मंदिर मस्जिद जायें या न जायें लेकिन लोगों की सेवा जरूर करें -सरोजिनी तिवारी

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(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। सेवा भाव के कारण नर्सिंग का कार्य क्षेत्र हमने चुना। यह एक बहुत ही पुनीत कार्य है। व्यक्ति मंदिर मस्जिद जाए न जाए लेकिन दूसरों की सेवा जरूर करे। यही मेरा ध्येय है। यह कहना है स्टाफ नर्स सरोजिनी तिवारी का, जो कि जिला महिला अस्पताल में नर्सिंग आफिसर और लेबर रूम इंचार्ज के तौर पर काम कर रही हैं। उन्हें यहाँ काम करते हुए लगभग 11 साल हो चुके हैं।
सरोजिनी बताती हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से ऐसे केस यहाँ आते हैं कि ऐसा लगता है कि वह बचेंगे ही नहीं लेकिन इलाज और देखभाल के बाद जब वह स्वस्थ होकर यहाँ से जाते हैं तो मन को सुकून मिलता है। वह बताती हैं कि कुछ समय पहले एक्लेम्पशिया से पीड़ित गर्भवती यहाँ आई थी वह बहुत गंभीर अवस्था में थी। इलाज के बाद वह यहाँ से ठीक होकर गई। उसे हम लोगों ने पाँच दिन बाद फालो अप के लिए बुलाया था। जब फालो अप में आई तो हम उसे पहचान ही नहीं पाए। हमें बहुत ही खुशी हुई कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
सरोजिनी अगस्त 2012 से जिला अस्पताल में काम कर रही हैं और वर्ष 2017 से लेबर रूम इंचार्ज के तौर पर कार्य कर रही हैं। सरोजिनी तिवारी बताती हैं कि पारिवारिक दायित्वों और अस्पताल के कार्यों के बीच समंजस्य बिठाना होता है। नर्सिंग में दिन और रात दोनों ही समय ड्यूटी लग जाती है ऐसे में छोटे बच्चों के साथ में काफी समस्या का सामना करना पड़ा लेकिन पति और परिवार के अन्य सदस्यों का पूरा सहयोग मिला। जिसने मुझे काम करने की प्रेरणा दी। सरोजिनी बताती हैं वह सुबह आठ बजे अस्पताल आ जाती हैं। वैसे तो उनकी ड्यूटी आठ से दो बजे तक है लेकिन उनके आने का समय तो निश्चित है लेकिन जाने का कोई समय नहीं हैं। वह शाम छह बजे से पहले घर वापिस नहीं जाती है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला महिला अस्पताल डा0 रेनू चैधरी ने बताया कि काम के प्रति लगन और मेहनत को देखते हुए ही एंक्वास के तहत सरोजिनी को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उन्हें सुपरवोमेन कोरोना वारियर्स, एन्क्वास नई दिशा के लिए दो बार और पीपी आईयूसीडी के लिए एक बार सम्मानित किया गया गया है। इसके अलावा इन्हें निर्भया और नई दिशा में अच्छा कार्य करने के लिए पूर्व जिलाधिकारी द्वारा भी पुरस्कार भी दिया गया है।

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