Apr 28 2023
क्षेत्रवार आंकड़ों को देखें तो मुस्लिम चेहरों को सबसे ज्यादा टिकट पश्चिमी क्षेत्र में मिला है। पश्चिम की 18 नगर पंचायतों में अध्यक्ष के लिए मुस्लिम प्रत्याशी बीजेपी ने दिए हैं जबकि ब्रज क्षेत्र में 8, अवध क्षेत्र में 6, गोरखपुर क्षेत्र में 2 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है।
मुस्लिम विरोधी छवि तोड़ने में लगी भारतीय जनता पार्टी जितना आगे बढ़ती है विरोधी और रूढ़िवादी मुल्ला-मौलाना, बनावटी बुद्धिजीवी उसे उतना ही पीछे ढकेल देने की कथित साजिश में लगे रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी पर मुस्लिम विरोधी होने का तो आरोप लगता ही है, इसके साथ-साथ उससे यह भी पूछा जाता है यदि वह मुस्लिम विरोधी नहीं है तो किसी भी चुनाव के समय मुस्लिम उम्मीदवारों के नाम उसकी लिस्ट में क्यों नहीं होते हैं। जबकि विरोधी दलों के नेताओं कथित बुद्धिजीवी अच्छी तरह से जानते हैं बीजेपी के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को जिताना कभी आसान नहीं रहा है। यदा-कदा बीजेपी किसी चुनाव में किसी भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार देती है तो इससे बीजेपी को तो कोई फायदा नहीं मिलता है, लेकिन विरोधी दलों के प्रत्याशी को वॉकओवर मिल जाता है।
उसकी जीत आसान हो जाती है। ऐसा नहीं है यही सोचकर बीजेपी हाथ पर हाथ धरे बैठ गई हो वह लगातार इस कोशिश में लगी रहती है किस तरह से विरोधियों के पाले में जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक के नेक्सेस को तोड़ा जा सके। इसीलिए उसने एक हाथ में कुरान दूसरे में कम्प्यूटर की बात कही, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी कुरीतियों से निजात दिलाई। उदारवादी मुस्लिम नेताओं से मेल जोल बढ़ाकर बीजेपी के प्रति मुसलमानों की जो भ्रांतियां उसे दूर करने की कोशिश की। स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी पसमांदा मुसलमानों पर अपना दांव चल रही है।
बीजेपी ने पहली बार निकाय चुनाव में 350 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। जिस पार्टी के लिए यह माना जाता है कि वह चुनाव में मुसलमानों को उम्मीदवार नहीं बनाती उसने पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर बाकी दलों के सियासी गणित को बिगाड़ने की तैयारी कर ली है। पहली बार बीजेपी ने मुस्लिम समाज को इतनी बड़ी संख्या में टिकट दिया है। पहले चरण के लिए तकरीबन ढाई सौ मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारे तो वहीं दूसरे चरण में भी लगभग 100 मुस्लिम उम्मीदवार पार्टी ने अलग-अलग पदों पर उतार दिए हैं। इनमें नगर निगम में पार्षद के उम्मीदवार, नगर पालिका, नगर पंचायत में अध्यक्ष के उम्मीदवार और उसके अलावा वहां के सभासद के उम्मीदवार भी शामिल हैं।
इसमें 5 नगर पालिका अध्यक्ष 35 नगर पंचायतों के चेयरमैन का टिकट मुस्लिमों को मिला है, तो वहीं स्वार सीट से बीजेपी की सहयोगी अपना दल एस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है। बिजनौर की अफजलगढ़ पालिका अध्यक्ष सीट हो रामपुर की टांडा पालिका अध्यक्ष के लिए मेहनाज जहां को टिकट दिया है तो वहीं आज़म खान के गढ़ रामपुर में पालिका अध्यक्ष के लिए डॉ. मुसेरत मुजीब को टिकट दिया है, जबकि बदायूं की ककराला पालिका अध्यक्ष पर मरगून अहमद खां को टिकट दिया है और मुस्लिम बाहुल्य माने जाने वाले आजमगढ़ में मुबारकपुर पालिका अध्यक्ष के लिए तमन्ना बानो को बीजेपी ने टिकट दिया है।
अगर क्षेत्रवार आंकड़ों को देखें तो मुस्लिम चेहरों को सबसे ज्यादा टिकट पश्चिमी क्षेत्र में मिला है। पश्चिम की 18 नगर पंचायतों में अध्यक्ष के लिए मुस्लिम प्रत्याशी बीजेपी ने दिए हैं जबकि ब्रज क्षेत्र में 8, अवध क्षेत्र में 6, गोरखपुर क्षेत्र में 2 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है जबकि सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, गोरखपुर, जौनपुर, लखनऊ वाराणसी सहित कई जिलों में सभासद और पार्षदों के टिकट भी मुस्लिमों को पार्टी ने दिए हैं।
दरअसल,इस बार निकाय चुनाव में बसपा ने 17 में 11 नगर निगमों में मुस्लिम प्रत्याशी मेयर पद के लिए उतारे हैं। बीजेपी ने तकरीबन 350 मुस्लिम उम्मीदवार इस निकाय चुनाव में उतारे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी की भी नजर कहीं न कहीं मुस्लिम वोट बैंक पर है। समाजवादी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समाज ने जमकर वोट किया और इसी का नतीजा रहा कि सपा 111 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।
बीजेपी ने 2017 के निकाय चुनावों में महज सौ सीटों पर ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार पार्टी का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव को देखते हुए पसमांदा मुस्लिमों पर है। ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारकर पार्टी का लक्ष्य सपा-बसपा के मुस्लिम वोटरों को तोड़ना है।
UP Elections : निकाय चुनाव में क्या बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवार पेश कर पाएंगे मजबूत दावेदारी?
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