लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही सरकार और विपक्ष में आक्रामक तेवरों की लड़ाई -उपलब्धियों और अन्यायकाल की गिनाई-संसद से सड़क तक आई

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकसभा चुनाव अनुमानित अप्रैल माह में 7-9 चरणों में होने की संभावना लग रही है। इस तरह संसद का अंतिम सत्र बजट सत्र, जिसको एक दिन के लिए बढ़ाया गया है वह 10 फरवरी 2024 को समाप्त होगा, परंतु इस सत्र को ढाल बनाकर पक्ष विपक्ष अपनी अपनी उपलब्धियां व विफलताओं को गिना रहे हैं, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा श्वेत पत्र, ब्लैक पेपर के रूप में जारी किया गया है जिसमें 59 पुष्ठ श्वेतपत्र संसद के पटल पर प्रस्तुत किया गया है और उस पर 9 फरवरी 2024 को चर्चा हो रही है। इसकी काट में विपक्ष द्वारा 57 पुष्टि ब्लैक पेपर प्रस्तुत किया गया है जिसमें पिछले 10 वर्षों की विफलताओ को दिखाया गया है चूंकि आज सारा दिन सोशल मीडिया पर 59 पुष्ट का श्वेत पत्र बनाम 57 पुष्ठ का ब्लैक पेपर छाया रहा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोक सभा चुनाव के पहले ही सरकार और विपक्ष आक्रामक, तेवरों में लड़ाई उपलब्धियों अन्याय काल की गिनाई, संसद से सड़क तक आई।
साथियों बात अगर हम श्वेत पत्र बनाम ब्लैक पेपर की करें तो, लोकसभा चुनाव नजदीक है। सरकार चुनाव के लिए तैयार है। सरकार विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती पहले ही साफ कर दिया गया था कि सरकार बजट सत्र में श्वेत पत्र लाएगी। इसके जरिए स्पष्ट कर देगी कि सरकार देश में कितना बदलाव लेकर आई। इसका सकारात्मक असर लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है। अंतरिम बजट 2024 पेश कर ते हुए हाल में वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार के दौरान लिए गए आर्थिक निर्णयों और देश पर उसके कारण पड़े दुष्प्रभाव के बारे में बताने के लिए श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी। बजट भाषण में उन्हों ने कहा था कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार नेबागडोर संभाली थी, उस समय हमने स्टेप- बाय-स्टेप देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी संभाली थी। तब समय की मांग थी कि निवेश आकर्षित किया जाए, सुधार के लिए समर्थन जुटाया जा सके। सरकार राष्ट्र प्रथम के विश्वास के साथ इस लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही, लोकसभा चुनाव के पहले ही सरकार और विपक्ष के तेवर आक्रामक हो चले है। सरकार श्वेत पत्र के जरिए यूपीए सरकार के कार्य काल का काला चिट्ठा खोल ने की तैयारी में है। विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। सरकार के श्वेत पत्र के जवाब में पार्टी ने ब्लैक पेपर लाने की बात कही थी। बड़ी पार्टी ने पार्टी के नेताओं के साथ 10 साल अन्याय काल के नाम से ब्लैक पेपर का पोस्टर जारी किया। उन्होंने कहा, पीएम जब संसद में अपनी बात को रखते हैं तो अपनी सफलता को बताते हैं और अपनी असफलताओं को छिपा लेते हैं। सरकार के खि लाफ हम ब्लैक पेपर निकाल कर लोगों को जानकारी देंगे। पार्टी के ब्लैक पेपर पर तंज कसते हुए कहा, मैं ब्लैक पेपर का स्वागत करता हूं क्योंकि जब कोई अच्छी बात होती हो काला टीका लगता है। नजर न लगे इसलिए यह जरूरी होता है। ऐसे में सवाल है कि आखिर श्वेत पेपर क्या है, इसे कौन-कौन ला सकता है, सरकार इस समय श्वेत पत्र क्यों ला रही है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 8 फरवरी 2024 को माननीय केंद्रीय मंत्री द्वारा श्वेत पत्र संसद के पटल पर रखने की करें तो, केंद्र सरकार ने यूपीए के दस साल के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आज संसद में एक श्वेत पत्र जारी कर दिया।59 पेज के इस श्वेत पत्र में केंद्र ,राज्य सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और महत्त्वपूर्ण रेटिंग एजेंसियों के आंकड़ों के सहारे यह सा बित करने की कोशिश की गई है कि यूपीए के शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में थी, 15 बड़े घोटालों से देश की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई थी, जबकि सरकार के पिछले दस साल के शासनकाल में इसमें बहु त सुधार हुआ है। पार्टी इन आंकड़ों की तुलना करते हुए लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणा पत्र में महत्त्व पूर्ण दावे कर सकती है हालांकि, यूपीए के शासनकाल पर श्वे त पत्र आने की चर्चा के बीच कांग्रेस ने मोदी सरकार के दस साल के शासनकाल में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर ब्लैक पेपर लाकर अपनी चिंता ओं को साझा किया है। पार्टी का दावा है कि केंद्र सरकार गलत दावे कर अर्थव्यवस्था की असली स्थिति छिपा रही है। श्वेत पत्र का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि एनडीए की सरकार के समय भी देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बताया गया है। जबकि दावा है कि कुप्रबंधन के कारण यू पीए केशासनकाल में अर्थव्यव स्था की हालत खराब हुई। दावा यह भी है कि जिस समय दुनिया तेज निवेश से बेहतर विकास कर रही थी, यूपीए के शासनकाल में भारत ने इस अवसर को गंवा दिया। श्वेत पत्र में सिंह सरकार के कामकाज के समय कई घोटालों के होने का आरोप भी लगाया गया है। दावा है कि ऐसे कु प्रबंधन से खराब अर्थव्यवस्था के बीच ने देश की सत्ता संभा ली और अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे बेहतर करने में सफलता पाई। कुप्रबंधन के कारण परियोजनाओं की लागत में वृद्धि हुई, जबकि 50 करोड़ बैंक खाते खोलकर सरकार ने बिना किसी भ्रष्टा चार के सहायता राशि शत प्रतिशत लाभार्थियों के खातों में पहुंचाई। श्वेत पत्र के पांचवें पेज पर ही इसे लाने का उद्देश्य भी बता दिया गया है। श्वेत पत्र में कहा गया है कि इसका उद्देश्य केंद्र द्वारा लाई गई नीतियों का जनता पर पड़ने वाले असर को लोगों तक पहुंचाना है। यानी केंद्र सरकार इसके जरिए अपना दस साल का रिपोर्ट कार्ड भी जनता के सामने रखना चाहती है। नीतियों को लाने के पीछे जनहित का उद्देश्य बताया गया है। इस श्वेत पत्र में कहा गया है, श्साल 2014 में अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब श्वेतपत्र प्रस्तुत किया जाता तो नकारात्मक स्थिति बन सकती थी और निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा जाता। लोकसभा में पेश किए गए श्वेत पत्र में आगे कहा गया है, श्बैंकिंग समस्या यूपी सरकार की सबसे बड़ी नाकामयाबियों में से एक थी। जब अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एन डीए की सरकार बनी तब पब्लिक सेक्टर बैंकों का ग्राॅस एनपीए रेशियो 16.0 पर्सेंट था और जब सरकार का कार्य काल खत्म हुआ तब यह 7.8 प्रतिशत था। सितंबर 2013 में यह रेशियो बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया था क्योंकि पब्लिक सेक्टर बैंकों से लोन दिए जाने के मामले में राज नीतिक हस्तक्षेप किया गया। श्वेत पत्र में लिखा है, एनडीए सरकार ने पिछले 10 सालों में पिछली यूपीए सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पाया. यूपीए सरकार आर्थिक गति विधियों को सहूलियत दे पा ने में बुरी तरह नाकाम रही, इसने बाधाएं खड़ी की जिस से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ नहीं पाई. 2014 से पहले के दौर की हर एक चुनौती से एनडीए सरकार के आर्थिक प्रबंधन एवं शासन के जरिये निपटा गया।श्वेत पत्र में कहा गया है,यूपीए सरकार के 10 साल नीतिगत गड़बड़ियों और घोटालों से भरे हुए थे। उदा हरण के लिए- सार्वजनिक संसाधनों (कोल और टेली काॅम स्पेक्ट्रम) की अपारदर्शी नीलामी हुई, बैंकिंग सेक्टर में चहेतों को गलत तरीके से लोन दिए गए। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ जिसके तहत 122 टेलीकाॅम लाइसेंस दिए गए और सीएजी के अनुमानों के मुताबिक 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. सीडब्ल्यूजी और अन्य घोटाले भी हुए. ये दर्शाते हैं कि उस समय कि तनी राजनीतिक अनिश्चितता थी और निवेश के मामले में भारत की कितनी खराब छवि थी।
साथियों बात अगर हम विपक्षी पार्टी द्वारा जवाब में ब्लैक पत्र जारी करने की करें तो, एक पार्टी ने पीएम के ने तृत्व वाली सरकार के खिला फ गुरुवार को एक ब्लैक पेप र जारी किया। इस पेपर में कांग्रेस ने तमाम मुद्दों के अ लावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियां (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) पर फोकस किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 57 पेज का ब्लैक पेपर जारी करते हुए इसे 10 साल, अन्याय काल नाम दिया है। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उन की विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसे में इस सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर लाने का फैसला किया गया। कांग्रेस ने यह ब्लैक पेपर ऐसे समय जारी किया है, जब केंद्र सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के 10 साल के कार्यकाल पर एक श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है। कांग्रेस ने अपने इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महि लाओं, किसानों अल्पसंख्यकों और श्रमिकों पर हुए अन्याय का जिक्र किया। पार्टी आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके इस काल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक पहुं च गई है। 2012 में बेरोजगारी एक करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई है।
10 लाख स्वीकृृत पद खाली पड़े हैं। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स के मामलों में बेरोजगारी दर लभगत 33 फीसदी है। हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश रहा है। हर घंटे दो बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। ब्लैक पेपर में बताया कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की की मत मई 2014 में 2024 के बीच 20 फीसदी तक गिर गई है। कीमतों में प्रति बैरल 100 डाॅलर से 79 डाॅलर की कमी आई है। इसके बावजूद मोदी सरकार एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करती रहती है, जिससे अन्य सभी वस्तुएं महंगी हुईं।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर इस का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 59 पुष्ठ का श्वेत पत्र ब नाम 57 पुष्ठ का ब्लैक पेपर। 10 साल की उपलब्धियों का काल बनाम 10 साल अन्याय काल। लोकसभा चुनाव 20 24 के पहले ही सरकार और विपक्ष में आक्रामक तेवरों की लड़ाई उपलब्धियों और अन्यायकाल की गिनाई-सं सद से सड़क तक आई। वाई योजना से इनको कौशल युक्त कर्मचारियों का मिलना बिन मांगी मुराद पूरी होने जैसा है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की ओर से उपलब्ध जानकारी के मुताबिक बीते साल नवंबर से अब तक देश के अलग अलग हिस्सों में दस रोजगार मेलाओं का आयोजन किया गया है। इनमें एक लाख दस हजार आवेदक पहुंचे। जिनमें से अठारह हजार लोगों को कौशलयुक्त कर्मियों की चाहत रखने वाले साठ से ज्यादा कंपनियों ने आन स्पाॅट नौकरी में बहाल कर लिया। पीएमकेवीवाई केंद्रों से निकलने वाले कौशलयुक्त कर्मियों के लिए आने वाले दिनों में और भी व्यापक पैमाने पर रोजगार मेले का आयोजन किया जाना है। जाहिर तौर पर इसकी सफलता रोजगार के समाधान की कुंजी बनने वाली है। साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा अंत र्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों पर बोलने की करें तो, अंतर्रा ष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी हालिया आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए, पीएम ने बताया कि भारत आने वाले वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में ले जाने के अपने संकल्प को भी याद किया और कहा कि आईएम एफ को भी भरोसा है कि अगले 3-4 वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थ व्यवस्थाओं में शामिल होगा। उन्होंने रेखांकित किया कि इससे देश में रोजगार और स्वरोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विकसित भारत के संकल्प में कौशलता विकास के बहुमूल्य योगदान को रेखं कित करना समय की मांग। भारत तेजी से बढ़ती कौशल विशेषज्ञता से बेरोजगारी का नामोनिशान मिटा देनें में जुटा। कौशलता विकास युवाओं को रोजगार देने वाला बना ने के दूरगामी परिणामों से भारत तीसरे नंबर की अर्थ व्यवस्था वाला देश शीघ्र बनेगा।

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