भगवान बुद्ध की साधना -विपस्सना के द्वारा ही कल्याण की प्राप्ति संभव है -डा. आर. पी. मौर्य

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(मनोज मौर्य) ऊंचाहार रायबरेली। तहसील के शिवमंगल मौर्य इण्टर कालेज में रविवार को राष्ट्रीय बौद्ध- महोत्सव का आयोजन डा. आर. पी. मौर्य के संयोजन में बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम मे करुणा के सागर तथागत भगवान गौतम बुद्ध के बताए मार्ग करुणा, मैत्री, निरामिष, सादगी पर चलने के लिए भंतेगण के सान्निध्य में आमजन ने संकल्प लिया। वहीं पर विद्यालय के बच्चों द्वारा बुद्ध चरित्र पर प्रकाश डाला गया।
आयोजन मे इस महापर्व पर कौशाम्बी जनपद के प्रतिष्ठित सामाजिक कार्य कर्ता रणविजय निषाद को बोधि रत्न-सम्मान से उनके सामाजिक कार्यों यथा जल एवं पर्यवरण-सरंक्षण तथा हिन्दी साहित्य में शुद्धाशुद्ध शब्द-प्रयोग-साधना हेतु समलंकृत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आईएसए एकेडमी प्रयागराज के निदेशक के0 डी0 सिंह द्वारा तथागत भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम मंे विद्यालय की छात्राओं नंदिनी, पायल, शेजल और प्रज्ञा द्वारा संयुक्त रूप में बुद्ध-वंदना का मनोरम कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम मे मुख्यवक्ता के0 डी0 सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध के पाँच शीलों का पालन करने वाले व्यक्ति सदैव सुखी रहते हुए अपने आस-पास का वातारण भी सुखमय बना देते हैं। वह स्वयं भी किसी की हत्या नहीं करेगा, झूँठ नहीं बोलेगा, व्यभिचार नहीं करेगा, नशा नहीं करेगा और दूसरों को भी इसे पालन करने के लिए प्रेरित करेगा। कार्यक्रम के संयोजक डा. आर. पी0 मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि मैत्री, करुणा और बन्धुत्त्व के द्वारा ही समाज को एक सूत्र में बांधा जा सकता है। भगवान बुद्ध की साधना, विपस्सना के द्वारा ही अपना कल्याण किया जा सकता है। राष्ट्रीय बौद्ध- महोत्सव में प्रदेश एवं देश के अनेक भंतेगण भंते धम्म प्रकाश (सारनाथ), भंते रत्न (कौशाम्बी), धम्म ज्योति (वाराणसी), भंते धम्म पाल (रायबरेली), सन्त सत्यानंद त्यागी (लखनऊ), सन्त राम साहेब (गुजरात), संत गुरुवेंद्र साहब (लखनऊ) ने अपने विचार रखे। विद्यालय की प्रिंसिपल मीरा मौर्य, डा0 आशीष मौर्य, डा0 सरिता मौर्य, सुखराम सरोज, सुंदर लाल मौर्य, हीरालाल, भगवान शरण, जानकी प्रसाद सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे संचालन लालता प्रसाद मौर्य ने किया।

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