भारत से प्याज निर्यात पर रोक के बावजूद सरकार ने 6 देश को सीमित निर्यात की इजाजत दी

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। भारत में लोक तंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव 2024 के 19 व 26 अप्रैल 2024 के दो चरणोंका चुनाव समाप्त होने के बाद अब 95 लोकसभा सीटों पर 7 मई 2024 को चुनाव होना है,जिसकी सरगर्मी तेजी से शुरू हो गई है परंतु इस बीच आज दिनांक 27 अप्रैल 2024 शाम को एक बड़ी खबर, खाद्य उपभोक्ता मामले मंत्रालय से आई कि भारत से प्याज निर्यात पर रोक होने के बावजूद सरकार ने 6 देश को सीमित निर्यात यानें 99150 टन का निर्यात करने की अनुमति दी है,जबकि एक दिन पूर्व ही दिनांक 26 अप्रैल 2024 को सरकार ने 2000 मेट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी थी,जो आम नागरिकों की आंख से आंसू निकलने की आहट जान पड़ती है,क्योंकि स्वाभाविक है प्याज की कीमतों में बढ़ो तरी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, इसमें भी शासन की दाद देनी पड़ेगी क्यों कि चुनावों के बीच इस तरह के फैसले लेना कितना मुश्किल काम होता है, जिसका प्रभाव आम जनता की रसोई तक पड़ जाए परंतु इस बीच एक अच्छी खबर भी आई है कि सरकार का रबी-2024 में प्याज बंपर खरीदी का लक्ष्य बनाया गया है, भंडारण फैसला 12सव से 5 हजार मेट्रिक टन से अद्दि क करने का फैसला भी सरा हनीय कदम है। फिर भी 6 देशों को ब्याज का निर्यात से आम जनता की जेब पर असर पड़ सकता है। क्योंकि, भारत में टमाटर और प्याज को स्वाद याने टेस्ट की चाबी माना जाता है जो भोजन रूपी दरवाजे और उसके स्वाद को प्याज टमाटर रूपी चाबी से खोला जाता है। यानें यह दोनों नहीं रहे तो मेरा मानना है कि अमीर से गरीब व्यक्ति तक को भोजन के स्वाद में कुछ ना कुछ कमीं महसूस करने को मिल जाएगी, इस का अनुभव घर के होम मिनि स्टर यानें महिलाओं को अधिक अनुभव होना लाजमी है, क्योंकि बिना प्याज टमाटर के सब्जी बनाना कितना मुश् िकल होता है इनसे अधिक कोई नहीं जान सकता। क्योंकि यदि सब्जी में प्याज किसी को वर्जित है तो उस का अल्टरनेट टमाटर है और टमाटर का अल्टरनेट प्याज है, यदि दोनों ही नहीं हो तो स्वाद की चाबी गुम समझो ! चूंकि भारत से प्याज निर्यात पर रोक होने के बावजूद सरकार ने 6 देशों को सीमित निर्यात की इजाजत दी है, इसलिए आज हम मीडिया व पीआईबी में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे वाह रे प्याज ! निर्यात बंदिश के बावजूद 6 देशों का पहनोगे ताज!
साथियों बात अगर हम दिनांक 27अप्रैल 2024 को 6 देशों को प्याज निर्यात की इजाजत की करें तो, केंद्र सरकार ने पिछले कई महीनों से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंद्द लगा रखा था। लेकिन इसमें थोड़ी ढील दी गई है। सरकार ने 6 पड़ोसी देशों को प्याज निर्यात करने की अनुमति दे दी है। इससे पहले सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों को 2 हजार टन सफेद प्याज के निर्यात की भी इजाजत दी थी। उप भोक्ता मामले, खाद्य और सार्व जनिक वितरण मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में पीआईबी के हस्ते बताया कि सरकार ने छह पड़ोसी देशों- बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बह रीन, मारीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज के निर्यात की इजाजत दी है। इससे पहले केंद्र सरकार ने विशेष रूप से मध्य पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों को 2, हजार टन सफेद प्याज के निर्यात की भी अनुमति दी थी। दरअसल, 2023-24 में पिछले साल के मुकाबले खरीफ और रबी फसलों की पैदावार घटने का अनुमान था।इसलिए सरकार ने पिछले साल दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया दिया, ताकि घरेलू बाजार में इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इससे कीमतों को कम रखने में भी मदद मिली।सरकार ने उस वक्त बताया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की डिमांड बढ़ गई है, जिसके चलते यह प्रतिबंध लगाया गया है। कृषि मंत्रालय ने पिछले महीने प्याज उत्पादन के आंकड़े जारी किए थे। इसके मुताबिक, 2023-24 में प्याज की पैदावार करीब 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल 302.08 लाख टन थी। मंत्रा लय ने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में प्याज का उत्पा दन कम हुआ है, जो पैदावार में गिरावट की बड़ी वजह है। हालांकि, सरकार ने प्याज भंडारण तकनीक को बेहतर किया है। यही वजह है कि इस भंडारण क्षमता को 1, 2 सव टन से बढ़ाकर 5, हजार एम टन करने का फैसला किया है। सरकार ने दावा किया कि कोल्ड स्टोरेज के पायलट से प्याज के भंडारण में होने वाला नुकसान 10 प्रतिशत तक कम हुआ है। इन देशों को प्याज निर्यात करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) ने ई-प्लेटफार्म के जरिये निर्यात के लिए घरेलू प्याज मंगाया है। उप भोक्ता मामले विभाग के प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड (पीएस एफ) के तहत रबी-2024 में से प्याज की बफर खरीद का लक्ष्य इस साल 5 लाख टन तय किया गया है। इनकी खरीद केंद्रीय एजेंसियां एनसीसीएफ और एनएएफ ईडी करती हैं। ये किसी भी स्टोर होने लायक प्याज की खरीद शुरू करने के लिए खरीद, भंडारण और किसानों के पंजीकरण का समर्थन करने को एफपीओ/एफ पीसी/पीएसी जैसी स्थानीय एजेंसियों को जोड़ रही हैं। डीओसीए, एनसीसीएफ और नेफेड की एक हाई लेवल टीम ने पीएसएफ बफर के लिए 5 एलएमटी प्याज की खरीद के बारे में किसानों, एफपीओ/एफपीसी और पीएसी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए 11-13 अप्रैल के दौरान महाराष्ट्र के नासिक और अहमदनगर जिलों का दौरा किया था। केंद्र ने पश्चिम एशिया और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए विशेष रूप से उगाए गए 2, हजार टन सफेद प्याज के निर्यात की भी मंजूरी दी है। बता दें कि सरकार ने 8 दिसंबर, 2023 को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
साथियों बात अगर हम दिनांक 26 अप्रैल 2024 को सफेद प्याज निर्यात की इजा जत की करें तो, एक्सपोर्ट बैन के बावजूद केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 2 हजार एम टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी है। इसका फायदा मुख्य तौर पर गुजरात के किसानों को मिलेगा, क्योंकि वहीं पर सफेद प्याज की खेती सबसे ज्यादा होती है। लोकसभा चुनाव के बीच हुए इस फैसले पर कुछ लोग यह कहते हुए सवाल उठा रहे हैं कि यह गुजरात के किसानों को खुश करने की कोशिश है। विदेश व्या पारमहानिदेशालय (डीजीएफ टी) द्वारा जारी एक नोटिफिके शन में कहा गया है कि सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब गुजरात के बागवानी आयुक्त निर्यात की जाने वाली वस्तु और मात्रा को प्रमाणित करेंगे, इसीलिए महाराष्ट्र के किसान नेता कह रहे हैं कि सिर्फ गुज रात के किसानों को फायदा दिलाने की कोशिश क्यों हो रही है? सफेद प्याज को एक्स पोर्ट करने के नोटिफिकेशन में ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है कि इसका एक्सपोर्ट नेशनल को आपरेटिवएक्स पोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) ही करेगा, बल्कि इसमें केवल इतना प्रावधान है कि निर्यात मुंद्रा और पिपावाव के गुजराती बंदरगाहों या मुंबई में न्हावा शेवा बंदरगाह के माध्यम से किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन ने कहा है कि बीच चुनाव में गुजरात के पार्टी नेता अपने किसानों को फायदा दिलाने वाले फैसले करवा रहे हैं जबकि महाराष्ट्र के नेता केंद्र सरकार के सामने नतमस्तक हैं, चाहे किसानों का जितना भी नुकसान हो जाए, वो भी तब जब महाराष्ट्र सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है और एक्स पोर्ट बंद होने से हर किसान को लाखों का नुकसान हो रहा है। चुनाव और प्याज निर्यात महाराष्ट्र के किसान नेता 2 हजार टन सफेद प्याज के निर्यात को चुनावी कनेक्शन इसलिए बता रहे हैं क्योंकि गुजरात देश में सफेद प्याज का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है। भावनगर और अमरेली जैसे जिले जहां 7 मई को चुनाव होने हैं वहां सफेद प्याज का अच्छा उत्पा दन होता है। बताया गया है कि 80 फीसदी सफेद प्याज गुजरात में पैदा होता है जबकि 20 फीसदी महाराष्ट्र और अन्य सूबों में होता है। बहर हाल, सफेद प्याज एक्सपोर्ट में छूट को लेकर महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों के प्याज किसानों के बीच कुछ बेचैनी पैदा कर दी है, जो लाल प्याज उगाते हैं और उसका एक्सपोर्ट प्रतिबंधित है। उधर, हार्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्टर्स एसोसिए शन ने कहा कि थोक बाजारों में लाल प्याज का दाम गिरकर लगभग 12 रुपये प्रति किलो ग्राम तक रह गया है, दूसरी ओर सफेद प्याज का भाव 17 रुपये तक है। प्याज का एक्सपोर्ट 7 दिसंबर 2023 से बैन है। जबकि प्याज का पर्याप्त स्टाक है। ऐसे में जब भी सरकार अतिरिक्त निर्यात की अनुमति दे तो उसे सभी व्यापारियों और किसानों के लिए इसका रास्ता खोलना चाहिए। महाराष्ट्र, देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक होने के नाते, निर्यात के लिए प्याज का प्रमुख आपूर्तिकर्ता होगा। सफेद प्याज की उत्पा दन लागत बीज की ऊंची कीमत और अच्छी कृषि पद्ध तियों को अपनाने के कारण सामान्य प्याज की तुलना में अधिक होती है।
साथियों बात अगर हम मालदीव से प्रतिबंध हटाने की करें तो हाल ही में मालदीव से प्रतिबंध हटाया था। हाल ही में भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी और दाल जैसी कुछ वस्तुओं की निर्दिष्ट मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंध को हटा दिया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा था कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी गई है। मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दाल, बजरी और नदी की रेत के निर्यात की अनुमति दी गई थी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाह रे प्याज! निर्यात बंदिश के बावजूद 6 देशों का पहनोगे ताज। भारत से प्याज निर्यात पर रोक के बावजूद सरकार ने 6 देश को सीमित निर्यात की इजा जत दी। सरकार का रबी- 2024 में प्याज बंपर खरीदी का लक्ष्य- भंडारण फैसला 12 सव से 5 हजार मेट्रिक टन से अधिक करने का फैसला सराहनीय कदम है।

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