उई बाबा ईडी! 17 विपक्षी दलों का ईडी को साझा पत्र

RAJNITIK BULLET
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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तर पर इतिहास गवाह है कि, हर सरकारों पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगता रहता है, क्योंकि कई बार हम मीडिया के माध्यम से जानते रहते हैं कि जो पक्ष था उसकी सरकार विपक्ष और फिर विपक्ष की सरकार पक्ष पर छापे पढ़ते रहते हैं। शायद हम अंदाज लगा सकते हैं कि एक बार उच्चतम न्यायालय ने भी एक जजमेंट में सीबीआई को तोता कमेंट किया था। इसलिए अधिक कुछ कहने की जरूरत नहीं है। परंतु वर्तमान कुछ समय से सीबीआई के स्थान पर ईडी का बवाल और खौफ अधिक छाया हुआ है, जिसका वर्तमान कुछ मंत्रीयों उपमुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्रियों केंद्रीय मंत्रियों सहित अनेक राजनीतिज्ञ लपेटे में आए हुए हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष अच्छा खासा परेशान हो रहा है, जिसकी परिणीति दिनांक 15 मार्च 2023 को संसद से सड़क और फिर ईडी कार्यालय तक साझा विपक्षी दलों ने मार्च निकाला जिन्हें दिल्ली पुलिस ने विजय चैक पर धारा 144 का हवाला देते हुए रोक दिया। हालांकि संसद में या संसद के बाहर यही पार्टियां, भावी पीएम सहित अनेक मुद्दों पर धुर विरोधी हैं परंतु, ईडी मुद्दे पर एक हैं और इसको उठाकर संविधान बचाओ पर प्रखर हो रहे हैं, परंतु जनता जनार्दन ईश्वर अल्लाह का रूप होती है वह सब जानती है कौन कितने पानी में है। चूंकि आज संसद से सड़क तक फिर ईडी कार्यालय तक मार्च हुआ जिसे रोक दिया गया इसलिए आज हम मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 17 विपक्षी दलों का ईडी को साझा पत्र। ईडी का कसता शिकंजा, ईडी पीछे पड़ी भ्रष्टाचारियों की सुख चैन नींद उड़ी।
साथियों बात अगर हम 17 विपक्षी पार्टियों द्वारा ईडी को लिखे गए पत्र की करें तो, उद्योगपति मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। इस बीच कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखा है। विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय से अपील की है कि वह शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लान्ड्रिंग सहित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उद्योगपति समूह के खिलाफ जांच शुरू करे। ईमेल किए गए एक पत्र में पार्टियों ने जांच एजेंसी से कहा कि वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम नहीं कर सकती है। बता दें कि इस पत्र पर कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई-एम, जदयू, एसएस (यूबीटी), राजद, डीएमके, जेएमएम, आप, आईयूएमएल, वीसीके, केरल कांग्रेस और अन्य नेताओं ने हस्ताक्षर भी किए हैं। ईडी को लिखे पत्र में विपक्षी नेताओं ने कहा कि हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कैसे हाल के दिनों में ईडी ने भी कथित राजनीतिक पक्षपात के मामलों को उत्साहपूर्वक आगे बढ़ाया है, जिसमें सेबी और सीबीआई के साथ समवर्ती अधिकार क्षेत्र साझा करना भी शामिल है। पत्र में आगे लिखा है कि हम इस विषय पर नियुक्त सुप्रीम कोर्ट आयोग के सीमित दायरे से भी अवगत हैं। हम ईडी को यह याद दिलाना चाहते हैं कि वह इन या अन्य आधारों पर अपने अधिकार क्षेत्र को छोड़ नहीं सकता है। उन्होंने ईडी निदेशक से कहा कि विपक्ष के सदस्य आपसे उपर्युक्त आरोपों पर तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं। पत्र में आगे दावा किया गया है कि पिछले तीन महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योगपति समूह के खिलाफ कई महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन फिर भी प्रवर्तन निदेशालय जो इस तरह के मामलों को दृढ़ता और निष्पक्षता के साथ आगे बढ़ाने का दावा करता है। उनकी ओर से अभी तक इन गंभीर आरोपों की प्रारंभिक जांच भी शुरू नहीं की गई है। उन्होंने पत्र में कहा कि इसके चलते हम इस आधिकारिक शिकायत को दर्ज करने के लिए विवश हैं, ताकि ईडी को एक ऐसे रिश्ते की जांच करने के लिए मजबूर होना पड़े, जिसका न केवल हमारी अर्थव्यवस्था बल्कि सबसे महत्वपूर्ण हमारे लोकतंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
साथियों बात अगर हम 15 मार्च 2023 को विपक्ष द्वारा संसद से सड़क और ईडी कार्यालय तक मार्च की करें तो, इससे पहले आज उद्योगपति मुद्दे पर केंद्र को घेरने के लिए 17 विपक्षी दलों ने संयुक्त तौर पर संसद भवन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर तक मार्च निकाला था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उनको विजय चैक पर ही रोक दिया। संसद से लेकर सड़क तक इस मामले को विपक्ष पुरजोर तरीके से उठा रहा है। विपक्षी पार्टियों के सांसदों के इस मार्च को संसद भवन के बाहर विजय चैक पर ही दिल्ली पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए रोक दिया।
साथियों अब सवाल उठता है कि हर कोई जानना चाहते है ईडी है क्या ? एक जमाना था जब हम छोटे थे तो सीबीआई का नाम बुलंदियों पर चलता था, इसका ऐसा डर समया रहता था कि सीबीआई की रेड के नाम से बड़ी-बड़ी हस्तियों के पसीने छूट जाते थे, यह नाम इतना प्रसिद्ध और खौफ पैदा करता था कि हम बच्चे अपने बचपन के चोर सिपाही खेल में भी सीबीआई के नाम का उपयोग करते थे तो हम आज अंदाज लगा सकते हैं कि यह नाम कितना प्रसिद्ध होगा!! परंतु समय के बदलते चक्र में सब के दिन स्थिर नहीं होते आज के वर्तमान परिपेक्ष में सीबीआई का नाम ईडी के रूप में परिलक्षित हो गया है, क्योंकि आज ईडी का नाम सुनते ही भ्रष्टाचार में लिप्त बड़े बड़े अधिकारियों, नेताओं, व्यापारियों, व्यवसायियों सहित नशे मानव तस्करी ब्याज खोरी इत्यादि का काम करने वाले दो नंबरी दस नंबरी सभी पावर पावरफुल लोगों के पसीने छूट जाते हैं क्योंकि हम आज देख रहे हैं कि बड़े- बड़े नेताओं पर ईडी का शिकंजा कस रहा है जो स्पष्टतः संकेत है कि भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में अधिक समय नहीं लगेगा!! पिछले कुछ वर्षों से हम मीडिया के माध्यम से देख सुन रहे हैं कि संसद व विधायिका में बैठकर कानून बनाने वाले कुछ सदस्यों पर ही इसका शिकंजा अधिक कस रहा है।
साथियों बात अगर हम ईडी की करें तो, यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत आने वाली एक स्पेशल जांच एजेंसी है, जो वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े मामलों की जांच करती है। ईडी का गठन 1 मई 1956 को किया गया था। पहले इसका नाम एन्फोर्समेंट यूनिट था। हालांकि, 1957 में इसका नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर दिया गया, प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से फेरा, फेमा और पीएमएलए कानूनों के तहत काम करता है। इन कानूनों में आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए जो प्रावधान किये गये हैं उन्हीं के तहत यह आरोपितों पर कार्रवाई करता है। इस एजेंसी का मुख्यालय दिल्ली में है लेकिन इसके आफिस देशभर में है। दिल्ली के अलावा मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में इसके रीजनल आफिस हैं। इसके अलावा लगभग हर राज्य में ईडी के जोनल और सब जोनल आफिस हैं। इस समय ईडी के तहत लगभग दो हजार आफिसर कार्यरत हैं जो विभिन्न सेवाओं से ईडी में डेपुटेशन पर आते हैं। इसमें आईआरएस, आईएएस और आईपीएस सेवाओं से आनेवाले अधिकारी होते हैं।
मालूम हो कि ईडी विदेश में प्रापर्टी खरीदने, विदेशी मुद्रा का गैरकानूनी कारोबार करने और मनी लान्ड्रिंग (पैसों का हेरफेर) के मामलों की जांच करती है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि उई बाबा ईडी!17 विपक्षी दलों का ईडी को साझा पत्र। ईडी का कसता शिकंजा – ईडी पीछे पड़ी भ्रष्टाचारियों की सुख चैन नींद उड़ी।

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