(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के एएनएम प्रशिक्षण केंद्र पर जिले के सभी सीएच सी और पीएचसी के कार्यकर्ताओं को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता निवारण (एम एमडीपी) के बारे में प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 वीरेंद्र सिंह ने की।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया को हाथी पांव भी कहा जाता है । यह ऐसी बीमारी है जिसके होने पर व्यक्ति पूरे जीवन परेशान रहता है और इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इसका प्रबंधन जरूर किया जा सकता है, इसलिये जो भी चीजें प्रशिक्षण में बताई जा रही हैं इनको कार्य क्षेत्र में लागू करें। एमएमडीपी किट बांटने तक ही सीमित न रखें बल्कि रोगियों की देखरेख के बारे में पूर्ण जानकारी भी दें ताकि वह रोग की देखभाल कर सकें। स्वयंसेवी संस्था पाथ से डा0 नित्यानंद ठाकुर ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में बताया। उन्होंने एमएमडीपी प्रशिक्षण देते हुए बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। मरीज को सबसे पहले प्रभावित अंग पर धीरे-धीरे पानी डालना चाहिए। पानी गुनगुना होना चाहिए। इसके बाद साबुन को हाथों से रगड़ कर झाग बना लें और फिर उस झाग को हल्के हाथों से प्रभावित अंग पर धीरे-धीरे लगायें। इसके बाद धीरे-धीरे पानी डालकर प्रभावित अंग को साफ करना है। प्रभावित अंग पर कहीं घाव है तो वहां क्रीम लगाना है। नाखून छोटे रखने चाहिए।
रोजाना ऐसे करने से प्रभावित अंग साफ रहता है और आराम भी मिलता है। साफ-सफाई के अलावा व्यायाम करने की सलाह दी और प्रदर्शित करके भी दिखाया। उन्होंने बताया कि प्रभावित अंग को सहारा देकर रखें और उसे ज्यादा देर तक लटका कर रखने से बचें। सोते समय पैर की तरफ दो तकिया लगाकर ऊंचा कर लें और ऐसा करके ही सोएं।
जिला मलेरिया अधिकारी भीकउल्लाह ने बताया कि एमएमडीपी किट में एक बाल्टी एक टब, एक मग, एक तौलिया, एक साबुन और एक क्रीम शामिल है। इसके प्रयोग के विषय में बताया गया। नियमित साफ सफाई रखें, व्यायाम करें इससे काफी आराम मिलता है।
इस मौके पर पाथ से डा0 पूजा, अंजनी द्विवेदी, एम्स से डाक्टर सौरभ, सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल क्रिस्टोफर मेसी, अखिलेश बहादुर सिंह, फाइलेरिया इंस्पेक्टर अरुण यादव, मलेरिया इंस्पेक्टर आतिफ खान, सुमित, नीलम व सीफार के प्रतिनिधि और 50 प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहे।
रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता निवारण के बारे में प्रशिक्षित किये गए स्वास्थ्य कर्मी
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