‘हर रविवार मच्छर पर वार, लार्वा पर प्रहार, मलेरिया का संहार’

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(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। मलेरिया रोग उन्मूलन को लेकर आगामी माह जून मलेरियारोधी माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान जन समुदाय में मलेरिया रोग के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस दौरान जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण अंचलों तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस संबंध में सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने दी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ( बीबीडी) डाक्टर श्री कृष्णा ने बताया कि मलेरिया से बचाव एवं नियन्त्रण के लिए जनसमुदाय की भागीदारी बहुत जरूरी है। इस क्रम में जन जागरूकता रैली, संगोष्ठी, बैठक व कार्यशालाओं के आयोजन के साथ ही मलेरिया से बचाव संबंधी पम्पलेट एवं अन्य प्रचार सामग्री का भी वितरण किया जाएगा। सार्वजनिक स्थलों पर मलेरिया से बचाव संबंधी स्लोगन भी लिखवाए जाएंगे। जनसमुदाय को मच्छर के प्रजनन वाले स्थानों जैसे कि जल पात्रों को खाली कराने, कूलर, पानी की टंकी, गमले एवं गमले के नीचे रखे प्लेट, पशु-पक्षियों के पानी पीने के पात्र, छत पर पडे कबाड़, पुराने टायर अनुपयोगी पात्र, सामग्री को समाप्त किये जाने के व्यवहार परिवर्तन के सम्बन्ध में लोगों को जानकारी दी जाएगी। जागरूकता कार्यक्रमों से ‘हर रविवार मच्छर पर वार, लार्वा पर प्रहार, मलेरिया का संहार’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा मलेरिया के संभावित मरीजों की जांच कराई जाएगी साथ ही आशा, एएनएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का प्रशिक्षण देकर कर ग्राम स्तर पर मलेरिया रोग की पहचान करते हुए उसे उपचार हेतु नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने का काम किया जायेगा।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना ने बताया…
क्या है मलेरिया
मनुष्य के शरीर में मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने पर शरीर में परजीवी के प्रवेश करने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर बुखार आता है। मलेरिया बीमारी मादा एनेफिलीज मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर साफ और बहते हुए पानी में पनपते है। अधिकतर ये मच्छर सूर्यास्त के बाद ही काटते हैं। कुछ मरीजों में मलेरिया अन्दर ही अन्दर बढ़ता है। बुखार ज्यादा न होकर कमजोरी आने लगती है। कई बार मरीज में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।
मलेरिया के लक्षण
सर्दी व कंपन के साथ बुखार आना, निश्चित समय के बाद उतर जाना। तेज सर दर्द, बुखार उतरने के समय अधिक पसीना आना। ाकान, चक्कर आना, शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है। उल्टी या मितली का होना। थोड़ी-थोड़ी देर में प्यास का लगना, हाथ व पैर में ऐंठन होना।
मच्छरों से बचने के लिए करें उपाय-
रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दे। गमलों, छत पर पड़े पुराने टायर, प्रयोग में न आने वाली सामग्री में पानी को एकत्र न होने दें, कूलर का पानी जल्दी-जल्दी बदलते रहें, कूलर के पानी में समय-समय पर मिट्टी का तेल डालते रहें। घर के आस-पास जल एकत्रित न होने दें। सोते समय मच्छरदानी, मच्छररोधी क्वायल आदि का प्रयोग करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहने जिससे शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को ढक कर रखा जाए और मच्छरों से बचाव किया जाए।

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