नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में धूमधाम से विश्व गौरैया दिवस मनाया गया

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(प्रेस विज्ञप्ति)
लखनऊ। दिनांक 20 मार्च, 2018 को नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में धूमधाम से विष्व गौरैया दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम प्राणि उद्यान द्वारा गौरैया जागरूकता हेतु सिविल अस्पताल चैराहे पर आम लोगों को गौरैया से सम्बन्धित पम्पलेट का वितरण किया गया। तत्पष्चात प्राणि उद्यान के सारस प्रेक्षागृह (3डी आॅडिटोरियम) मंे गौरैया दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्राणि उद्यान के निदेषक, श्री वी0के0 मिश्र, उप निदेषक, डा0 उत्कर्ष शुक्ला, क्षेत्रीय वनाधिकारी, श्री आर0के0 नेगी एवं षिक्षा अधिकारी श्रीमती नीना कुमार के साथ प्राणि उद्यान के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
विष्व गौरैया दिवस के अवसर पर प्राणि उद्यान के निदेषक महोदय द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को गौरैया दिवस के शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गौरैया को संरक्षित करने की अधिक आवष्यकता है, उसका कारण है कि गौरैया हमारे शुद्ध वातावरण का द्योतक है। यदि हमारे आस- पास गौरैया रहती है तो इसका सीधा मतलब है कि हम शुद्ध वातावरण में रह रहे हैं। गौरैया को किसान मित्र भी कहा जाता है क्योंकि जो कीडे़ हमारी फसल को नुकसान पहॅुंचाते हैं यह उन्हें खाकर हमारी फसलों की रक्षा करती है। यदि हमें गौरैया को बचाना है तो हमें अपने घरों में उनके रहने हेतु स्थान तथा मिट्टी के पात्रों में दाना एवं पानी की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाने की आवष्यकता है।
कुछ वर्षों पहले तक हमारे घर-घर में, गांवों तथा छतों में बड़ी संख्या में गौरैया दिखायी देती थी। सुबह से ही चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता था परन्तु विगत कुछ वर्षों में गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है। इसका मुख्य कारण शहरीकरण लाइफ, कल्चर तथा लोगों की जीवनषैली में बदलाव है। जहाँ पहले घरों में रौषनदान, अटारी, टीन की छतें आदि बनाई जाती थी जिनमंें गौरैया अपना घोसला बनाती थी, परन्तु जीवनषैली में बदलाव के कारण यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है तथा शहरों के बाहर खुले स्थल, बाग- बगीचों का कम होना एवं बढ़ती आबादी, शहरीकरण तथा वाहन प्रदूषण के कारण गौरैया की संख्या में कमी होती जा रही है।
प्राणि उद्यान के उप निदेषक, डा0 उत्कर्ष शुक्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे शरीर में दिल यदि टाइगर है तो गौरैया नब्ज़ है। जैसे नब्ज़ को पकड़ते ही शरीर में क्या रोग पता चल जाता है वैसे ही गौरैया को देखकर हमें वातावरण के बारे में पता चल जाता है। इस लिए हमें दिल के साथ-साथ अपनी नब्ज़ को भी बचाकर रखना है। डा0 अषोक कष्यप, पषु चिकित्सक, प्राणि उद्यान ने कहा कि सभी प्राणी चाहे वह पक्षी हो, वन्यजीव हों, कीट-पतंगे हों सभी पंच तत्व से ही बने हुए हैं। वह भी भोजन करते हैं, पानी पीते हैं, सोते हैं, डरते हैं, खुष होते हैं, सब कुछ हमारे जैसा ही महसूस करते हैं, तो हमारा भी कर्तव्य है कि हम उनकी रक्षा करें, उन्हें संरक्षित करें। यह एक चेन होती है जिसकी एक भी कड़ी यदि कमजोर या टूट जाए तो पूरी चेन प्रभावित होती है। हमें प्रयास करना होगा कि यह चेन प्रभावित न हो। प्राणि उद्यान के क्षेत्रीय वनाधिकारी, श्री आर0के0 नेगी ने कहा कि पक्षियों को सबसे अधिक नुकसान मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएषन से होता है, जिसकी वजह से पक्षियों की मष्त्यु होने की दर बढ़ी है। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीना कुमार, षिक्षा अधिकारी, प्राणि उद्यान लखनऊ द्वारा किया गया।
दिनांक 19.03.2023 को श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा (अपर पुलिस आयुक्त पष्चिमी, लखनऊ) एवं नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में गौरैया के घोसलों को वितरण किया गया। साथ ही अवगत करना है कि प्राणि उद्यान के वन्य जीव चिकित्सालय में रह रहे तेंदुआ अषोका की तबियत स्थिर बनी हुई हैं। अषोका थोड़ा भोजन-पानी भी ग्रहण कर रहा है।

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