खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान को रेखांकित करना वर्तमान समय की मांग

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। भारत में आदि अनादि काल से खाद्य प्रसंस्क रण घरेलू उद्योगों का बोल बाला रहा है। हम दशकों से देखते आ रहे हैं कि महिलाएं अपने घर में अनेक प्रकार के खाद्यों को प्रसंस्करण कर किसी बिचैलिए व्यक्ति, दुकानदार, एजेंसी धारक या किसी मॉल में कम दाम पर हस्तांतरित कर देती है फिर इस प्रकार के बिचैलिए उन की कीमत पहचान कर मन माने मूल्य पर अपने व्यापार स्थल में बेचते हैं जैसे पापड़ अचार कपड़े थैले दियाबाती पत्तल डोना खाद्य वस्तुएं इत्या दि अनेक प्रकार की चीजों का हस्तगत बनाकर, उत्पादन करते हैं। इस वर्ल्ड फूड इंडिया के माध्यम से भारत व पूरे विश्व के को इकट्ठा कर भारतीय पारंपरिक व्यंजनों का अंतरराष्ट्रीय स्तरपर प्रस्तु तीकरण कर विदेशी मेहमानों को भारतीय व्यंजनों का स्वा स्थ्य चखाकर निवेश आमंत्रित करना है, जिसमें महिलाएं इस पारंपरिक क्षेत्र उद्योगों में आगे जाकर स्टार्टअप्स प्रौद्योगिकी के सहारे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग कर अर्थव्यवस्था की नींव नए आयामों पर पहुंचे। इस मंच के माध्यम से देश के सरका री संस्था, उद्योग के पेशेवरों, उद्यमियों, किसानों और अन्य कई हितधारकों को चर्चा में शामिल होने के साथ उनके समक्ष साझेदारी स्थापित कर ना है। इसके अलावा कृषि- खाद्य के क्षेत्रों में निवेश के अवसरों को एक मंच प्रदान करना है, इस महोत्सव का समापन 5 नवंबर 2023 को भारत की महामहाम राष्ट्रपति करेंगी। चूंकि इस उत्सव के माध्यम से महिलाएं उद्यमी का दर्जा हासिल करके अपार सफलताएं अर्जित करने की संभावना है, इसलिए आज हम मीडिय में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे खाद्य प्रसंस्करण उद्यो गों में महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान को रेखांकित करना वर्तमान समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम वर्ल्ड फूड इंडिया महोत्सव के दूसरे संस्करण की करें तो, वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 मेगा फूड इवेंट के दूसरे संस्क रण का उद्घाटन कुछ दिन पहले नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में हुआ। जिसकी अध्यक्षता पीएम ने की। इस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान, पीएम ने एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों को प्रारं भिक पूंजी सहायता प्रदान की, जिससे इन समूहों के लिए समर्थन मजबूत हुआ। पीएम ने इस अवसर पर प्रदर्शित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य भारत को दुनिया की फूड बास्केट के रूप में प्रस्तुत करना और 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाना है। पीएम ने प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप मंडप के साथ-साथ कार्यक्रम में प्रदर्शित फूड स्ट्रीट की प्रशंसा की और इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी व पाक उत्कृष्टता का ताल मेल भविष्य की अर्थव्यवस्था को आकार देगा। उन्होंने आज की बदलती दुनिया में खाद्य सुरक्षा की गंभीर चुनौती पर प्रकाश डाला और इस संदर्भ में वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के महत्व को रेखांकित किया। साथियों बात अगर हम वर्ल्ड फूड महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर माननीय पीएम के संबोधन की करें तो उन्होंने वर्ल्ड फूड इंडिया के परिणा मों के कारण भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्राप्त महत्वपूर्ण मान्यता पर जोर दिया, जिसे अक्सर सनराइज सेक्टर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार की उद्योग -अनुकूल और किसान केंद्रित नीतियों की बदौलत इस क्षेत्र ने 50, हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। पीएम ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत हुई प्रगति का भी उल्लेख किया, जिससे नए प्रवेशकों को काफी सहा यता मिली है। उन्होंने 50 हजार करोड़ रुपये से अधि क के निवेश के साथ फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए एग्री-इंफ्रा फंड के तहत चल रही परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। इसके अति रिक्त, मत्स्य पालन और पशु पालन क्षेत्र में प्रसंस्करण बुनि यादी ढांचे में हजारों करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्सा हित किया गया। भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के महत्व पर जोर दिया और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में महिलाओं के योग दान पर प्रकाश डाला। उन्हों ने इस अवसर पर महिलाओं के लिए कुटीर उद्योगों और स्वयं सहायता समूहों को ब ढ़ावा देने एवं 1 लाख से अ धिक महिलाओं को प्रारंभिक पूंजी के वितरण का उल्लेख किया, सरकार के समर्पित प्रयासों को श्रेय देते हुए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि-निर्यात नीति के निर्माण, राष्ट्रव्यापी लाॅजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे के विकास, जिला स्तरीय केंद्रों की स्थापना, मेगा फूड पार्कों के विस्तार और भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख किया। श्री मोदी ने भारत से निर्यात किए जा रहे अद्वितीय कृषि उत्पादों का भी उल्लेख किया, जैसे हिमाचल प्रदेश से काला लहसुन, जम्मू और कश्मीर से ड्रैगन फ्रूट और मध्य प्रदेश से सोया दूध पाउडर आदि। उन्होंने टिकाऊ कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा पर जोर दिया, जैसा कि जी-20 दिल्ली घोषणा पत्र में रेखांकित किया गया है। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सभी भागीदारों की भूमिका पर जोर दिया और प्रौद्योगिकी के माध्यम से फ सल के बाद के नुकसान को कम करने का आग्रह किया और ऐसा विश्वास व्यक्त कि या कि कार्यक्रम के निष्कर्ष वैश्विक स्तर पर एक टिकाऊ और खाद्य सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे। आयु र्वेद से जुड़ी स्थायी खाद्य आदतों के महत्व पर जोर देते हुए भारत की समृद्ध खाद्य विविधता और सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की। उन्हों ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए प्राचीन ज्ञान को लागू करने की आवश्यकता पर ब ल दिया। 2023 को पोषक अनाज वर्ष के रूप में स्वीकार किया और वैश्विक स्तर पर मिलेट्स के उपयोग को बढ़ाने पर चर्चा को प्रोत्साहित किया। उन्होंने टिकाऊ कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा पर जोर दिया, जैसा कि जी-20 दिल्ली घोषणापत्र में रेखां कित किया गया है। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सभी भागीदारों की भूमिका पर जोर दिया और प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसल के बाद के नुकसान को कम करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि कार्यक्रम के निष्कर्ष वैश्विक स्तर पर एक टिकाऊ और खाद्य-सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
साथियों बात अगर हम इस महोत्सव के पहले दिन समझौता एमओक्यू की करें तो, वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के पहले दिन, खाद्य प्रसंस्क रण उद्योग मंत्रालय (एमओएफ पीआई) और विभिन्न उद्योग संस्थाओं के बीच कुल 16 समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इन सम झौतों पर कुल लगभग 17, 990 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इन एमओयू में भाग लेने वाली उल्लेखनीय कंपनि यों में मोंडेलेज के लाॅग, आई टीसी, इनोबेव, नेडस्पाइस, आनंदा, जनरल मिल्स और एब इनबेव शामिल हैं। बता दें भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के उद्घाटन दिवस पर एक गोलमेज चर्चा का आयोजन किया। गोलमेज सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध क्षेत्रों में काम करने वाली 70 से अधिक अग्रणी कंपनियों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और सीईओ एक साथ आए। गोलमेज सम्मेलन में चर्चा मुख्य रूप से व्यापार करने में आसानी, निवेश और सोर्सिंग हितों तथा भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के भीतर मूल्य श्रृंखला में मौजूदा अंतराल पर उद्योग की अंतकृष्टि इकट्ठा करने जैसे विषयों पर केंद्रित रही। फूड स्ट्रीट को छोड़ कर, यह कार्यक्रम बिना किसी प्रवेश शुल्क के भ्रमण के लिए खुला रहेगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करके करें तो हम पाएंगे कि भारत दुनि यां की फुड बाॅस्केट बनेगा, अर्थव्यवस्था बुलंदीयां छुएगी। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में महिलाओं का अभूतपूर्व योग दान को रेखांकित कर ना वर्तमान समय की मांग है।

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