जनसेवा हास्पिटल पर चैकाने वाले खुलासे के बाद, जिम्मेदारों की कार्यवाही पर जनता की निगाहें

RAJNITIK BULLET
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(पवन कुमार सिंह/ पुष्कर सिंह) सीतापुर। यूपी के तेजतर्रार उपमुख्यमंत्री के कड़े दिशा निर्देशों के बावजूद जनसेवा जैसे हास्पिटल जनपद में संचालित हो रहे हैं तो आखिरकार इसके पीछे कौन है संरक्षणदाता यह सवाल बार-बार उठता है? एंबुलेंस चालक राकेश कुमार ने जो आरोप लगाए उससे यह कहा जा सकता है कि जनपद के बीचो बीच सिविल लाइन में संचालित जनसेवा हास्पिटल में कुछ न कुछ तो ऐसा है, जो छिपा हुआ है। हालांकि एंबुलेंस चालक ने जिस तरीके से आरोप लगाए उससे यह कहा जा सकता है कि जनसेवा हास्पिटल की आड़ में मरीजों की जान का सौदा हो रहा है। जनपद में इस तरह से कई हास्पिटल धड़ल्ले से चल रहे हैं, जो मानक विपरीत हैं। परंतु कार्यवाही न के बराबर ऐसा क्यों? अब सवाल स्वास्थ्य महकमें पर उठने लगे हैं कि जब इस तरह से आरोप लगाए जा रहे हैं तो उसपर कार्यवाही करने में महकमा तेजी क्यों नहीं ला रहा! आखिर किसकी बाट जोह रहा है? या फिर मोटी रकम से क्या स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों की जेब भरी जा रही है? क्या है जनसेवा हास्पिटल की सच्चाई? उधर एंबुलेंस चालक राकेश कुमार के द्वारा दिए गए बयान पर तेजी से चर्चाएं हो रही हैं कि मरीजों की जान के सौदागर बनकर लखपति बन गए जनसेवा हास्पिटल संचालक डा0 जे एस तोमर द्वारा आपरेशन किया जाता है, जबकि डाक्टर के पास कोई ऐसी डिग्री नहीं है, जो यह इजाजत दें कि वह आपरेशन करें, बताते चलें कि अभी लगभग 3माह पहले इमलिया सुल्तानपुर में संचालित अवध हास्पिटल जो डाक्टर जे एस तोमर के द्वारा ही बातें हो रही हैं को संचालित किया जा रहा है का मामला सामने आया था जिसमें आपरेशन के बाद जच्चा- बच्चा की मौत का मामला काफी उछला पर कार्यवाही न के बराबर, जिससे यह भी सवाल उठता है कि आखिरकार कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। जब कि मामला पटल पर आया और उसके बावजूद भी कार्यवाही नहीं की गई, जो संदेह का घेरा बनाती हैं। अवध हास्पिटल में जच्चा-बच्चा की मौत को लेकर जो सवाल खड़े किए गए थे, उस पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी। जिस तरह से एंबुलेंस चालक राकेश कुमार के द्वारा चैनल को दिए गए इंटरव्यू में इस बात का इकरार किया गया कि उसके द्वारा मरीज लेकर जाया जाता था और दलालों के दम पर जनसेवा हास्पिटल चल रहा है तो वह इस हास्पिटल को संदिग्ध बनाता है कि कुछ न कुछ तो ऐसा चल रहा है जो नियमों के विपरीत है। जिससे जनसेवा हास्पिटल सिविल लाइन विवादों में घिरा नजर आ रहा है। अब देखना होगा कि जिस तरह से विवादों में घिरा नजर आ रहा है, इस पर कोई कार्यवाही होगी या मामले पर पर्दा डाला जाएगा।
जनसेवा हास्पिटल सिविल लाइन चल रहा क्या झूठ की इबारत पर
सीतापुर। जिस तरीके से मामला सामने आया और चर्चाओं का केंद्र बन गया, जनपद नगर मुख्यालय की चाय की टपरीयों तक इस मामले की बातें हो रही है कि क्या झूठ की इबारत पर जनसेवा हास्पिटल की बुनियाद टिकी है। राकेश कुमार एंबुलेंस चालक का बयान क्या इस बात की पुष्टि नहीं करता की जनसेवा हास्पिटल केवल जेब भरो अभियान चला रहा है। 40प्रतिशत कमीशन दलालों को खिलाकर आम जनमानस की जान जोखिम में डाल रहा है। अगर ऐसा है तो कार्यवाही होनी चाहिए, सच सामने आना चाहिए।
डा0जेएस तोमर की ओर से एंबुलेंस चालक के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक को की गई शिकायत
सीतापुर। एंबुलेंस चालक राकेश कुमार ने जिस तरह से बयान मीडिया को दिया, तो सवाल खड़ा होता है क्या हास्पिटल को बदनाम किया गया, क्या ऐसा है? इसपर ज्ञात हुआ है की हास्पिटल संचालक डा0 जेएस तोमर ने इसके विरुद्ध एंबुलेंस चालक पर पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई है, परंतु प्रश्न अब इस बात का नहीं की एंबुलेंस चालक ने क्या कहा, प्रश्न यह है की जनसेवा हास्पिटल की सत्यता क्या है, क्या हास्पिटल जैसी संस्था अगर फर्जी तरह से चल रही है या संदेह के घेरे में आ चुकी है तो क्या इस बात की तस्दीक पुलिस महकमा करेगा, जाहिर सी बात है यह पुलिस महकमे के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता स्वास्थ्य महकमा प्रदेश शासन की गाइडलाइन व स्वास्थ्य महकमे के आधीन नियमांे पर संचालन किया जाता है, तो सवाल अब भी वही है, जनसेवा हास्पिटल का सच क्या है, सामने आना चाहिए।
सीएमओ सीतापुर ने क्या कहा
समाचार पत्रों के माध्यम से जो समाचार प्रकाशित हुए उससे जनसेवा हास्पिटल का मामला प्रकाश में आया है, जांच के आधार पर आगे कार्यवाही की जाएगी।

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