पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल पीडीपीबी को कैबिनेट की मंजूरी – मानसून सत्र 2023 में पेश होने की संभावना

RAJNITIK BULLET
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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

वैश्विक स्तरपर प्रौद्योगिकी के विस्तारित युग में डिजिटल तंत्र का तेजी से विस्तार हो गया है जिसमें करीब करीब पूरी मानवीय स्मरण शक्ति से कई गुना अधिक संरक्षण तंत्र की व्यवस्था की है, कई एप्स पर्सनल डाटा जानकारियों सहित आम मनुष्य के जीवन की पूरी महत्वपूर्ण जानका रियां स्टोरेज रहती है, जिसे अब महत्वपूर्ण सुरक्षा और जवाब देही प्रोटेक्शन की जरू रत है, जिसके लिए देश में कोई कठोर कानून नहीं है हालांकि इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा के कुछ कानून नियमावली है जिसमें पीडीपीबी विद्देयक 2023 जैसी गहराई व विस्ता रित नियमावली नहीं है इस लिए मानसून सत्र में पीडीपी बी वि धेयक 2023 को पास करना समय की मांग है। हालांकि इस विधेयक को 2019 में भी सरकार ने पेश किया था फिर 2022 में भी पेश किया था जो 3 अगस्त 2022 को जेपीसी से प्राप्त प्रस्तावित 81 संशोधनों और 12 सिफा रिशों के चलते सप्लीमेंट्री बिजनेस लिस्ट में वापस लिया गया था। अब फिर मानसून सत्र 2023 में पेश करने की संभावना है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वर्त मान प्रौद्योगिकी विस्तार युद्ध में पीडीटीबी विधेय क 2023 को कानून में परिवर्तन करना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम पीडीपीबी 2023 की करें तो केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े मसौदा विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। जानकारी के मुता बिक, बिल के दायरे में सभी व्यक्तिगत डेटा को लाया जाए गा। आनलाइन और आफ लाइन दोनों डेटा इस बिल के दायरे में आएंगे। इसके अलावा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के गठन की सिफारिश की गई है, ताकि इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जा सके। विधेयक में नियमों के उल्लंघन की प्रत्ये क घटना के लिए संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। इसे आगामी सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा। प्रस्तावित कानून के तहत सरकारी इकाइयों को भी नहीं मिलेगी पूर्ण छूट सूत्र के अनुसार विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग सभी प्राव धान शामिल हैं जो इलेक्ट्रा निक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से परामर्श के लिए जारी किए गए थे। सूत्र ने कहा, प्रस्तावित कानून के तहत सरकारी इकाइयों को पूर्ण छूट नहीं दी गई है। विवादों के मामले में डेटा संरक्षण बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मुआवजे का दावा करने का अद्दि कार होगा। बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विक सित होंगी।
सूत्र ने कहा कि कानून लागू होने के बाद व्यक्तियों को अपने डेटा संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में वि वरण मांगने का अद्दिकार होगा। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 का ड्राफ्ट कैबिनेट से मंजूर लोगों को अपने डेटा कलेक्शन स्टोरेज और प्रो सेसिंग की डिटेल मांग ने का अधिकार मिलेगा। भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है। मोबाइल और इंटर नेट के चलन के बाद से प्राइ वेसी की सुरक्षा की जरूरत थी।
कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित कर सकती है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस दौरान अप्रैल 2023 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। फिलहाल सख्त का नून न होने के वजह से डेटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाती हैं। बैंक, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंश से जुड़ी जानका रियां के आए दिनों लीक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में लोग अपनी डेटा की प्राइवेसी को लेकर डाउट में रहते हैं। बता दें, सरकार ने पिछले साल नवंबर में सार्व जनिक परामर्श के लिए मसौ दा प्रकाशित किया था। वि धयेक उसी का संस्करण है। मंत्रालय को 21,606 सुझाव प्राप्त हुए, लगभग 100 संग ठनों से परामर्श किया गया।
साथियों बात अगर हम भारतीय संसद और लोक तांत्रिक व्यवस्था, विधेयक पारित करने की प्रोसेस की करें तो भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र जनसांख्यिकी य तंत्र देश, सर्वधर्म समभाव की भावना, धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक, सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का जुनून और राष्ट्रभक्ति के जज्बे के साथ हम आजादी का 75वां अमृत जयंतीमहोत्सव मना रहे हैं। इस खूबसूर ती का सारा विश्व कायल है जिसे देखने हजारों सैलानी भारत आते हैं। यहां की लोक तांत्रिक व्यवस्था है ही ऐसी है कि कोई भी कानून बनाने के लिए संसद के दोनों सदनों में पास कराना, फिर राष्ट्रपति के साइन होने के बाद ही कानून बनता है। यदि संसद में कानून की धाराओं को लेकर गतिरोध उत्पन्न होता है तो ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेंटी (जेपीसी) में यह विधे यक जाता है और उसकी सिफारिशों और संशोधनों के अनुसार बिल में परिवर्तन कर फिर पेश कर प्रक्रिया अनुसार कानून बनाया जाता है। इस लिए कोई भी कानून या उसमें संशोधन बनाना आसान नहीं होता अर्थात लोहे के चने चबाने पड़ते हैं जो हमें दिनांक 3 अगस्त 2022 को देखने को मिला कि केंद्र सरकार ने पर्सनल डेटा प्रोटक्शन विद्दे यक 2021 को जेपीसी के प्रस्तावित 81 संशोधनों और 12 सिफारिशों के चलते सप्लीमेंट्री बिजनेस लिस्ट में वापस लिए जाने के लिए पी डीपी बिल का भी नाम था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उनका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जनता जनार्दन की उम्मीद-मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त पीडी पीबी विधेयक 2023 पास करने की उम्मीद। पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल पीडीपी बी 2023 को कैबिनेट की मंजूरी-मानसून सत्र 2023 में पेश होने की संभा वना। वर्तमान प्रौद्योगिकी विस्ता रित युग में डीपीडीपी विद्दे यक 2023 को कानून में परि वर्तित करना समय की मांग।

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