इंटरनेट कनेक्टिविटी ज्ञान को साझा करने के एक अनिवार्य उपकरण के रूप में उभरा है

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तरपर जिस तेजीके साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी से डिजिटलाइ जेशन बढ़ रहा है और अ विश्वसनीय उपलब्धियां प्राप्त हो रही है वह हैरतअंगेज है। हमारी पिछली पीढ़ियों, बुरे बुजुर्गों ने सोचा भी नहीं होगा कि कभी इंटरनेट सुविधा ज्ञान को साझा करने का एक अनिवार्य उपकरण के रूप में इस हद तक उभरेगा। आज इंटरनेट से केवल घर ही नहीं सात समंदर पार अपने परिवारों दोस्तों रिश्तेदारों व्यवसायियों से फेस टू फेस घंटों बात कर सकते हैं। अनेकों पक्ष मिलकर एक साथ वार्तालाप कर सकते हैं यह तो केवल अपने आम नागरिकों की बात हुई परंतु आज के युग में हर व्यक्ति के जीवन की जीवनशैली मानों वर्चुअल इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ जुड़ गई है। आज हम हजारों मील दूर पर भी वर्चुअल उप स्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण आज वैश्विक मंचों का वर्चुअल आ योजन होना है, जिसमें हमारे पीएम से लेकर अमेरिकन राष्ट्रपति, एशिया और यूरोपी यन स्टेट्स से लेकर नाटो तक वर्चुअल सभाएं होती है। चूंकि शुक्रवार दिनांक 7 जुलाई 2023 को भारत में इंटरनेट की शक्ति का जश्न मनाने के लिए भारत इंटरनेट उत्सव लांच किया गया है, इसलिए आज हम मीडिया और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, इंटरनेट कनेक्टिविटी ज्ञान को साझा करने के एक अनिवार्य उपकरण के रूप में उभरा है, नागरिकों के लिए किफायती और उच्च गुणवत्ता वाला इंटरनेट सुनिश्चित कर ने को रेखांकित करना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम इंटरनेट की शक्ति का जश्न मनानेडिजिटल भारत का इंटरनेट उत्सव मनाने की करें तोइंटरनेट की परिवर्तनकारी भूमिका को अपनाने के लिए डीओटी मायगोव के सहयोग से भारत इंटरनेट उत्सव मना रहें है, जिसमें नागरिक किसी भी सोशल मीडिया हैंडल पर 2 मिनट तक अपने वीडियो साझा कर सकते हैं कि इंटर नेट ने लोगों के जीवन को कैसे बदल दिया है।भारत इंटरनेट उत्सव या ड्राइव लिंक में अपलोड करें, और उसी लिंक को मायगोव पर सबमिट किया जा सकता है। सर्वश्रेष्ठ कहानियों को 15,000 रुपये तक के पुरस्कार दिए जाएंगे। प्रतियोगिता मायगोव पर 07.07.2023 से 21.08.2023 तक आयोजित की जाएगी। डीओटी त्वरित समावेशी सामाजिक आर्थिक विकास के लिए कभी भी,कहीं भी सुरक्षित, विश्वसनीय, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली एकीकृत दूरसंचार सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। इंटरनेट कनेक्टि विटी, ज्ञान को साझा करने और सामाजिक आर्थिक विका स के लिए एक अनिवार्य उप करण के रूप में उभरा है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) नेयूनिवर्सल सर्विस आॅब्लि गेशन फंड (यूएसओएफ) के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर दूरदराज और व्यावसायिक रूप से अ व्यावहारिक क्षेत्रों मेंनागरि कों के लिए किफायती और उच्च गुणवत्ता वाला इंटरनेट सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। विभिन्न प्रकार के प्रक्रियात्मक, संरच नात्मक और कानूनी सुधार किए गए, जिससे तेजी से रोल आउट हुआ। परिणाम स्वरूप नौ महीनों में लगभग एक साइट प्रति मिनट की दर से 2.7 लाख से अधिक 5जी साइटें स्थापित हुईं, जि ससे भारत दुनिया के शीर्ष तीन 5जी पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक बन गया। इंटरनेट की किफायती पहुंच को सक्षम करने के लिए डेटा की लागत लगभग 10 रुपयेध्जीबी तक कम कर दी गई है।मानवीय कहानियों में दूसरों को प्रेरित करने और सशक्त बनाने की शक्ति है जिससे लोग डिजि टल तकनीक को अपनाने और अपने जीवन में इसी तरह के बदलाव लाने में सक्षम हो सकें। ऐसी कहानियाँ हमें दिखाती हैं कि इंटरनेट ने कैसे अविश्वसनीय तरीके से हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है।
साथियों बात अगर हम दुनियां में तेजी से बढ़ते इंटरनेट के प्रयोग से डिजिटल सेक्टर में एक नईक्रांति की करें तोइसका प्रभाव व्यापार तथा उसके मार्केटिंग के त रीके पर भी पड़ा है। दरअसल आज कंपनियां मार्केटिंग के पुराने तरीकों के बजाए डिजिटल मार्केटिंग में ज्यादा पैसे इन्वेस्ट कर रही हैं। डिजिटल मार्केटिंग में इस वक्त लगातार ग्रोथ हो रही है और आने वाले समय में इस का बाजार 25 से 30 फीसदी की दर से ग्रोथ कर सकता है।
विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान समय में डिजिटल मार्केटिंग का बाजार तकरीबन 430 बिलियन डाॅलर का है और 2027 तक यह 700 बिलियन डाॅलर तक पहुंच सकता है। डिजिटल मार्केटिंग के बढ़ते ट्रेंड के साथ अब कंपनियां भी अपने उत्पादों के प्रचार के लिए बड़ी संख्या में डिजिटल मा र्केटिंग एक्सपर्ट्स को हायर कर रही हैं।
साथियों बात अगर हम इंटरनेट की सहायता से डिजिटल मार्केटिंग की करें तो, मार्केटिंग के पारंपरिक तरीकों की तुलना में डिजि टल मार्केटिंग ना सिर्फ सस्ता है, बल्कि यह उनसे ज्यादा कारगर भी है। दरअसल इसके जरिए हमअपने टार गेट कस्टमर्स तक विज्ञापनों को पहुंचा सकते हैं, जब कि ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ऐसा बेहद मुश्किल है। साथ ही इसमें हम जरूरत के मुताबिक आसानी से अपने कैंपेन में बदलाव भी कर सकते हैं। डिजिटल मार्केटिंग में कन्वर्श न रेट अच्छा होता है। इसके अलावा यह कम समय में एक ही वस्तु के कई प्रकार दिखा सकता है और उपभोक्ता को जो पसंद है, वे तुरंत उसे ले सकते हैं।
साथियों बात अगर हम इंटरनेट की तुलना दूसरे देशों और स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स 2023 की करें तो हमें काफी मेहनत करने की जरूरत है क्योंकि, कंटेंट डिलीवरी नेट वर्क सर्विसप्रोवाइडर अकामाई की स्टेट आॅफ द इंटरनेट – कनेक्टिविटी रिपोर्ट ने भारत की इंटरनेट की स्पीड को बहुत कम आंका है। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत और फिलिपींस ऐसे देश हैं जो 4 एमबीपीएस के बेसिक स्टैंडर्ड तक नहीं पहुँच पाए हैं। ये दोनों देश 3.5 एमबीपीएस ब्राॅडबैंड की औसत स्पीड के साथ फेह रिस्त में सबसे नीचे 114 वें पायदान पर हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनियां में सब से बेहतरीन इंटरनेट वाला देश दक्षिण कोरिया है, जहां औसत स्पीड 29 एमबीपीएस है।इंटरनेट की पीक स्पीड की बात करें तो बाजी मारी है सिंगापुर ने, जहां हमको किसी खास समय में इंटर नेट 146.9 एमबीपीएसकी रफ्तार से भागता मिल सक ता है। दक्षिण कोरिया पीक स्पीड के मामले में चैथे नंबर पर है, जहां ये स्पीड 103.6 एमबीपीएस है। इंटरनेट की पीक स्पीड की बात करें, तो भारत 25.5 एमबीपीएस के साथ एक बार फिर सूची में बिल्कुल नीचे नजर आता है। इस फेहरिस्त में वो 104 वें पायदान पर है, जबकि फिलि पींस 29.9 एमबीपीएसके साथ उससे कहीं ऊपर 88 वें स्थान पर है।
दुनियां में सबसे तेज औसत मोबाइल कनेक्शन स्पीड हमको ब्रिटेन में मिलेगी जो 27 एमबीपीएस है। जबकि भारत में में औसत मोबाइल कनेक्शन स्पीड 3.2 एमबीपी एस है। ऐसे में जबतक इंटर नेट की पहुंच और रफ्तार बढ़ाने से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत नहीं बनाया जाता, कैशलेस या लेस कैश दूर की कौड़ी लगती है। और फिर बुजुर्ग, विकलांग और शिक्षित अर्धशिक्षित जनता को मोबाइल टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल करने लायक बना ना मामूली चुनौती नहीं है। ऊकला की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत स्पीडटेस्ट ग्लो बल इंडेक्स पर मार्च में 64 वें स्थान पर था, लेकिन अब अप्रैल में 60वें स्थान पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल, 2023 में भारत की मोबाइल डेटा स्पीड में 115 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऊकला ने अप्रैल में 36.35 एमबीपीएस की औसत मोबाइल डाउन लोड स्पीड के साथ प्रोग्रेस दर्ज की है। इसकी तुलना अगर मार्च से की जाए तो मार्च में औसत मोबाइल डाउ नलोड स्पीड 33.30 एमबीपीए स थी। ऊकला का स्पीड टेस्ट ग्लोबल इंडेक्स मासिक के आधार पर दुनियां भर में मोबाइल और फिक्स्ड ब्राॅडबैंड स्पीड को रैंक करता है। इसका पता हर महीने स्पीड टेस्ट का इस्तेमाल करके वास्तविक लोगों पर की गई टेस्टिंग से चलता है। सबसे तेज औसत मोबाइल इंटरनेट स्पीड वाले देश 2023। अप्रैल 2023 तक, कतर के पास दुनियां भर में सबसे तेज औ सत मोबाइल इंटरनेट कनेक्श न था, लगभग 190 एमबीपी एस। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मकाऊ इसके बाद आए, इनमें से प्रत्येक देश में औसत औसत गति 170 एमबीपीएस से ऊपर दर्ज की गई।
साथियों अगर हम इंटरनेट शुरू होने के इतिहास की करें तो, भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1986 में हुई थी और यह केवल शैक्षिक और अनुसंधान समुदाय के लिए उपलब्ध था। इंटरनेट तक आम जनता की पहुंच 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई, और 2020 तक 718.74 मिलि यन सक्रिय इंटरनेट उपयोग कर्ता हैं जिनमें 54.29 प्रति शत आबादी शामिल है। भारत सरकार ने इंटरनेट आधारित पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को और तेज करने के लिए भारतनेट, डिजिटल इंडिया, ब्रांड इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी परियोजनाओं को शुरू किया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इंटरनेट की शक्ति का जश्न – डिजिटल इंडिया का इंटरनेट उत्सव इंटरनेट कनेक्टिविटी ज्ञान को साझा करने के एक अनिवार्य उप करण के रूप में उभरा है। नागरिकों के लिए किफायती और उच्च गुणवत्ता वाला इंटरनेट सुनिश्चित करने को रेखांकित करना जरूरी है।

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