(पुष्कर सिंह) महोली, सीतापुर। तहसील क्षेत्र के ब्रह्मावली गांव में ठाकुरद्वारा में विमला कौशल फाउण्डेशन द्वारा विराट कवि सम्मेलन का शुभारम्भ क्षेत्रीय विधायक शशांक त्रिवेदी ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। स्वागत अभिनन्दन के पश्चात दूर-दूर से पधारे कवियों ने अपनी कविताओं से ऐसा समां बाँधा कि श्रोतागण रात्रि के तीसरे प्रहर तक आँधी-पानी के विपरीत मौसम में भी डटे रहे। कवि सम्मेलन का प्रारम्भ मिश्रिख से पधारे अवधी के सुप्रसिद्ध गीतकार जगजीवन मिश्र के द्वारा प्रस्तुत वाणी वन्दना से हुआ। तत्पश्चात बालगोविन्द प्रयागी ने अपनी कविता पढ़ते हुए बालिका शिक्षा पर कहा- बप्पा हमका न रोकउ अबहिं घर माँ, नाम रोशन हम करिबा शहर भर माँ। सीतापुर से पधारे वीर रस के प्रख्यात कवि रजनीश मिश्र ने कहा- तुम्हारे हौसले के इस कदर चर्चे हों जहां में, तिरंगा खुद लिपटने के लिए मजबूर हो जाए। हास्य के प्रसिद्ध कवि मधुप श्रीवास्तव नरकंकाल ने पढ़ा- श्रीरामचरित मानस की प्रतियाँ जला रहे हो, अरे मूर्खों हनुमान जी की पूँछ में आग लगा रहे हो। महोली के गीतकार राज कुमार तिवारी ने गीत सुनाया- दिगदिगन्त गूँजता आज यही गान है, अखिल विश्व कह रहा देश यह महान है। लखनऊ से पधारीं कवयित्री व्यञ्जना शुक्ला ने श्रंगार और भक्ति की सुन्दर रचनाएँ पढ़ीं। उन्होंने कहा- तन को चाहे जितना रंग लो, कोई फर्क नहीं होगा, मन को जिस दिन रंग लोगे ये वृन्दावन हो जाएगा। जनसरोकारों पर रचनाएँ लिखने वाले बिसवाँ के कवि सन्दीप सरस ने कविता पढ़ी- वो गाँव गली भूले घर आँगन भूल गए, प्रियता सम्बन्धों की वो पावन भूल गए, बच्चे अपना बचपन ऐसे भूले जैसे कान्हा वृन्दावन भूल गए। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे अम्बरीष ‘अम्बर’ ने पढ़ा- गन्ध चन्दन भली रंग टेसू भला, मन बसन्ती हुआ प्रेम फूला फला। संयोजक ब्रजकान्त बाजपेई ने कहा बड़े-बड़े बिघन नसाइ जांइ नाउ सुने भगतन के काज गनराज रोजु जागौ तुम। जगजीवन मिश्र ने अपनी कविताओं कोरोना, परधानी आदि पर श्रोताओं की तालियाँ बटोरीं। अनामिका ज्योत्सना, लक्ष्मी कान्त त्रिवेदी ने भी काव्यपाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन साहित्य भूषण सम्मान से अलंकरित कवि कमलेश मृदु ने किया।
ब्रह्मावली गांव में कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन

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