हृदय में अपने प्रति विश्वबंधु होने का भाव उदित किया वह काबिल ए तारीफ है, इसी भरोसे व संभावना के साथ ही हैट्रिक एट द रेट आॅफ 3.0 से सरकार वापस आई, परंतु अबकी बार सरकार में एक बहुत बड़ी कमी देखने को मिल सकती है वह है, फ्री हैंड की कमी, क्योंकि वर्तमान सरकार हालांकि इलेक्शन प्री प्रिपरेशन से ही यानें इलेक्श न में जाने के पहले से ही एनडीए के साथ एक कुनबा होकर चुनाव लड़े थे और जीते भी, परंतु पिछले दो टर्म की तरह खुद के नंबर गेम नहीं ला सके, इसलिए अब उन्हें बैसाखियों के सहारे निर्णय में बाधा आ सकती है। यानें जो निर्णय पहले एक मत से किसी भी बड़ी से बड़ी सम स्या के समाधान में होते थे, वह अब लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, जिसका सटीक उदाहरण ह मने मीडिया में देखे कि सर कार बनने के पहले ही अग्नि वीर की वापसी, जातीय आर क्षण और अन्य मुद्दों सहित कुछ योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लगाए गए हैं, हमें यह आभास हो चला है कि जो हमारा विजन 2047 है, जैस एक देश एक चुनाव, यूसीसी सहत अनेक योजनाओं पर असर पड़ने की संभावना हो सकती है। इस तरह जैसे माननीय पीएम ने चुनावी सभाओं में हैट्रिक एट द रेट आॅफ 3.0 सरकार के प्रथम 100 दिनों के रोड मैप तैयार होने की करें तो, चुंकि मंत्रालयों का विकेंद्रीकरण हो जाएगा तो होसकता है, वह तैयार रोड मैप बदल जाए, यही संचय मंत्रालय से संबंधित अधि कारियों को भी होगा। चूंकि दुनियां के लिए विश्वबंधु बन कर उभरा भारत, क्या बिना फ्री हैंड के विश्व और घरेलू विजन को तेजी से बड़ा पाएगा? यह प्रश्न आज देश के सामने उत्पन्न हुआ है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आ र्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, हैट्रिक एट द रेट आॅफ 3.0 फ्री हैंड पर पेंच फंस सकता है?
साथियों बात अगर हम सबसे पहले हैट्रिक एट द रेट आॅफ 3.0 के प्रथम 100 दिनों के बने हुए रोडमैप की करें तो, गठबंधन सरकार में मंत्रालय को लेकर हो रही माथापच्घ्ची की वजह से कई मंत्रालयों के अधिकारी भी फिलहाल पसो पेश में आ गए हैं। मोदी सर कार 3.0 ने सभी मंत्रालयों में 100 दिन का प्लान बनवाया है। यह प्लान भाजपा सरकार ने अपने अनुसार बनवाया था, लेकिन अगर संबंधित मंत्राल य गठबंधन के सहयोगी दल के पास जाता है तो क्या 1 00 दिन का प्लान लागू हो जाएगा? इसे लेकर मंत्रालय में भी सवाल उठ रहे हैं। मोदी सरकार ने 3.0 ने लोकसभा चुनाव से पूर्व रेलवे, सड़क परिवहन, कृषि समेत तमाम मंत्रालयों में 100 दिन का प्लान बनवाया है, जो अगले चार वर्षों का रोडमैप है। मस लन रेलवे मंत्रालय में वंदेभारत के अलावा वंदेभारत स्लीपर और वंदेभारत मेट्रो शामिल है। वहीं सड़क परिवहन मंत्रा लय में एक्घ्सप्रेसवे व रोपवे कृषि मंत्रालय में ड्रोन दीदी योजना, एग्री इंफ्रा फंड को बढ़ाना जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। मोदी सरकार 3.0 की इन को अगले 100 दिनों में शुरू करने की तैयारी बतायी गयी थी। मंत्रालय के अधिकारियों ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है। मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही इन पर अमल शुरू कर दिया जाना था। यहां फंस सकता है पेंचदर, असल गठबंधन के सहयोगी दल कई प्रमुख मंत्रालय की मांग कर रहे हैं। इनमें रेलवे, सड़क परिवहन, कृषि, आईटी, रक्षा प्रमुख रूप से शामिल हैं।
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार अगर ये मंत्रालय सहयोगी दलों के पास जाते हैं तो क्या वे मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन के प्लान को लागू करेंगे। जानकार बताते हैं कि संभव है कि सहयोगी दल की प्राथमिकताएं 100 दिन के प्लान से अलग हों? मसलन रेल मंत्रालय में वंदे भारत स्लीपर और वंदे भारत मेट्रो के बजाए सहयोगी दल स्लीपर ट्रेनों के संचालन और जनरल कोचों को बढ़ाने पर ज्घ्यादा फोकस करें? इसी तरह रोपवे के बजाए ग्रामीण सड़कों की सड़के बनाने पर ज्घ्यादा ध्यान दिया जाए? इस तरह के सवालों की वज ह से मंत्रालय केअधिकारी फिलहाल असमंजस में हैं। उनका मानना है कि मंत्रालय के बंटवारे के बाद ही इसकी तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।
साथियों बात अगर हम फ्री हैंड पर पेंच फंसने की करें तो, पूर्ण बहुमत न होने की वजह से अब कुनबे को प्राथिकता देनी होगी। पीएम के सामने परिवार को एकुजट रखना बड़ी चुनौती होगी।
कानून और बिल में अब सरकार को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नाडूय का भी ख्याल रखना होगा। ये बात तो जग जाहिर है कि नीतीश और नायडू, बीजेपी के दोनों ही साझीदार उनके प्राथमिक ता वाले मुद्दों पर कभी एक जुट नहीं रहे है? अब बजट से लेकर राज्य तक के लिए वह मोदी सरकार से कुछ और ज्यादा की उम्मीद करेंगे? अब स्पेशल राज्य का मुद्दा बड़ा बना रहेगा? दोनों ही नेता बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए पहले से ही स्पेशव राज्य की मांग करते रहे हैं। बीजेपी के सहयोगी दलों की विचारधारा उससे अलग है। कई मुद्दों को लेकर सहयोगी दलों और बीजेपी के बीच सोच का काफी अंतर है।यही वजह है कि काॅमन सिविल कोड पर मोदी सरकार को थोड़ा थमकर कदम बढ़ाने पड़ सकते हैं। 3-63 सीटों के इस झटके के बाद अब बीजेपी को पार्टी संगठन में भी बदलाव की ओर सोचना होगा। आने वाले दिनों में पार्टी रीस्टार्ट के मूड में दिखाई दे सक ती है। पीएम मोदी ने अपने विजयी भाषण में इसके संकेत दिए कि उनकी सरकार बड़े फैसले लेगी। लेकिन यह 5 साल मोदी मैजिक की चमक को फिर से वापस लाने के भी होंगे, इसके लिए मोदी सरकार को अपनी नीतियों को और धरातल पर उतरना पड़ेगा। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र, दिल्ली और हरि याणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी पर अब तीनों राज्यों में बेहतरप्रदर्शन का दवाब रहेगा। दिल्ली को छोड़ बाकी दो राज्यों में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी के लिए टेंशन बढ़ा दी है
दिल्ली में भले ही आप का सफाया होता दिख रहा हो, लेकिन ये भी सच है कि विधानसभा चुनावों में उसने हमेशा जोरदार वापसी की है। ऐसे में बीजेपी को इस पर भी ध्यान देना होगा।
साथियों बात अगर हम माननीय राष्ट्रपति द्वारा एन डीए को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की करें तो, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठ बंधन के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए आमं त्रित किया। इसके बाद राष्ट्र पति भवन के बाहर मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए पीएम ने नई सरकार का रोडमैप साझा किया। उन्हों ने कहा कि 2024 का लोक सभा चुनाव अमृतकाल का पहला चुनाव है। आगे कहा कि 2047 में जब देश आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, उसके संकल्प पूरा करने के लिए हमारे पास स्वर्णि अवस र है। उन्होंने कहा कि देश वासियों ने एनडीए को एक बार फिर सेवा का मौका दिया है, इसके लिए वे जनता का आभार प्रकट करते हैं। राष्ट्र पति द्रौपदी मुर्मू से सरकार गठन का न्यौता मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कार्यवाहक पीएम ने कहा कि 18वीं लोकसभा नई और युवा ऊर्जा और कुछ कर गुज रने के इरादे से लैस लोक सभा है। 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने भरोसा दि लाया कि 18वीं लोकसभा में भी उसी गति और समर्पण भाव से देश की आशा-आ कांक्षा को पूर्ण करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।
निवर्तमान प्रधानमंत्री ने कहा, एनडीए की बैठक में सभी घटक दलों ने मुझे नेता चुना है। सभी दलों ने राष्ट्रपति को समर्थन के बारे में जान कारी दी। राष्ट्रपति ने मुझे न्योता दिया और कार्यवाहक पीएम के रूप में उनकी नि युक्ति को मंजूरी दी है। आगे बताया कि उन्होंने नौ जून की शाम को शपथ के बारे में सूचित कर दिया है। शपथ ग्रहण का विस्तृत कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन से जारी किया जाएगा। राष्ट्रपति से मिल ने के बाद उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार को तीसरी बार देश की सेवा करने का देशवासियों ने आदेश दिया है। ये अवसर देने के लिए मैं देशवासियों का एक बार फिर हृदय से आभार व्यक्त कर ता हूं। मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाता हूं पिछले दो कार्यकाल में जिस गति से देश आगे बढ़ा उससे भी तेज गति से विकास कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ह मारी सरकार देश के सपनों को पूरा करने का काम करेगी। उन्होंने कि देश की आशा- आकांशाओं को पूरा करने में कोई कमी नहीं रहेगी। उन्हों ने कहा कि 18वीं लोकसभा एक प्रकार से नई ऊर्जा, युवा ऊर्जा और कुछ कर गुजरने के इरादे वाली लोकसभा है। आजादी के अमृत महोत्सव के बाद का यह पहला चुनाव है। यह वह 25 वर्ष है जो हमारे अमृत काल के 25 वर्ष है।
तीसरी बार एनडीए सर कार को जनता ने देश की सेवा करने का मौका दिया है। मैं देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि पिछले दो कार्यकाल में देश जिस तेजी से आगे बढ़ा है, हर क्षेत्र में बदलाव दिख रहा है और 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना हर भारतवा सी के लिए गर्व का क्षण है। साथियों बात अगर हमकार्य वाहक पीएम के भारत विश्व बंधु वाले बयान की करें तो, भारत विश्वबंधु, आने वाले पांच साल बेहद अहम मोदी ने कहा कि बीते 10 वर्षों के कार्यका ल में भारत, दुनियां के लिए विश्वबंधु बनकर उभरा है। इसका सबसे ज्यादा फायदा अब मिलना शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि आने वाले 5 साल वैश्विक माहौल में भी भारत के लिए बहुत उपयोगी होने वाले हैं। दुनियां अनेक संकटों, अनेक तनावों, आपदाओं से गुजर रही है। हम भारतीय सौभाग्य शाली हैं कि इतने बड़े संक टों के बावजूद भी, आज हम दुनियां की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में जाने जाते हैं। विकास के लिए दुनिया में हमारी ता रीफ भी हो रही है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हैट्रिक/ 3.0-फ्री हैंड पर पेंच फंस सकता है? मंत्रालयों का विकेंद्रीकरण -100 दिनों के बने रोडमैप पर संशय कायम!दुनियां के लिए विश्वबंधु बनकर उभरा भारत, क्या बिना फ्री हैंड के विश्व और घरेलू प्रस्तावित वि जन को तेजी से बढ़ा पाएगा?

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