आओ जल संग्रहण प्रबंधन और उपयोग दक्षता पर स्वतः संज्ञान लेकर जन- भागीदारी बढ़ाएं

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मंचों और दुनियां के अलग-अलग देश में अलग अलग मंचों से जल ही जीवन है सहित अनेको स्लोगन देकर विश्व के हर नागरिक को पीने के पानी और उसके स्रोतों की स्थिरता में विशेष सहयोग की अपील की जाती है। हर देश के नाग रिकों को स्वतः संज्ञान लेकर अपने आप एक्शन होकर यह जनजागरण फैलाना चाहिए कि आओ जल संग्रहण प्रबंद्दन और उपयोग दक्षता पर ध्यान देकर उसमें सहयोग देने जन भागीदारी बढ़ाएं। भारत में अभी हाल ही में देश की जल सुरक्षा को मजबूत करने वाटर विजन / 2047 द अहेड विषय पर अखिल भारतीय सचिव आन का सम्मेलन चेन्नई में किया गया, जहां 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 30 सचिवों और उनके अनेक प्रतिनिद्दियों ने भाग लिए और 5, 6 जनवरी 2023 को भोपाल में आयोजित हुआ था। देश की जल सुरक्षा को मजबूत करने के प्रमुख उद्देश्य के साथ ‘वाटर विजन /2047- वे अहैड विषय पर अखिल भारतीय सचिवों का दो दिवसीय सम्मेलन’ कल महाबलीपुरम, चेन्नई में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में 32 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों, 30 सचिवों और 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और 5 और 6 जनवरी 2023 को भोपाल, मध्य प्रदेश में आयो जित जल पर राज्य मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन की 22 सिफारिशों पर अपनी सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों और कार्यों को साझा किया।
उक्त 22 सिफारिशों में पीने के पानी और उसके स्रोत की स्थिरता को प्राथमिकता देना, जलवायु लचीलेपन की व्यवस्था करना, मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों का प्रबंद्दन, बड़े और छोटे दोनों स्तरों पर जल भंडारण को बढ़ाना, अत्या धुनिक प्रौद्योगिकी का अनुप्र योग, जल उपयोग की दक्षता बढ़ाना, हर स्तर पर जल संर क्षण कार्यक्रमों को तेज करना, नदियों को आपस में जोड़ने को प्रोत्साहित करना, नदी के स्वास्थ्य की निगरानी करना और पर्यावरणीय प्रवाह को बनाए रखना, उचित बाढ़ प्रबं द्दन उपाय करना और इन सभी कार्यों में लोगों की बढ़ी हुई भागीदारी शामिल करना शामिल है। यह सम्मेलन कार्र वाई में तेजी लाने के लिए इन सिफारिशों पर अमल करता है। हमारा करता है इसलिए आज हम मीडिया व पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे पीने के पानी और उसके स्रोतों की स्थिति में जन भागीदारी होना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए जल केमहत्व की करें तो, जल है तो कल है, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं जल ही जीवन है।
जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल।
धरती का लगभग तीन चैथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97 प्रतिशत पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3 प्रति शत है। इसमें भी 2 प्रतिशत पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1 प्रतिशत पानी ही मानव के उपयोग हेतु उप लब्ध है। नगरीकरण और औद्यो गिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगा तार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।
साथियों बात अगर हम चेन्नई में आयोजित वाटर विजन एट द रेट आफ 2047 वे अहेड की करें तो, इस सम्मेलन को जल प्रबंधन के क्षेत्र में पाँच विषयगत सत्रों में विभाजित किया गया थासम्मेलन के पहले दिन में दो विषयगत सत्र यानी जलवायु लचीलापन और नदी स्वास्थ्य और जल प्रशासन शामिल थे। इसके अलावा मंत्रिस्तरीय सत्र भी हुआ, जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार के माननीय जल शक्ति मंत्री ने की। माननीय मंत्री ने समुदायों और पर्यावरण की भलाई के लिए पानी के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग और नवाचार की सख्त जरूरतों पर जोर दिया। उन्होंने देश में जल सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र-राज्य साझे दारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
सम्मेलन के दूसरे दिन के कार्यक्रम सम्मेलन के दूसरे दिन जल उपयोग दक्षता, जल भंडारण और प्रबंधन और लोगों की भागीदारी/जनभागीदारी’ पर तीन विषयगत सत्रों को शामि ल किया गया। सम्मेलन की संक्षिप्त रिपोर्ट और महत्व पूर्ण बातें सुश्री अर्चना वर्मा, एएस एवं एमडी, राष्ट्रीय जल मिशन द्वारा प्रस्तुत की गईं। अपनी प्रस्तुति में, उन्होंने विषयगत सत्रों से प्राप्त निष्कर्षों के बारे में विस्तार से बताया जो इस प्रकार हैं। जलवायु लचीलापन और नदी स्वास्थ्य जलवायु परिवर्तन के कारण बार-बार बाढ़ और सूखा जैसी भयंकर घटनाएं होंगी।
जलवायु के अनुकूल बुनि यादी ढांचे की आवश्यकता – भंडारण, नदियों को आपस में जोड़ना, तलछट प्रबंधन गैर-संरचनात्मक उपाय जैसे बाढ़ मैदान जोनिंग, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली आदि संरच नात्मक उपायों के समान ही महत्वपूर्ण हैं। नदी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रवाह, पानी की गुणवत्ता बनाए रखी जाएगी। लघु मध्यम और दीर्घकालिक मौसम की भविष्यवाणी और जल संसाधनों पर इसके प्रभाव के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग। जल अधिकार प्रत्येक राज्य के लिए जल संसाधन नियामक प्राद्दिकरण गठित करना आवश्यक राष्ट्रीय जल नीति की तर्ज पर बनाई जाएगी राज्य जल नीतियदेश के प्रत्येक नदी बेसिन के लिए नदी बेसिन योजना का विकास।
एनडब्ल्यूआईसी के साथ जोड़कर राज्य जल सूचना विज्ञान केंद्र की स्थापना राज्यों द्वारा तर्कसंगत जल टैरिफ तंत्र विकसित किया जाएगा। उपचारित अपशिष्ट जल के सुरक्षित पुनरू उपयोग के लिए राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली रूपरेखा। जल उपयोग दक्षतामौजूदा परियोजनाओं का कुशल उपयोग उतना ही महत्वपूर्ण है जितना नई परियोजनाओं का विकास सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करने और आईपीसी-आईपीयू अंतर को कम करने के लिए किए जाने वाले प्रयासयराज्य जल लेखांकन और बेंचमार्किंग पहल में अपनी रुचि दिखा सकते हैं, विभिन्न पहलों के माध्यम से छोटी-बड़ी सिंचाई के बीच अभिसरणयपाइप सिंचाई नेटवर्क के साथ-साथ आधुनिकीकरण पर जोर दिया जाएगायमहत्वपूर्ण फसल पैटर्न परिवर्तन अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहनयभारत सरकार सीएडीडब्ल्यूएम योजना सुधारों पर काम में तेजी ला सकती है।
जल संग्रहण एवं प्रबंधबड़ी और छोटी भंडारण परियोज नाओं के माध्यम से भंडारण में वृद्धियनियमित ड्रेजिंग और अन्य ओ एंड एम उपाय कुशल तापूर्वक किए जाने चाहिए।
तलछट प्रबंधन के लिए जलग्रहण क्षेत्र उपचारयबफर भंडारण टैंक, बर्फ की कटाई, भूमि सुधार, बंजर भूमि का उपयोग आदि जैसे हस्तक्षेपों को बढ़ावा दिया जाएगा।
भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण बड़े पैमाने पर किया जाएगा। लोगों की भागीदारी /जन भागीदारी जल उपयोगकर्ता संघों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना और उन्हें जल प्रबंधन में शामिल करना, पीआरआई के माध्यम से मुख्य धारा के सामुदायिक जुड़ाव के प्रयास किए जाएंगेयहर स्तर पर हितधारकों की भागी दारी और क्षमता निर्माण समय की मांग है। नए विचार और युवा ऊर्जा के लिए युवा दिमागों को जनआंदलन में शामिल किया जाएगा। बाटम अप प्लानिंग दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। सम्मेलन से प्राप्त सुझाव और निष्कर्ष प्रतिभा गियों से भी मांगे गए। निरंतर संवाद और विचार-विमर्श के माध्यम से वाटर विजन / 2047 के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख क्षेत्रों पर सचिवों का एक कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव किया गया था। अतः अगर हम उप रोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाटर विजन/ 2047 के एजेंडे में सहयोग करना हर नागरिक का कर्तव्य। आओ जल संग्रहण प्रबंधन और उपयोग दक्षता पर स्वतः संज्ञान लेकर जन -भागीदारी बढ़ाएं। पीने के पानी और उसके स्रोतों की स्थिरता में जनभागीदार होना समय की मांग है।

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